कश्मीर घाटी से भारतीय जनता पर्टी के पहले मुस्लिम नेता माने जाने वाले मोहम्मद अशरफ आजाद सुप्रीम कोर्ट के फैसले से खुश नजर आ रहे हैं। उनका कहना है कि आर्टिकल 370 ने क्षेत्र के युवाओं का सिर्फ नुकसान ही किया है। खास बात है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मेहमान के तौर पर आजाद के घर जा चुके हैं। सोमवार को शीर्ष न्यायालय ने अनुच्छेद 370 को रद्द करने वाले फैसले को बरकरार रखा है।
बातचीत में आजाद ने कहा, ‘जब सरकार ने 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 खत्म किया था, तब मैंने सरकार को बधाई दी थी। अब मैं सुप्रीम कोर्ट को बधाई दूंगा, क्योंकि इसने क्षेत्र के युवाओं का सिर्फ नुकसान किया है। राजनेताओं ने अपने फायदे के लिए इसका गलत इस्तेमाल किया है। मुझे पीएम मोदी जी और गृहमंत्री अमित शाह जी पर पूरा भरोसा है कि हमें राज्य का दर्जा मिलेगा और युवाओं का उज्जवल भविष्य होगा।’

हिंसा पर क्या बोले

जब उनसे सवाल किया गया कि फैसले पर घाटी में क्या प्रतिक्रिया थी, तो उन्होंने हिंसा की बात से इनकार किया। उन्होंने कहा, ‘5 अगस्त 2019 को जब आर्टिकल को खत्म किया गया, तब कोई हिंसा नहीं हुई थी। वैसा ही आज रहा। जो लोग पहले हिंसा करते थे अब आज अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं।’ उन्होंने राजनेताओं पर भी सवाल उठाए।

उन्होंने कहा, ‘जिन राजनेताओं अब तक सरकार चलाई है, उन्होंने युवाओं का गलत इस्तेमाल किया है। उनका परिवार बढ़िया चल रहा है, लेकिन युवा मर रहे हैं। उनकी लंदन, जम्मू और दिल्ली में संपत्ति है, लेकिन युवाओं के पास कोई काम नहीं है। उन लोगों ने सरकारी अनुदान का इस्तेमाल अपना घर बनाने के लिए किया।’

सालों पहले बने बीजेपी नेता

कहा जाता है कि 90 के दशक में वह भााजपा में शामिल हो गए थे। रिपोर्ट के अनुसार, उनका कहना है, ‘मैं 1992 में पहली बार भाजपा नेताओं से मिला, तब वे श्रीनगर के लालचौक पर तिरंगा यात्रा के लिए आए थे। उन्हें सुनने के बाद मुझे एहसास हुआ कि कश्मीर को जन्नत बनाए रखना है, तो मुझे पार्टी से हाथ मिलाना होगा। वे जो वादा करते हैं, उसे पूरा करते हैं। जब मैं 1992 में भाजपा में शामिल हुआ, तब मैं जानता था कि जम्मू और कश्मीर से आर्टिकल 370 खत्म होगा।

जब मोदी बने मेहमान

रिपोर्ट के मुताबिक, साल 1993 के दौरान मोदी लंबे समय तक आजाद के हकरमुल्ला गांव के घर में भी रहे थे। आजाद का कहना है कि मोदी मांस, मछली या चिकन नहीं खाते और वे सिर्फ दाल और रोटी ही खाते थे। उन्होंने कहा, ‘इसके खत्म होने के बाद मैंने 9 अगस्त 2019 को कश्मीरी युवाओं को बधाई दी थी। मैं पीएम मोदी से भी मिला था। वह जानते हैं कि मैं एक भारतीय सिपाही हूं, जो क्षेत्र के लिए कुछ करना चाहता है।’

खास बात है कि वह खुद को पीएम मोदी के ‘कश्मीर में कुछ ही दोस्तों’ में से एक बताते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, उनका कहना है कि अनुच्छेद 370 के हटने के बाद पत्थरबाजी, प्रदर्शन और बंद अब नहीं होते हैं। उन्होंने कहा, ‘पहले मुख्य काम भारत को लूटना और पाकिस्तान की मदद करना है। सैयद सलाहुद्दीन और मैं एक ही गांव के हैं। वो पाक चला गया और आतंकी गतिविधियों में शामिल हो गया। मैं यहां आ गया और नेता बन गया।

कौन हैं मोहम्मद अशरफ आजाद

मोहम्मद अशरफ आजाद बड़गाम जिले के हकरमुल्ला गांव के रहने वाले हैं। आजाद को पीएम नरेंद्र मोदी का खास दोस्त बताया जाता है। जानकारी के अनुसार पीएम मोदी 1993 में जब कश्मीर आए थे तो वो उनके घर पर रुके थे। आजद के हकरमुल्ला गांव वाले घर पर मोदी लंब समय तक रुके थे। आजाद 1992 में बीजेपी में शामिल हुए थे। उसके बाद बीजेपी का कोई भी नेता जब कश्मीर आता था तो उनसे मुलाकात जरूर करता था।

संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘विनबैक्स’ के लिए हनोई पहुंची भारतीय सेना की टुकड़ी

बीजेपी में क्यों हुए शामिल

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जब 1992 में बीजेपी के नेता श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा यात्रा के लिए आए थे तो उनके साथ कुछ ऐसा हुआ कि उन्होंने बीजेपी में जाने का सोच लिया। दरअसल आजाद कश्मीर के हालात से काफी दुखी थे और उन्हें बीजेपी की इस यात्रा से अहसास हुआ कि अगर कश्मीर को जन्नत बनाना है तो उन्हें इस पार्टी से हाथ मिलाना चाहिए। बस फिर क्या था आजाद ने 1992 में बीजेपी की सदस्यता ले ली।

‘पता था ऑर्टिकल 370 खत्म होगा’

एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में मोहम्मद अशरफ आजाद ने कहा कि जब उन्होंने बीजेपी ज्वाइन की थी तो उन्होंने पता था कि कश्मीर से एक दिन आर्टिकल 370 खत्म होगा। 1993 में उनकी पीएम मोदी के साथ मुलाकात हुई थी। इस दौरान उनके बातचीत से पीएम मोदी को एहसास हुआ था कि ‘विशेष दर्जे’ का जुनून अभिजात वर्ग तक ही सीमित था। यहां की जनता बेरोजगारी और भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं से चिंतित थी।(एएमएपी)