मणिपुर में हिंसा का दौर जारी है। 3 मई को शुरू हुई हिंसा में अब तक 180 लोग जान गंवा चुके हैं। वीरवार को फिर से जोरदार फायरिंग हुई है। जिसमें 3 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। पूर्वी इंफाल में हिंसा हुई है। यहां के कांगपोकपी जिले के सबुंगखोक खुनोउ में हथियारों से लैस उपद्रवियों ने ग्रामीणों को निशाना बनाया। सुबह के समय हमलावरों ने मैदान में रखे ईंटों के ढेर की आड़ लेकर लोगों पर ताबड़तोड़ फायरिंग की। घायल लोगों को इंफाल के राज मेडिसिटी और लिटिल हॉस्पिटल ले जाया गया है। यहां उनका इलाज जारी है।

इसके बाद हमलावरों ने गांव में सिक्योरिटी वॉलंटियर्स पर फायर किए। गांव की ओर बढ़ रहे उपद्रवियों का पीछा सुरक्षाबलों ने किया। जिसके बाद हमलावरों ने सुरक्षाबलों पर भी फायरिंग की। हालांकि इस दौरान कोई इसकी चपेट में नहीं आया। हमलावर सुरक्षाबलों को हावी होते देख मौके पर अपना वाहन छोड़कर भाग गए। पुलिस को गाड़ी से भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद मिला है।  आपको बता दें कि मणिपुर हिंसा के कारण 50 हजार लोग अपना घर छोड़ चुके हैं। ये लोग अभी रिलीफ कैंपों में हैं। 3 मई से कुकी और मैतेई समुदाय के लोगों के बीच हिंसा हो रही है। जिसके कारण 180 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इंफाल वैली को मैतेई बहुल माना जाता है। यहां रहने वाले कुकी लोग पास के पहाड़ी इलाकों में कैंप बनाकर रह रहे हैं। कुकी लोग पहाड़ी इलाकों में रहते हैं। पहाड़ी इलाकों के मैतेई लोग वैली में रहने लगे हैं।

वहीं, रविवार को एक वीडियो वायरल हुआ था। बताया जा रहा है कि इसमें एक युवक को जिंदा जलाते दिखाया गया। युवक कुकी था। इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फ्रंट की ओर से वीडियो को शेयर किया गया था। प्रवक्ता घिन्जा ने वीडियो को मई का बताया था। वीडियो की पुष्टि मणिपुर के सिक्योरिटी एडवाइजर कुलदीप सिंह ने की थी। जिन्होंने कहा था कि डीजीपी की ओर से मामला जांच के लिए सीबीआई को सौंपा गया है। इससे पहले वीडियो में महिलाओं के साथ अश्लीलता करते कुछ युवक दिखे थे। बिना कपड़े एक भीड़ महिलाओं को ले जा रही थी। मामले ने काफी तूल पकड़ा था।

180 लोगों की अब तक जा चुकी है जान

बता दें कि मणिपुर हिंसा के कारण 50 हजार लोग अपना घर छोड़ चुके हैं। ये लोग अभी रिलीफ कैंपों में हैं। 3 मई से कुकी और मैतेई समुदाय के लोगों के बीच हिंसा हो रही है। जिसके कारण 180 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इंफाल वैली को मैतेई बहुल माना जाता है। यहां रहने वाले कुकी लोग पास के पहाड़ी इलाकों में कैंप बनाकर रह रहे हैं। कुकी लोग पहाड़ी इलाकों में रहते हैं। पहाड़ी इलाकों के मैतेई लोग वैली में रहने लगे हैं।युवक को जिंदा जलाते का वीडियो हुआ था वायरल

वहीं, रविवार को एक वीडियो वायरल हुआ था। बताया जा रहा है कि इसमें एक युवक को जिंदा जलाते दिखाया गया। युवक कुकी था। इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फ्रंट की ओर से वीडियो को शेयर किया गया था। प्रवक्ता घिन्जा ने वीडियो को मई का बताया था। वीडियो की पुष्टि मणिपुर के सिक्योरिटी एडवाइजर कुलदीप सिंह ने की थी। जिन्होंने कहा था कि डीजीपी की ओर से मामला जांच के लिए सीबीआई को सौंपा गया है। इससे पहले वीडियो में महिलाओं के साथ अश्लीलता करते कुछ युवक दिखे थे। बिना कपड़े एक भीड़ महिलाओं को ले जा रही थी। मामले ने काफी तूल पकड़ा था।

‘शरारती तत्वों से सख्ती से निपटेगी पुलिस’

मणिपुर पुलिस ने एक बयान में कहा, राज्य में कानून व्यवस्था पर चर्चा के लिए सीएपीएफ के वरिष्ठ अधिकारियों की एक बैठक आयोजित की गई है. अधिकारियों को छात्रों के साथ-साथ सुरक्षा कर्मियों की दुर्भाग्यपूर्ण चोटों से अवगत कराया गया. सुरक्षाबलों ने जनता, विशेषकर छात्रों से निपटने में न्यूनतम बल का उपयोग करने पर चर्चा की. पुलिस ने छात्रों से शांति बनाए रखने और सामान्य स्थिति वापस लाने में एजेंसियों का सहयोग करने की अपील की और कहा, मौजूदा स्थिति का फायदा उठाने वाले किसी भी शरारती तत्व से पुलिस सख्ती से निपटेगी।

‘CBI को जांच… मणिपुर के विधायकों का दिल्ली में डेरा’

सीबीआई की एक टीम भी दो स्टूडेंट्स की हत्या के मामले में जांच कर रही है. दिल्ली से वरिष्ठ अधिकारी मणिपुर जाएंगे. राज्य में करीब पांच महीने से जातीय संघर्ष चल रहा है. वहीं, दिल्ली में डेरा डाले हुए मणिपुर के 20 से ज्यादा विधायकों ने केंद्र से दो स्टूडेंट्स के अपहरण और हत्या के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया है. विधायकों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से यह सुनिश्चित करने का भी आग्रह किया है कि सीबीआई जांच में तेजी लाई जाए. मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने एक बयान में कहा, केंद्र और राज्य सरकार मिलकर काम कर रही हैं. दोषियों को छोड़ा नहीं जाएगा. जल्द ही सभी आरोपियों को गिरफ्तार किया जाएगा।

सामाजिक ताना बाना तोड़कर सत्ता तक पहुँचने का कुचक्र है जातीय  जनगणना 

मणिपुर हिंसा में अब तक 180 से ज्यादा लोग मारे गए

मणिपुर में 3 मई को सबसे पहले जातीय हिंसा भड़की थी. राज्य में अब तक 180 से ज्यादा लोग मारे गए हैं. कई सौ घायल हुए हैं. हिंसा की शुरुआत तब हुई, जब बहुसंख्यक मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किया गया था. मणिपुर की आबादी में मैतेई की संख्या करीब 53 प्रतिशत है. वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं. जबकि नागा और कुकी आदिवासी 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं।

दो युवकों की मौत को लेकर उग्र हुई भीड़

बता दें, मणिपुर में दो युवकों की मौत को लेकर छात्रों ने बीते मंगलवार और बुधवार को  हिंसक विरोध प्रदर्शन किया था. भीड़ ने गुरुवार को इंफाल पश्चिम जिले में उपायुक्त कार्यालय में भी तोड़फोड़ की थी और दो चार-पहिया वाहनों में आग लगा दी थी. इससे पहले बुधवार को दो जिलों इंफाल पूर्व और पश्चिम में फिर से कर्फ्यू लगा दिया गया था और झड़प में मंगलवार से 65 प्रदर्शनकारी घायल हुए हैं. जुलाई में लापता हुए दो लोगों- एक पुरुष और एक लड़की के शवों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर प्रसारित होने के एक दिन बाद मंगलवार को राज्य की राजधानी में हिंसा की एक नई घटना हुई थी।इंफाल घाटी में खुलेआम घूम रहे उग्रवादी

इधर, इंफाल घाटी में उग्रवादी खुलेआम घूम रहे हैं. यहीं नहीं इन्हें भीड़ को उकसाते हुए भी देखा गया है. वहीं, दो लापता किशोरों की तस्वीरें सामने आने के बाद से इंफाल घाटी में भीड़ उग्र हो गई है. सुरक्षा एजेंसियों ने कहा कि भीड़ की ओर से पुलिस टीम पर किए गए हमलों के दौरान काली वर्दी पहने हथियारबंद लोगों को उग्र युवाओं को पुलिस पर हमला करने का निर्देश देते देखा गया. इसके बाद कई वाहनों को आग लगा दी गई. सुरक्षा एजेंसियां चेतावनी देती रही हैं कि यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ), पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) और अन्य प्रतिबंधित समूहों के उग्रवादी भीड़ का हिस्सा बन गए हैं और सुरक्षा बलों पर छिपकर हमला करने के साथ-साथ प्रदर्शनकारियों को भी निर्देश दे रहे हैं।हाल में, भीड़ के भीतर उग्रवादियों की मौजूदगी पाई गई थी, जिसने टेंग्नौपाल में पलेल के पास सुरक्षाबलों पर हमला किया था, जिसमें सेना के एक लेफ्टिनेंट कर्नल घायल हो गए थे. केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने हिंसा प्रभावित मणिपुर में तनाव फैलाने के लिए किसी भी विरोध प्रदर्शन के दौरान उग्रवादियों के भीड़ में शामिल होने की आशंका के बारे में चेतावनी दी थी. इसके अलावा, भीड़ में उपद्रवियों ने लोहे के टुकड़ों का इस्तेमाल किया, जो स्वचालित हथियार की मदद से सुरक्षाकर्मियों की ओर दागे गए. लापता किशोरों की तस्वीरें सामने आने के बाद इंफाल घाटी में हुई इन झड़पों में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक स्तर के एक अधिकारी सहित एक दर्जन से अधिक पुलिसकर्मी घायल हो गए. इन किशोरों के जातीय संघर्ष के दौरान मारे जाने की आशंका है। (एएमएपी)