प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के विजयी रथ को रोकने के लिए कांग्रेस की अगुवाई में विपक्षी दलों ने मिलकर हाल ही में इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (INDIA) का गठन किया है। इसकी दो बैठकें हो चुकी हैं। तीसरी बैठक 31 अगस्त से मुंबई में होने वाली है। हालांकि, इस बैठक से पहले सहयोगियों के बीच घमासान मचा हुआ है। दिल्ली में जहां अरविंद केजरीवाली की आम आदमी पार्टी (आप) से ठन चुकी है। वहीं, महाराष्ट्र में शरद पवार और अजित पवार की गुप्त मीटिंग ने भी कांग्रेस की धड़कनें बढ़ा दी हैं। इस सबके बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का दिल्ली दौरा और अटल बिहारी वाजपेयी की समाधि स्थल पर जाना चौंकाने वाला कदम है।इंडिया गठबंधन के तहत आम आदमी पार्टी (आप) के साथ नई दोस्ती कांग्रेस की दिल्ली यूनिट का रास नहीं आ रही है। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रतिनिधियों ने इसे स्वीकार नहीं किया है। उन्होंने आलाकमान के सामने अरविंद केजरीवाल की पार्टी के प्रति अपना विरोध जोरदार ढंग से रखा है। साथ ही दिल्ली की सभी सात लोकसभा सीटों पर कांग्रेस के चुनाव लड़ने की वकालत भी कर दी है।

केजरीवाल सरकार पर बरसी दिल्ली कांग्रेस

एआईसीसी प्रभारी दीपक बाबरिया ने कहा है कि बैठक में मौजूद दिल्ली कांग्रेस के पदाधिकारी के एक ही विचार के थे कि दिल्ली दिशाहीन हो गई है क्योंकि आप सरकार ने 15 साल की शीला दीक्षित सरकार द्वारा किए गए सभी अच्छे कार्यों को खत्म कर दिया है। पिछली कांग्रेस सरकार द्वारा किए गए काम को आप सरकार और एलजी के शासन ने बर्बाद कर दिया है। इसलिए, दिल्ली कांग्रेस के नेताओं ने नेतृत्व को बताया है कि पार्टी को इन दोनों पार्टियों (आप और बीजेपी) की जनविरोधी नीति का विरोध करना चाहिए।

2025 में मुख्‍यमंत्री नहीं बनेंगे केजरीवाल : कांग्रेस नेता

इतना ही नहीं, कांग्रेस नेता अनिल चौधरी ने एक कदम और आगे बढ़ते हुए यहां तक कह दिया कि 2025 में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री नहीं होंगे। उन्होंने दावा किया कि 2024 में भी दिल्ली में कांग्रेस की शानदार जीत होगी। कांग्रेस नेताओं के बयान से गठबंधन में दरार के साफ संकेत मिलते हैं।

कांग्रेस नेताओं पर आप ने भी किया पलटवार

आम आदमी पार्टी ने हालांकि ऐसे बयान देने वाले कांग्रेस नेताओं पर पलटवार किया है। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि सीट शेयरिंग पर इंडिया गठबंधन के घटक दल आपस में बैठकर चर्चा करेंगे। ये बहुत छोटे-छोटे नेता हैं। इनमें से कई के जमानत भी जब्त हो चुके हैं। सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक, आप की नजर कांग्रेस नेताओं के बयानों पर है। एक नेता ने यह भी कहा है कि अगर कांग्रेस ने सभी सात सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बना लिया है तो मुंबई की बैठक में जाने का क्या फायदा।

शरद पवार ने बढ़ाई कांग्रेस की परेशानी

अब बात महाराष्ट्र की। वहां के राजनीतिक गलियारों में शरद पवार के एनडीए में शामिल होने को लेकर अटकलें लगायी जा रही हैं। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा था कि एनसीपी के दिग्गज नेता शरद पवार या उनकी बेटी सुप्रिया सुले को केंद्रीय कैबिनेट में जगह की पेशकश की गई है। हालांकि, शरद पवार ने बाद में बीजेपी पर जमकर निशाना साधा। लेकिन जानकारों का मानना है कि शरद पवार को लेकर कुछ भी अंदाजा लगाना बहुत मुश्किल है। इस बात के संकेत इससे भी मिल रहे हैं कि एनसीपी से बगावत करने के बाद भी अजीत पवार अपने चाचा से लगातार मिल रहे हैं। इतना ही नहीं, कानून लड़ाई भी काफी धीमी हो चुकी है।

स्टैंड साफ करने को बोली कांग्रेस

आपको बता दें कि कांग्रेस नेता और महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार ने शरद पवार और उनके भतीजे अजीत पवार के मुलाकात पर सवाल उठाया। वडेट्टीवार ने कहा, “अजित पवार बार-बार शरद पवार से क्यों मिल रहे हैं? दो पार्टियों (एनसीपी, शिवसेना) में विभाजन कराने के बाद भी राज्य में भाजपा की स्थिति में सुधार हुआ है। इसलिए, उन्हें शरद पवार की ओर रुख करना पड़ रहा है क्योंकि वह एक जन नेता हैं। उनकी मदद के बिना, भाजपा अगले साल राज्य से अधिक लोकसभा सीटें नहीं जीत पाएगी।” वडेट्टीवार ने कहा, “दूसरा कारण यह है कि नरेंद्र मोदी ने अजित पवार से कहा है कि वह तब तक मुख्यमंत्री नहीं बन सकते जब तक वह शरद पवार को एनडीए में शामिल होने के लिए मना नहीं लेते हैं।”

वडेट्टीवार के अलावा पटोले ने भी गुप्त बैठक को लेकर डिप्टी सीएम अजीत पवार और उनके चाचा पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि ऐसी बैठकें लोगों के बीच भ्रम पैदा कर रही हैं। उन्होंने कहा, “ऐसी मुलाकातों से लोगों में भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है। अगर वे रिश्तेदार हैं तो उन्हें छिपकर मिलने की क्या जरूरत थी?”

नीतीश कुमार को अचानक आई अटल जी की याद

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 16 अगस्त को अचानक दिल्ली पहुंचे। दिल्ली पहुंचते ही उन्होंने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और भाजपा के कद्दावर नेता रहे अटल बिहारी वाजपेयी के समाधि स्थल पर पहुंचकर उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की। नीतीश की दिल्ली यात्रा मुंबई में होने वाली इंडिया गठबंधन की तीसरी बैठक से पहले अहम मानी जा रहा है। इस बात की संभावना है कि इस बैठक में इंडिया गठबंधन के संयोजक पद के लिए नाम का ऐलान किया जा सकता है।

राहुल के कहने के बावजूद नहीं हो रहा बिहार में कैबिनेट विस्तार

पटना में हुई इंडिया गठबंधन की पहली बैठक का एक वीडियो सामने आया था। उस वीडियो में राहुल गांधी ने नीतीश कुमार से कैबिनेट विस्तार के बारे में पूछा था। उन्होंने इस सवाल को बगल में खड़े लालू यादव की तरफ मोड़ दिया। इसके बाद से अभी तक बिहार कांग्रेस के नेताओं को विस्तार का इंतजार है। सियासी जानकारों का मानना है कि जब तक इंडिया गठबंधन को लेकर स्थिति साफ नहीं हो जाती है, तब तक बिहार सरकार में कांग्रेस की हिस्सेदारी बढ़ने की संभावना नहीं है।(एएमएपी)