आपका अखबार ब्यूरो।

पूरी दुनिया मान रही है और पहले से मान रही थी कि कोरोना महामारी से बचने का एकमात्र विकल्प वैक्सीन ही है। जब से भारत में वैक्सीन लगाने के अभियान की शुरुआत हुई तभी से कुछ राजनीतिक दलों और संगठनों ने उसके खिलाफ अभियान छेड़ दिया था। तरह तरह के संदेह और सवाल उठाकर आम लोगों को भ्रम में डाल दिया। फिर चिल्लाने लगे कि वैक्सीन नहीं है। ऐन महामारी के बीच एक कठिन स्थिति पैदा कर दी। इसने भारत के टीकाकरण अभियान को शुरूआती दौर में पटरी से उतारने में खासी भूमिका निभाई। अभी भी कई लोग टीका लगवाने को तैयार नहीं हैं या अभी तक टीका नहीं लगवाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हफ्ते मन की बात में ऐसे ही साधारण लोगों से बात की। खास बात यह नहीं है की पीएम ने आम लोगों से बात की। खास बात यह है कि ये आम लोग जिस सहजता और मुखरता से अपनी बात रख रहे थे वह विपक्ष के इन दावों की हवा निकालने को पर्याप्त है की पीएम किसी की सुनते नहीं। या पीएम के सामने सच बोलने में लोगों को डर लगता है।


 

प्रधानमंत्री ने कहा कि एक साल पहले सबके सामने सवाल था कि वैक्सीन कब आएगी ? आज हम एक दिन में लाखों लोगों को‘मेड इन इंडिया’ वैक्सीन मुफ़्त में लगा रहे हैं। यही नए भारत की ताक़त है। वैक्सीन की सुरक्षा हर नागरिक तक पहुँचने के लिए लगातार प्रयास पर जोर देते हुए उन्हॉने कहा कि कई जगहों पर वैक्सीन लगवाने के प्रति संकोच को खत्म करने के लिए कई संगठन, सिविल सोसाइटी के लोग आगे आये हैं और सब मिलकर के बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। इसके बाद प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश के बैतूल ज़िले के डुलारिया गाँव में राजेश को फोन लगाया:

पीएम : हलो।

राजेश : नमस्कार।

पीएम : नमस्ते जी।

राजेश : मेरा नाम राजेश हिरावे, ग्राम पंचायत डुलारिया, भीमपुर ब्लॉक|

पीएम : राजेश जी, मैंने फ़ोन इसलिए किया कि मैं जानना चाहता था कि अभी आपके गाँव में, अब कोरोना की क्या स्थिति है ?

राजेश : सर, यहाँ पे कोरोना की स्थिति तो अभी ऐसा कुछ नहीं है यहाँ I

पीएम : अभी लोग बीमार नहीं हैं ?

राजेश : जी।

पीएम : गाँव की जनसँख्या कितनी है? कितने लोग हैं गाँव में ?

राजेश : गाँव में 462  पुरुष हैं और 332 महिला हैं,सर।

पीएम : अच्छा! राजेश जी, आपने वैक्सीन ले ली क्या ?

राजेश : नहीं सर, अभी नहीं लिए हैं।

पीएम : अरे ! क्यों नहीं लिया?

राजेश : सर जी, यहाँ पर कुछ लोगों ने, कुछ व्हाट्सएप पर ऐसा भ्रम डाल दिया गया कि उससे लोग भ्रमित हो गए सर जी।

पीएम : तो क्या आपके मन में भी डर है ?

राजेश : जी सर, पूरे गाँव में ऐसा भ्रम फैला दिया था सर।

पीएम : अरे रे रे, यह क्या बात की आपने ? राजेश जी… मेरा आपको भी और मेरे सभी गाँव के भाई-बहनों को यही कहना है कि डर है तो निकाल दीजिये।

राजेश : जी।

पीएम : हमारे पूरे देश में 31 करोड़ से भी ज्यादा लोगों ने वैक्सीन का टीका लगवा लिया है। आपको पता है न, मैंने खुद ने भी दोनों डोज़ लगवा लिए हैं। मेरी माँ तो क़रीब-क़रीब 100 साल की हैं, उन्होंने भी दोनों डोज़ लगवा लिए हैं I कभी-कभी किसी को इससे बुखार वगैरह आता है। पर वो बहुत मामूली, कुछ घंटो के लिए ही होता है। देखिए वैक्सीन नहीं लेना बहुत ख़तरनाक हो सकता है।

राजेश : जी।

पीएम : इससे आप ख़ुद को तो ख़तरे में डालते ही हैं, साथ ही में परिवार और गाँव को भी ख़तरे में डाल सकते हैं। इसलिए जितना जल्दी हो सके वैक्सीन लगवा लीजिये और गाँव में सबको बताइये कि भारत सरकार की तरफ से मुफ़्त वैक्सीन दी जा रही है और 18 वर्ष से ऊपर के सभी लोगों के लिए यह मुफ़्त वैक्सीनेशन है।

राजेश : जी… जी…

पीएम : तो ये आप भी लोगों को गाँव में बताइये और गाँव में ये डर का तो माहौल का कोई कारण ही नहीं है।

राजेश : कारण यही सर, कुछ लोग ने ऐसी गलत अफ़वाह फैला दी जिससे लोग बहुत ही भयभीत हो गए। उसका उदाहरण जैसे उस वैक्सीन को लगाने से बुखार आना, बुखार से और बीमारी फ़ैल जाना…  मतलब आदमी की मौत हो जाना- यहाँ तक की अफ़वाह फैलाई।

पीएम : आज तो इतने रेडियो, इतने टी.वी., इतनी सारी खबरें मिलती हैं और इसलिए लोगों को समझाना बहुत सरल हो जाता है। भारत के अनेक गाँव ऐसे हैं जहाँ सभी लोग वैक्सीन लगवा चुके है यानी गाँव के शत प्रतिशत लोग। जैसे मैं आपको एक उदाहरण देता हूँ… कश्मीर में बांदीपुरा ज़िला है, इस बांदीपुरा ज़िले में एक व्यवन गाँव के लोगों ने मिलकर शत प्रतिशत वैक्सीन लगवाने का लक्ष्य बनाया और उसे पूरा भी कर दिया। आज कश्मीर के इस गाँव के 18 साल से ऊपर के सभी लोग टीका लगवा चुके हैं। नागालैंड के भी तीन गाँवों के बारे में मुझे पता चला कि वहाँ भी सभी लोगों ने टीका लगवा लिया है।

राजेश : जी… जी…

पीएम : राजेश जी, आपको भी अपने गाँव, आस-पास के गाँव में ये बात पहुँचानी चाहिये और आप भी जैसे कहते हैं ये भ्रम है, बस ये भ्रम ही है। भ्रम का जवाब यही है कि आपको ख़ुद को टीका लगा कर के समझाना पड़ेगा सबको। करेंगे न आप?

राजेश : जी सर। आपसे बात करने से मुझे ऐसा लगा कि मैं ख़ुद भी टीका लगाऊंगा और लोगों को इसके बारे में आगे बढ़ाऊँ।

पीएम : अच्छा, गाँव में और भी कोई है जिनसे मैं बात कर सकता हूँ ?

राजेश : जी है सर।

पीएम : कौन बात करेगा ?

किशोरीलाल : हेल्लो सर… मेरा नाम है किशोरीलाल दूर्वे।

पीएम :  किशोरीलाल जी, अभी राजेश जी से बात हो रही थी। वो तो बड़े दुखी हो करके बता रहे थे कि वैक्सीन को लेकर लोग अलग-अलग बातें करते हैं। आपने भी ऐसा सुना है क्या ?

किशोरीलाल : हाँ… सुना तो हूँ सर वैसा… क्योंकि पास में महाराष्ट्र है उधर से कुछ रिश्तेदारी से जुड़े लोग कुछ अफ़वाह फैलाते कि वैक्सीन लगाने से लोग सब मर रहा है, कोई बीमार हो रहा है। लोगों के पास ज्यादा भ्रम है सर, इसलिए नहीं ले रहे हैं वैक्सीन।

पीएम : कहते क्या है ? अब कोरोना चला गया, ऐसा कहते है ? या कोरोना से कुछ नहीं होता है ऐसा कहते है ?

किशोरीलाल : नहीं, कोरोना चला गया नहीं बोलते। कोरोना तो है बोलते लेकिन वैक्सीन जो लेते उससे मतलब बीमारी हो रहा है, सब मर रहे है। ये स्थिति बताते सर वो।

पीएम : अच्छा वैक्सीन के कारण मर रहे हैं ?

किशोरीलाल : अपना क्षेत्र आदिवासी-क्षेत्र है। ऐसे भी लोग इसमें जल्दी डरते हैं। जो भ्रम फैला देते हैं उस कारण से लोग नहीं ले रहे वैक्सीन।

पीएम : देखिये किशोरीलाल जी… ये अफ़वाहें फैलाने वाले लोग तो अफ़वाहें फैलाते रहेंगे। हमें तो ज़िन्दगी बचानी है, अपने गाँव वालों, देशवासियों को बचाना है। अगर कोई कहता है कि कोरोना चला गया तो ये भ्रम में मत रहिए।

किशोरीलाल : जी।

पीएम : ये बीमारी ऐसी है, ये बहुरूपिये वाली है। नए-नए रंग-रूप कर के पहुँच जाती है। और उसमें बचने के लिए हमारे पास दो रास्ते हैं। एक तो कोरोना के लिए जो प्रोटोकॉल बनाया- मास्क पहनना, साबुन से बार-बार हाथ धोना, दूरी बनाए रखना। दूसरा रास्ता है इसके साथ-साथ वैक्सीन का टीका लगवाना, वो भी एक अच्छा सुरक्षा कवच है तो उसकी चिंता करिए।

किशोरीलाल : जी।

पीएम : अच्छा किशोरीलाल जी ये बताइये। जब लोग आपसे बातें करते है तो आप कैसे समझाते है लोगों को? आप समझाने का काम करते है कि आप भी अफ़वाह में आ जाते हैं?

किशोरीलाल : समझाएं क्या, वो लोग ज्यादा हो जाते तो हम भी भयभीत में आ जाते न सर।

पीएम : मेरी आपसे बात हुई है आज, आप मेरे साथी हैं| आपको डरना नहीं है और लोगों के डर को भी निकालना है। निकालोगे ?

किशोरीलाल : जी सर। निकालेंगे सर, लोगों के डर को भी निकालेंगे सर। मैं स्वयं भी ख़ुद लगाऊंगा।

पीएम : अफ़वाहों पर बिल्कुल ध्यान न दें। आप जानते है, हमारे वैज्ञानिकों ने कितनी मेहनत करके ये वैक्सीन बनाई है। साल भर, रात-दिन इतने बड़े-बड़े वैज्ञानिकों ने काम किया है और इसलिए हमें विज्ञान और वैज्ञानिकों पर भरोसा करना चाहिये। झूठ फैलाने वाले लोगों को बार-बार समझाना चाहिये कि देखिये भई ऐसा नहीं होता है, इतने लोगों ने वैक्सीन ले लिया है कुछ नहीं होता है।

किशोरीलाल : जी

पीएम : और अफ़वाहों से बहुत बच करके रहना चाहिये, गाँव को भी बचाना चाहिये। राजेश जी, किशोरीलाल जी, आप जैसे साथियों को तो मैं कहूँगा कि आप अपने ही गाँव में नहीं, और गाँवों में भी इन अफ़वाहों को रोकने का काम कीजिये और लोगों को बताइये मेरे से बात हुई है।

किशोरीलाल : जी सर। बताएँगे और समझायेंगे लोगों को और स्वयं भी वैक्सीन लेंगे।

पीएम : मैं चाहूँगा कि गाँव की महिलाओं को, हमारी माताओं-बहनों को इस काम में ज्यादा से ज्यादा जोड़िये और सक्रियता के साथ उनको साथ रखिये। कभी-कभी माताएँ-बहनें बात कहती है न लोग जल्दी मान जाते हैं।

किशोरीलाल : जी

पीएम : आपके गाँव में जब टीकाकरण पूरा हो जाए तो मुझे बताएँगे आप ?

किशोरीलाल : हाँ, बताएँगे सर।

पीएम : राजेश जी, किशोर जी बहुत-बहुत धन्यवाद। आपसे बात करने का मौक़ा मिला।

किशोरीलाल : सर, आपने हमसे बात किया है। बहुत-बहुत धन्यवाद आपको भी।