कभी इंदिरा गांधी से लोहा लिया, तो शीर्ष अदालत से टकराने से भी नहीं चूके।
न्यायपालिका में शुचिता के पक्षधर
जीवन के अंतिम पड़ाव में उन्होंने एक साक्षात्कार में न्यायपालिका में भ्रष्टाचार का दावा कर सनसनी मचा दी। इस साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि देश के 16 मुख्य न्यायाधीशों में से 8 निश्चित रूप से भ्रष्ट और 6 निश्चित रूप से ईमानदार थे। इस मामले में अवमानना के मुकदमे का सामना करते हुए उन्होंने माफी मांगने के बदले जेल जाने की बात कही थी। शीर्ष अदालत में उन्होंने कहा था, पूर्व कानून मंत्री होने के नाते मुझे इस आशय का दृढ़ विश्वास है। ऐसे में माफी के बदले जेल जाना पसंद करूंगा।
चिर विरोधी व्यक्तित्व
शांतिभूषण भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ चिर विरोधी व्यक्तित्व के स्वामी थे। कानून के गहरे जानकार और भ्रष्टाचार के घोर विरोधी थे। उन्होंने ही तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ राजनारायण मामले की इलाहाबाद हाईकोर्ट में पैरवी की थी। उनकी दमदार दलीलों के कारण ही इंदिरा गांधी का चुनाव रद्द हुआ। इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा। यही मुकदमा देश में आपातकाल का कारण बना।
जेठमलानी ने बताया था खुद से बेहतर
शांतिभूषण की कानून की बारीकियों की समझ की सभी दाद देते थे। दिवंगत मशहूर अधिवक्ता राम जेठमलानी ने कई मौके पर भ्रष्टाचार की मुहिम में न सिर्फ उनका साथ दिया था, बल्कि उन्हें खुद से बेहतर अधिवक्ता बताया था। फर्जी सीडी, अदालत की अवमानना जैसे कई मामलों में जेठमलानी ने खुलकर भूषण का समर्थन किया था।
पिता बिजनौर में करते थे वकालत
भूषण के पिता बिजनौर में वकालत करते थे। बाद में वे प्रयागराज, फिर दिल्ली जाकर बस गए। जाटान मोहल्ले में उनका पैतृक आवास था।
राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति व पीएम ने जताया शोक
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शांति भूषण के निधन को बड़ी क्षति बताया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, कानूनी क्षेत्र में शांति भूषण के योगदान और वंचितों के लिए बोलने के जुनून के लिए याद किया जाएगा। (एएमएपी)