संसद टीवी के लिए प्रदीप सिंह की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से खास बातचीत-5।
आपका अख़बार ब्यूरो।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की तमाम व्यवस्थाओं में सुधारों की परिपाटी को तेजी से, प्रभावशाली रूप से और साथ ही सर्वसमावेशी ढंग से लोगों तक पहुँचाया है। कहीं कोई कमी दिखी तो तुरंत सुधारा भी गया। प्रस्तुत है वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सिंह की लंबे समय तक प्रधानमंत्री के सहयोगी और उनकी राजनीतिक यात्रा के सहयात्री रहे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से ‘संसद टीवी’ के लिए खास बातचीत के कुछ अंश।
गरीबी उन्मूलन की दिशा में ढेर सारे परिवर्तन
प्रदीप सिंह- पिछले दिनों एक लेख में आपने मोदी जी को सबसे बड़ा रिफॉर्मर बताया था। ये किस आधार पर, किन बातों के आधार पर बताया गया था?
अमित शाह- मोदी जी ने देश की ढेर सारी समस्याओं को उनके मूलभुत स्वरुप, मतलब कि उनके पारम्परिक स्वरुप से हट कर देखा और उसका समाधान किया। यही तो रिफार्म है। जैसे गरीबी उन्मूलन। इसी प्रकार से आर्थिक सुधारों में। कोई समझता ही नहीं था कि इज ऑफ़ डूइंग बिजनेस के बगैर ये देश उत्पादन का केंद्र बन ही नहीं सकता। इस देश के साठ करोड़ लोग अगर देश की अर्थव्यवस्था से नहीं जुड़े, बैंक एकाउंट ही नहीं हैं, तो इस देश की शतप्रतिशत ऊर्जा का उपयोग हो ही नहीं सकता। तो इसके लिए उन्होंने रिफॉर्म किये हैं और ढेर सारे रिफॉर्म किये हैं। मैं सिर्फ रक्षा और आंतरिक सुरक्षा के बारे मे बताता हूँ। 370… फिर सीएए, इसके बाद उत्तर-पूर्व के अंदर आतंकवाद को खत्म करने के लिए ढेर सारे समझौते किये, ब्रू-पुनर्वसन, कारबी-ओंग्लोंग शांति समझौता, बोडो समझौता, नक्सलवाद पर नकेल कसने के लिए एक मल्टी- डायमेंशनल रणनीति का इम्प्लिमेन्टेशन करना। उन्होंने हर क्षेत्र- सुरक्षा, आर्थिक, सामाजिक न्याय, समाज कल्याण, गरीबी उन्मूलन की दिशा में ढेर सारे परिवर्तन किये। इसी प्रकार से कृषि को प्राथमिकता देना। मैं मानता हूँ ये देश के लिए बहुत बड़ा रिफॉर्म है।
तीन नये कृषि कानून
प्रदीप सिंह- ये तीन कृषि कानून भी उसी का हिस्सा हैं?
अमित शाह- उसी का हिस्सा हैं। और इसके अलावा आप बजट में बढ़ोतरी देख लीजिए। कृषि क्षेत्र के लिए बजट मे कितनी बड़ी बढ़ोतरी हुईं है। ढेर सारे परिवर्तन किए हैं। आर्थिक सुधारों को मैं यहाँ इसलिए नहीं बताना चाहता हूँ कि बहुत बड़ी सूची है उसमें- बैंकिंग, एफडीआई पॉलिसी, जीएसटी, कॉर्पोरेट टैक्स को घटाने, इंशुरेंस, डिफेन्स एफडीआई का परिवर्तन, ओर्डीनेन्स फैक्ट्री बोर्ड का कॉर्पोरेटाइजेशन से लेकर सहकारिता मंत्रालय के गठन तक। ढेर सारे सुधर सुधार हैं। नोटबन्दी ले लीजिये, जीएसटी ले लीजिये। आज आपको अगर रिफंड लेना है तो कोई इनकम टैक्स ऑफिस या कोई लॉयर ऑफिस मे जाने की जरूरत नहीं… वो सीधे आपके एकाउंट मे आ जायेगा। आज आपका इनकम टैक्स असेस्मेंट कहाँ गया वो आपको भी पता नहीं होता… और कोई लायेर या सीए अब आपसे कह नहीं सकता कि उसे मैनेज करना है लाइए इतने रूपये। वो आटोमेटिक आपके मेल पर आ जायेगा और आपका असेस्मेंट हो जायेगा। इस प्रकार की ढेर सारी व्यवस्थाएं हैं। कोई कम्पनी रजिस्टर करनी है तो कहीं जाने की जरुरत नहीं, ऑन लाइन ही कंपनी रजिस्टर हो जाती है। आप एक नाम डालोगे तो तीन दिन में जवाब आ जायेगा कि ये नाम तो पहले से रजिस्टर्ड है, दूसरा नाम लाइए। जिसके लिए पहले क्युमिलेटिव इफ्फेक्ट से देखें तो अरबों खरबों रूपये घूस ली जाती थी। राशि छोटी-छोटी होती थी मगर अर्थतंत्र पर, काले धन के अर्जन मे क्युमिलेटिव इफ्फेक्ट की दृष्टि से वह बहुत बड़ी होती थी। ढेर सारे रिफार्म किये हैं हमने। और ये जो दो कांसेप्ट हैं- आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इण्डिया- इसके लिए पीएलआई स्कीम लाना, कस्टम ड्यूटी को ऊपर नीचे करके भारत के अन्दर उत्पादन के लिए माहौल बनाना, विश्व की स्पर्धा मे खड़े रहने के लिए गुणवत्ता अच्छी करने के लिए सरकारी योजनाएं बनाना, किन-किन चीजों मे हम दुनिया के बाजार में अच्छे से जा सकते हैं उसको आइडेंटीफाई करके उसके लिये स्पेशल पैकेज बनाना, स्पेशल एरिया आइडेटीफिकेशन। बड़े टेक्सटाइल पार्क के निर्माण का आज ही कैबिनेट मे निर्णय हुआ है। इससे हमारी कृषि भी बेहतर होगी, रोजगार भी मिलेगा और एक्सपोर्ट भी बढ़ने वाला है। ढेर सारे रिफार्म मोदी जी ने किये हैं ऐसे।
हम ग्यारहवें से पांचवे-छठे स्थान पर यूं ही नहीं पहुंचे
प्रदीप सिंह– एक लेख मे आपने इस बात का भी जिक्र किया था कि साठ साल में जितने आर्थिक सुधार के कार्यक्रम हुए उससे ज्यादा बीते छह साल मे मोदी जी ने किये हैं?
अमित शाह- साठ साल में हुए आर्थिक सुधारों से ज्यादा सुधार मोदी जी ने छह साल में किये हैं- ये सही बात है। इसलिए ही अर्थव्यवस्थाओं में ग्यारहवे से हम छठे पायदान पर पहुंचे हैं। पांच-छह में ऊपर-नीचे होता रहता है। एक लाख सत्रह हजार करोड़ का जीएसटी… और डायरेक्ट टैक्स मे इतनी बढ़ोतरी! टैक्स देने वाले करदाताओं की संख्या में बढ़ोतरी, हर पैमाने से देखिये। मुझे भरोसा है कि ये जो सुधार किये हैं, चाहे एनसीएलटी (राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण) का कानून हो, बैंक के स्ट्रिक्ट नार्म्स बनाने की बात हो या ब्याज दर में कमी करने की- हर चीज का परिणाम अब मिलने लगा है। कोरोना का गतिरोध अगर न आया होता तो आज हम बहुत अच्छी जगह होते, लेकिन ये (करोनकाल) पूरी दुनिया के लिए है। फिर भी हम सबसे पहले कोरोना के गतिरोध से उबरने वाले अर्थतंत्र हैं। आज हम प्री-कोरोना स्टेज मे ऑलमोस्ट पहुँच चुके हैं।