साथ रहे तो जीतेंगे हम।
डॉ. कुमार विश्वास
कश्मीर खुशहाली के रास्ते पर है। नई व्यवस्था ने वहां यह माहौल पैदा किया कि पिछले साल लगभग 2 करोड़ 80 लाख भारतीय वहां अपने प्रेम के दिन बिताने के लिए गए। मोहब्बत का वक्त बिताने के लिए गए और कश्मीरियों ने उनका हृदय खोलकर स्वागत भी किया। कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा।
महर्षि कश्यप की इस राजधानी का भारत में इतना सुंदर सांस्कृतिक विलय और इतना एकरस होना नापाक पड़ोसी को पसंद नहीं आया और उसने पहलगांव में एक वीभत्स कायराना हमला किया। इस बार हमला उन मासूम बच्चों पर किया गया था जो अपनी शादी के बाद अपनी जिंदगी की सबसे खूबसूरत यादें समेटने के लिए उस बेहद खूबसूरत इलाके में गए थे। जहां डल झील में वो घूम रहे थे। पहलगांव की वादियों में एक दूसरे की आंखों में मोहब्बत तलाश कर रहे थे। ऐसे समय में कुछ बेशर्म, जाहिल और कायर लोगों ने उनको पॉइंट ब्लैंक गोलियां मारी। बेटियों ने अपने सुहाग को अपने सामने उजड़ते हुए देखा।
सबसे गलीच और वाहियात बात यह रही कि गोली मारते समय जब मांओं ने, बेटियों ने कहा कि हमको भी मार दो, पति तो मार दिए। तो उन्होंने कहा कि जाओ तुम्हें इसलिए छोड़ रहे हैं कि मोदी को बता देना। मोदी कौन? किसी पार्टी के नेता? नहीं… 140 करोड़ लोगों के लोकतांत्रिक रूप से चुने हुए सबसे पहले प्रतिनिधि। उन्होंने हमला और चुनौती 140 करोड़ लोगों को दी थी। 140 करोड़ लोगों ने इस हमले की खिलाफ चुनौती को स्वीकार किया। अपने प्रधानमंत्री के पीछे हम सब लोग इकट्ठे हुए और देश की सारी पार्टियों ने, देश के सारे मजहबों ने, सारे धर्मों ने, सारी जातियों ने अपनी सारी बातें भूलकर अपने सारे लोकतांत्रिक मतभेद भूलकर एक स्वर में कहा- हम सरकार के साथ हैं। प्रधानमंत्री जी हम आपके साथ हैं। रक्षा मंत्री जी हम आपके साथ हैं। हम सेना के साथ हैं। मुंहतोड़ जवाब दीजिए।
तैयारी के साथ पहली किश्त अदा कर दी गई है। वो आगे भी होगी। इसमें एक आतंकवादी का परिवार भी मारा गया है। आप सब जानते हैं अजहर मसूद जिसने मुंबई पर हमला कराया और हैंडलर्स के संपर्क में था। वही अजहर मसूद जिसने विस्फोट कराए। वही अजहर मसूद जो पार्लियामेंट पर हमले की मुख्य भूमिका में था। उस अजहर मसूद के परिवार के लोग मारे गए हैं जो वहां आतंकवादियों के साथ रह रहे थे। वे आतंकवादी जो सरहद पार से प्रशिक्षित करके हमारे यहां भेजे जाते रहे हैं। उस गलीज इंसान का कहना है कि इससे पहले तो मैं ही मर जाता। तुम मरोगे लेकिन जहन्नुम की आग इतनी खतरनाक नहीं होती जितनी भारतीय सेना की होगी। तुम सबसे पहले दूसरे बड़े जहन्नुम से गुजरोगे। उसके बाद तुम्हें वहीं पहुंचाएंगे जिनका बदला लेने के लिए तुमने ये सब हरकतें की थी।
हमारी सेना ने बहुत नियोजित, बहुत वैज्ञानिक और वर्षों की मेहनत से तैयार किए गए शोध के बाद पिन पॉइंट अटैक किए जिसमें कोई सिविल अटैक नहीं था। आपका परिवार अंदर रहता था। उसमें कोई औरत मारी गई, जैसा कि आप कहते हैं… और झूठ बोलना आपकी फितरत है। तो ये हमारी जिम्मेदारी नहीं है। आप आतंकवादियों के छिपने के लिए औरतों बच्चों को शील्ड नहीं बना सकते । हमने नौ जगह पर आतंकवादी इनपुट के साथ हमले किए और हमें सफलता मिली।
अब हमारी जिम्मेदारी शुरू होती है क्योंकि यह युद्ध तीन-चार मोर्चों पर लड़ा जाएगा, और यह युद्ध खिंच भी सकता है। एक मोर्चा है सैनिक का, जो अपनी लड़ाई अच्छे से लड़ रहा है। दूसरा मोर्चा है स्क्रीन का, जिस पर हम और आप एक दूसरे को देख रहे हैं। टेलीविजन का, न्यूज़ चैनल्स का, यूट्यूब का, इंस्टा की रील्स का। हम सबको अपना-अपना मोर्चा संभालना है क्योंकि आज पूरा देश पूरे लाम पर है। जो जहां पर है, वतन के काम पर है। अगर मेरे गांव का एक लड़का वहां लड़ रहा है। अगर मेरे घर की बेटियां सोफिया कुरैशी और मेरी बहन व्योमिका सिंह अगर राफेल में बैठकर आकाश की रक्षा कर रही हैं, तो मेरे घर की बाकी बच्चियों को, उनकी बहनों को, उनकी मांओं को और हम सब जो उनके भाई हैं, जो उनके पिता हैं… हमें अपना युद्ध लड़ना पड़ेगा।
देश के ब्रॉडकास्टरों, न्यूज़ चैनल वालों से निवेदन है आप सबकी होली, आप सबकी दिवाली, आप सबके नए साल हमने खूब अच्छे मनाए हैं। हम सब लोगों ने काम करके भी और देख के भी आपको खूब टीआरपी बटोर कर दी है। वह हम फिर बटोर लेंगे। लेकिन न्यूज़ रूम में अगर कोई भी खबर आप चलाएंगे तो एक एंगल आप सदा अपनी आंखों में लगातार रखिए कि इस खबर का दूसरे पक्ष पर क्या प्रभाव पड़ेगा। इस खबर से देश की राष्ट्रीय एकता कैसे प्रभावित होगी? कोई दूसरा इस खबर का दुरुपयोग करेगा या नहीं करेगा। ये मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि मैं इससे गुजर चुका हूं। पहलगांव से पहले जब सेना ने अंदर घुसकर पहली सर्जिकल स्ट्राइक की थी तो मेरे साथ यही संघर्ष हुआ था। लोग सेना से सबूत मांग रहे थे और मैं कह रहा था हर हाल में सेना के साथ खड़ा होना है। उन लोगों के सबूत मांगने का उपयोग पाकिस्तान ने पूरी दुनिया में जाकर किया।
हम कोई भी ऐसा काम नहीं करेंगे जिससे हमारा नापाक पड़ोसी या हमसे नाराज कुछ मुल्क, विदेशी ताकतें हमारी किसी भी चीज का इस्तेमाल कर सकें। विशेष रूप से इंडिपेंडेंट कंटेंट पैदा करने वाले हम सब लोग जिनको दुनिया बहुत मानती है। हम अपने यूट्यूब लाइक्स के लिए, इंस्टाग्राम लाइक्स के लिए, एक्स (पूर्व ट्विटर) पर कुछ काम करने के लिए कोई भी अनऑथराइज्ड, अनवेरिफाइड चीज नहीं डालेंगे। भारतीय सेना, एडीजीपीआई, भारत का प्रसारण मंत्रालय, भारत की सरकार प्रमाणित करके जो चीज हमें देगी, हम उसे ही चलाएंगे। हम सब जानते हैं कि क्या हो रहा है? सबको अंदाजा है।
मेरा पाकिस्तानी आवाम से भी अनुरोध है कि हम और आप 78 साल पहले एक साथ आजाद हुए थे। देखिए कि आपका पड़ोसी हमसाया कहां खड़ा हुआ है और आप कहां खड़े हुए हैं। ये सिर्फ इसलिए क्योंकि हमने अपने लोकतंत्र की रक्षा की। हम अपने नेताओं, अपनी सरकारों की आलोचना कर पाए। हमारी सेना ने कभी हमारे लोकतांत्रिक हितों में हस्तक्षेप नहीं किया। हमने अपनी सेना को पूरी दुनिया में सबसे इज्जतदार सेना बनाया। हमने उसके सर्वोच्च पद के चयन की जिम्मेदारी भी उन्हीं के हाथ में सौंपी लोकतांत्रिक रूप से। हम किसी पेंटागन से, किसी चीन के आका की जूतियों पर टिके हुए सेना ध्यक्ष तैयार नहीं करते। हमारे यहां अपने पुरुषार्थ से, अपनी सेवा से, अपनी प्रतिभा से व्यक्ति ऊपर तक पहुंचता है। हमने अपने नेताओं की आंखों में आंख डालकर सवाल पूछना शुरू किया था। यही कारण है कि आज हम प्रगति में दुनिया की चौथी बड़ी अर्थशक्ति हैं। सुपर पावर बन गए हैं। और आप अभी भी आटे के लिए परेशान हैं। अभी भी घुसपैठ करने में लगे हुए हैं।
यह वक्त है कि आप अपनी इस सेना से सवाल पूछिए। आपके यहाँ युद्ध की भनक लगते ही फ़ौज अपने जनरलों की बीवियों और बच्चों को सबसे पहले लंदन भेज देती है। आप सब जानते हैं कि आप जिनके पीछे खड़े हुए थे उसके परिवार के लोग कहां हैं। आप परवेज मुशर्रफ के पीछे खड़े हुए थे। वो कहां चले गए। आप जानते हैं कि आपकी सेना के सारे बड़े जनरल्स के सारे पैसे विदेशों में जमा हैं। यह वक्त है उनसे छुटकारा पाने का, क्योंकि आप पर कोई हमला नहीं हुआ है। अगर जंग हुई भी, अगर कंफ्रेशन हुआ भी, तो भारत जंग अपने उसूलों के साथ लड़ेगा और केवल सेना के साथ कंफ्रंट करेगा। तो आप सबके पास भी मौका है। हमारे पास भी मौका है।
इस मौके का फायदा लेते हुए मैं अपने बलूच भाइयों को गले से लगाना चाहता हूं। उन्होंने बहुत खून दिया है। उनके ऊपर बहुत अत्याचार हुआ है। यही वक्त है कि वे अपनी अस्मिता की रक्षा करें। मैं ऐसी आशा करता हूं, ईश्वर से प्रार्थना करता हूं, मैं इसे अल्लाह ताला से प्रार्थना करता हूं कि मैं एक स्वतंत्र बलोच राष्ट्र बहुत जल्दी देखूं और बलोच भाइयों से मिलने के लिए मैं उस देश का वीजा लेकर वहां जाऊं और वो इस प्यारे मुल्क में आए। मैं आपके अफगान भाइयों से भी कहना चाहता हूं जो माता गांधारी का देश है कंधार प्रदेश, जो महर्षि पाणिनी का देश है… जहां से हमारे हजारों हजार साल पुराने रिश्ते हैं… आपका भी खून बहाया है इसी नापाक फौज ने। यही मौका है इनसे बदला लेने का। इकट्ठे हो जाइएगा। इन्हें हर मोर्चे पर पराजित कीजिए।
नापाक फौज के उन सिपाहियों से मैं कहना चाहता हूं अपने इस अहमक, जाहिल और पागल जनरल के कहने पर अपनी जान कुर्बान मत कीजिए। याद कीजिए पिछले सारे युद्ध। आप तो जानते ही हैं चाहे वो आपको कुछ पढ़ाएं:
हमने भेजे हैं सिकंदर सर झुकाए, मात खाए।
हमसे भिड़ते हैं वे जिनका मन धरा से भर गया है।
नर्क में तुम पूछना अपने बुजुर्गों से कभी भी
उनके माथे पर हमारी ठोकरों का ही निशा है।
तो हम सब सरकार जो जो बताएगी उसका पालन करेंगे। नागरिक नियमों का पालन करेंगे। कहीं भी कोई आपत्ति आएगी तो यह भूलकर कि हम किस वर्ग से हैं, किस जाति से हैं, किस धर्म से हैं, किस पार्टी से हैं… एक साथ इकट्ठे होंगे। दवाइयां पहुंचाएंगे, सहायताएं पहुंचाएंगे, भोजन पहुंचाएंगे। इस देश ने बहुत बड़ी-बड़ी चुनौतियों का सामना किया है। विश्व की बहुत बड़ी ताकतों की आंख में इस देश की प्रगति किरकिरी की तरह गढ़ रही है। उन्होंने अपने चूहे का इस्तेमाल किया है बिल खोदने के लिए। इस बार बिल का दरवाजा भी बंद करेंगे और चूहे को पकड़ कर सरेआम चौक पर लटकाएंगे भी। इस जिम्मेदारी में साथ रहिएगा। हम साथ रहे तो जीतेंगे।
(लेखक जाने माने कवि और मोटिवेशनल स्पीकर हैं)