मेघों का बसेरा मेघालय
आपका अखबार ब्यूरो ।
मेघालय का अर्थ है बादलों का घर। यहां आकर परेशान यात्रियों को मन को शांति मिलती है। ऊंची ऊंची पहाड़ियां, बादलों का घेरा इतना मनोरम है कि इसे पूर्व का स्कॉटलैंड भी कहा जाता है। ठंड के मौसम में यहां अच्छी ठंड पड़ती है।
शिलांग अनेक दर्शनीय स्थतल है जैसे एलीफेंटा फॉल, शिलांग व्यू पॉइंट, लेडी हैदरी पार्क, वार्ड्स लेक, गोल्फ कोर्स। 56 किलोमीटर दूरी पर चेरापूंजी है जिसका स्थानीय और आधिकारिक नाम सोहरा है। खासी पहाड़ी के दक्षिणी किनारे पर स्थित यह छोटा सा कस्बा है। सभी पर्यटकों यहां अवश्य जाते हैं। चेरापूंजी में होने वाली घनी बारिश से यहां अनेक चट्टानों में शिल्प कार्य हो गया है, उनमें दरारें पड़ गई हैं और सभी दक्षिणी ढलानों पर पानी के झरने बन गए हैं।
मणिपुर : कला संगीत और मार्शल आर्ट का अनूठा संगम
पूर्वोत्तर भारत के हरे भरे कोने में स्थित मणिपुर पृथ्वी का एक सुंदर कोना है जहां प्रकृति ने अपने पूरी उदारता दिखाई है। आरामदायक मौसम, मन मोहक प्राकृतिक दृश्य और स्थल। साथ में कला संस्कृति का अनूठा संगम। नृत्य से लेकर मार्शल आर्ट तक के लिए जाना जाता है मणिपुर। दूर दूर तक फैली शांत वनों की हरियाली… जो एक बार आता है, बार बार आना चाहता है। यहां सिरोय लिली एक ऐसा फूल है जो दुनिया में और कहीं नहीं पाया जाता। जूको घाटी अनेक संकटापन्नन प्रजातियों का घर है और यहां दुर्लभतम डूजो लिली पाई जाती है।
नागालैंड : प्राकृतिक सुंदरता अत्यंत मनोहारी
बड़ी संख्या में देशी एवं विदेशी पर्यटक यहां आते हैं। जंगलों और गांवों के बीच घूमते हुए पृथ्वी मां की गोद में यहां के समुदायों के बीच का मजबूत सामाजिक बंधन नागा जनों की आत्मा है। प्राकृतिक सुंदरता के कारण पूरा नागालैंड पर्यटन की दृष्टि से अत्यंत मनोहारी है।
कोहिमा नागालैंड की राजधानी है और इसका नाम पहाड़ों पर उगने वाले एक पौधे क्यूाहाइ के नाम पर रखा गया है। कोहिमा का इतिहास के पन्नों में एक महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि ब्रिटिश सेना के साथ भारत के सिपाहियों ने जापानी सेनाओं को दूसरे विश्व युद्ध के दौरान यहीं मात दी थी।