आपका अखबार ब्यूरो।
शनिवार, 17 अप्रैल 2021 को पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों के पांचवें चरण का मतदान चल रहा है। मतदाता छह जिलों की 45 सीटों पर अपने प्रतिनिधि चुनने के लिए वोट डाल रहे हैं। इससे पहले, कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शेष तीन चरणों के चुनाव एक ही दिन कराने की मांग की थी। लेकिन चुनाव आयोग ने यह साफ कर दिया है कि शेष तीन चरणों के चुनाव भी निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही होंगे। हालांकि आयोग ने चुनाव प्रचार की अवधि कम करने का फैसला लिया है। इस सम्बंध में पश्चिम बंगाल विधानसभा का चुनाव लड़ रहे राजनीतिक दलों की एक बैठक भी आयोग ने शुक्रवार, 16 अप्रैल को बुलाई थी। इस बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा हुई और चुनाव आयोग ने कई निर्देश भी राजनीतिक दलों के दिए।
चुनाव प्रचार का समय कम हुआ
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने चुनावी रैलियों में सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों के उल्लंघन को लेकर चुनाव आयोग की खिंचाई की थी। न्यायालय ने चुनाव आयोग से चुनाव दौरान कोविड नियमों का पालन सख्ती से कराने को कहा था। इसे ध्यान में रखते हुए आयोग ने सभी दलों की बैठक बुलाई थी। इस बैठक के बाद चुनाव प्रचार का समय घटाकर 9 घंटे कर दिया है। अब प्रचार सिर्फ दिन के 10 बजे से शाम के 7 बजे तक ही होगा। राजनीतिक दल शाम के सात बजे के बाद और दिन के 10 बजे के पहले चुनाव प्रचार नहीं कर सकेंगे। मतदान के पहले चुनाव प्रचार बंद करने की अवधि भी चुनाव आयोग ने 48 घंटे से बढ़ाकर 72 घंटे कर दी है। आज के मतदान के लिए भी चुनाव प्रचार बुधवार, 14 अप्रैल को शाम छह बजे ही समाप्त कर दिया गया था।
चुनाव आयोग ने दिए हैं कई निर्देश
चुनाव आयोग ने कहा है कि कोरोना गाइडलाइन का उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। आयोग ने बैठक में कहा कि प्रत्याशियों और दलों को कोरोना प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करना होगा। अगर किसी ने इसकी अनदेखी की, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए आपराधिक केस भी दर्ज कराया जा सकता है। आयोग ने यह निर्देश भी दिया कि ये आयोजकों की जिम्मेदारी होगी कि किसी भी सभा या रैली आदि में भाग लेने वाले लोगों को मास्क और सैनिटाइजर वे उपलब्ध कराएं। यह खर्च प्रत्याशी के चुनाव खर्च में जुड़ेगा, साथ ही चुनाव खर्च निर्धारित सीमा में ही होना चाहिए। आयोग ने यह भी कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान सभी दलों के स्टार प्रचारकों, नेताओं, प्रत्याशियों और उनके समर्थकों को भी मास्क पहनना होगा। सुरक्षित दूरी का पालन करना होगा और जरूरत पड़ने पर भीड़ को नियंत्रित करने के उपाय भी करने होंगे।
चुनाव आयोग ने नहीं मानी तृणमूल कांग्रेस की मांग
बैठक से पहले तृणमूल कांग्रेस ने कोरोना के वर्तमान हालात को देखते हुए चुनाव तीन चरणों (22, 26 और 29 अप्रैल) के चुनाव एक साथ कराने की मांग की थी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि जनहित में आगे के तीन चरणों के चुनाव एक ही साथ निपटा दिए जाने चाहिए। तृणमूल के सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने भी ट्वीट किया था- “तृणमूल का मत साफ है। हम जिंदगियां बचाना चाहते हैं। एक चरण… भाजपा कितने चरण चाहती हैः एक, दो, तीन, चार। दुनिया को बताए।” लेकिन चुनाव आयोग ने इस मांग को खारिज कर दिया।
भाजपा ने किया तृणमूल की मांग का विरोध
पश्चिम बंगाल में आखिरी तीन चरण के चुनाव एक साथ कराने के सुझाव का भाजपा ने विरोध किया है। चुनाव आयोग द्वारा बुलाई गई बैठक में भाजपा ने कहा कि इससे मतदाताओं और प्रत्याशियों को नुकसान होगा। भाजपा की ओर से बैठक में इंडिया टूडे के पूर्व संपादक और पूर्व राज्यसभा सांसद स्वप्नदास गुप्ता गए थे। वे विधानसभा चुनाव भी लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी नहीं चाहती है कि लोकतांत्रिक मूल्यों को किसी भी प्रकार से चोट पहुंचे। उन्होंने कहा, “हमने चुनाव आयोग को सलाह दी है कि लोकतांत्रिक परंपरा का पालन किया जाए और कोरोना वायरस गाइडलाइन के पालन को भी सुनिश्चित किया जाए। हमने चुनाव आयोग को आश्वासन दिया है कि पार्टी कोरोना गाइडलाइन का पालन करेगी, जिसे चुनाव आयोग ने तय किया है। हमारी अपील है कि ऐसा कोई कदम न उठाया जाए, जो उन मतदाताओं से भेदभाव करता हो, जहां अभी वोटिंग होनी बाकी है। जिन जगहों पर मतदान हो चुका है और जहां होना है, उन सभी स्थानों के लिए एक-से नियमों का पालन किया जाना चाहिए।”
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के शेष तीन चरणों में 114 सीटों के लिए 22 अप्रैल, 26 अप्रैल और 29 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे। चुनाव के नतीजे 2 मई को आएंगे।