टीकाकरण अभियान ने बचाई 34 लाख से अधिक लोगों की जान
वर्किंग पेपर में कोरोना को लेकर भारत की रणनीति के तीन आधारशिलाओं – नियंत्रण, राहत पैकेज और टीकाकरण को विस्तार से बताया गया है। इन तीनों उपायों ने जीवन बचाने, COVID-19 के प्रसार को रोककर आर्थिक गतिविधि सुनिश्चित करने, आजीविका को बनाए रखने और वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
वर्किंग पेपर में बताया गया है कि भारत ने अभूतपूर्व पैमाने पर राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान चलाकर 3.4 मिलियन से अधिक लोगों की जान बचाई। टीकाकरण अभियान सिर्फ लोगों की जान बचाने के शुरू किया गया था।
800 मिलियन लोगों को मुफ्त अनाज वितरित
वर्किंग पेपर में महामारी के दौरान खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने वाली प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) जैसी पहलों के बारे में भी बताया गया है। रिपोर्ट के अनुसार कोरोना काल में सरकार ने यह सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित किया कि कोई भी भूखा न सोए। इसके लिए 800 मिलियन लोगों को मुफ्त खाद्यान्न वितरित किया गया, जिसके परिणामस्वरूप लगभग 26.24 बिलियन अमेरिकी डॉलर का आर्थिक प्रभाव पड़ा।
इसके अतिरिक्त, पीएम गरीब कल्याण रोजगार अभियान के शुभारंभ ने प्रवासी श्रमिकों को तत्काल रोजगार और आजीविका के अवसर प्रदान करने में मदद की। योजना के माध्यम से 4 मिलियन लाभार्थियों को रोजगार प्रदान किया गया, जिसके परिणामस्वरूप 4.81 बिलियन अमेरिकी डॉलर का समग्र आर्थिक प्रभाव पड़ा। यह आजीविका के अवसर प्रदान करता है और नागरिकों के लिए एक आर्थिक बफर बनाता है।
वर्किंग पेपर में दर्शाया गया है कि टीकाकरण के लाभ इसकी लागत से अधिक हैं। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के अनुसार सभी टीकों (COVAXIN और Covishield) के विकास ने देश को वायरस के घातक हमले से लड़ने में मदद की।
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ मनसुख मंडाविया कहते हैं कि भारत ने दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू किया, जिसमें 97% पहली खुराक और दूसरी खुराक का 90% कवरेज मिला। अभी तक कुल मिलाकर टीके की 2.2 बिलियन खुराक दी जा चुकी हैं। देश में सभी नागरिकों को नि:शुल्क टीके लगाए गए। ‘हर घर दस्तक’ जैसे अभियान और मोबाइल टीकाकरण टीमों के साथ-साथ को-विन वैक्सीन प्रबंधन प्लेटफॉर्म जैसे डिजिटल माध्यम की मदद से अंतिम पंक्ति तक टीके का वितरण सुनिश्चित किया गया। महामारी प्रबंधन की सफलता में लक्षित सूचना, शिक्षा और संचार के माध्यम से समुदाय में भय को दूर करना, महामारी को लेकर गलत सूचना पर रोक अहम योगदान है।
सरकार के राहत पैकेजों से मिली राहत
नागरिकों के लिए राहत पैकेजों की प्रशंसा करते हुए केंद्रीय मंत्री डॉ. मंडाविया का कहना रहा है कि केंद्र, राज्य और जिला स्तरों पर हितधारकों के बीच निरंतर समन्वय देखा गया। इसने न केवल कोविड-19 के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने में मदद की बल्कि आर्थिक रूप से भी गति प्रदान की। सरकार द्वारा राहत पैकेज ने कमजोर समूहों, वृद्ध आबादी, किसानों, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs), महिला उद्यमियों के कल्याण की जरूरतों को पूरा किया और उनकी आजीविका के लिए समर्थन भी सुनिश्चित किया।
साथ में उन्होंने यह भी बताया है कि कोरोना काल के दौरान छोटे उद्योगों को सहायता देने के लिए एक करोड़ से अधिक एमएसएमई को सहायता दी गई जिसके ऊपर 100.26 बिलियन अमेरिकी डॉलर का आर्थिक प्रभाव पड़ा जो कि जीडीपी का लगभग 4.90 प्रतिशत है।(एएमएपी)