प्रमोद जोशी।
पिछले कुछ समय से पाकिस्तान सरकार इस बात को लेकर बेचैन है कि अमेरिका उससे नाराज है। अमेरिका के नए राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अभी तक प्रधानमंत्री इमरान खान से फोन पर बात नहीं की है। इस परेशानी की वजह अफगानिस्तान है। अमेरिका को लगता है कि पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में डबल गेम खेला है। लगता यह है कि यह डबल गेम अब भी चल रहा है। इसका नवीनतम उदाहरण अमेरिकी वायुसेना को अफगानिस्तान में कार्रवाई करने के सिलसिले में अपनी हवाई सीमा के इस्तेमाल से जुड़ा है।


वह गर्व अब कहां?

अमेरिका ने अफगानिस्तान से जाते-जाते अफगानिस्तान में कार्रवाई करने के लिए पाकिस्तानी हवाई अड्डे का इस्तेमाल करने की अनुमति माँगी थी, जिसे देने से पाकिस्तान सरकार ने न केवल इनकार किया, बल्कि बड़े गर्व से इसकी घोषणा की थी। अब सीएनएन ने खबर दी है कि पाकिस्तान ने अपनी हवाई सीमा का इस्तेमाल करने पर हामी भर दी है, जिसका औपचारिक समझौता जल्द हो जाएगा।

समझौते की बात

सीएनएन के अनुसार बाइडेन प्रशासन ने अपने सांसदों को बताया कि इस आशय का औपचारिक समझौता होने वाला है। अमेरिकी प्रशासन ने शुक्रवार को सांसदों को सूचित किया कि उनका अफगानिस्तान में सैन्य और खुफिया अभियानों के संचालन के लिए पाकिस्तान से उसके हवाई क्षेत्र के इस्तेमाल के लिए पाकिस्तान के साथ एक समझौते को औपचारिक रूप देने के करीब है। सीएनएन ने कांग्रेस के सदस्यों के साथ खुफिया ब्रीफिंग के विवरण से परिचित तीन स्रोतों का हवाला देते हुए इसकी जानकारी दी। उधर पाकिस्तान सरकार के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि ऐसा कोई समझौता नहीं होने वाला है।

पाक की शर्त

अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि पाकिस्तान ने आतंकवाद विरोधी अपने अभियान और भारत के साथ रिश्ते सुधारने में मदद करने की शर्त पर अमेरिका के साथ एक मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग पर हस्ताक्षर करने की इच्छा व्यक्त की है। यह बात सीएनएन ने अपने एक स्रोत के माध्यम से बताई है। एक दूसरे स्रोत ने बताया कि बातचीत अभी चल रही है और शर्तें अभी तय नहीं हैं। शर्तें बदल भी सकती हैं।

अमेरिका की दिलचस्पी

अफगानिस्तान में अमेरिका की दिलचस्पी इस्लामिक स्टेट-खुरासान (आईसिस-के) तथा दूसरे गुटों के खिलाफ कार्रवाई करने में है। अमेरिकी सेना इस समय भी पाकिस्तानी हवाई सीमा का इस्तेमाल अफगानिस्तान पर टोही उड़ान भरने के लिए कर रहा है, पर ऐसा किसी औपचारिक समझौते के तहत नहीं हो रहा है।

हवाई कॉरिडोर की जरूरत

अमेरिका को अफगानिस्तान में बचे अपने शेष नागरिकों को निकालने के लिए भी हवाई कॉरिडोर की जरूरत है। अफगानिस्तान में अभी 200 के आसपास अमेरिकी नागरिक हैं। हाल में पाकिस्तान आए अमेरिकी अधिकारियों ने इस समझौते के सिलसिले में बात की थी। पर अभी यह स्पष्ट नहीं है कि पाकिस्तान बदले में क्या चाहता है और अमेरिका इस सेवा की कितनी कीमत देना चाहता है। चूंकि औपचारिक समझौता नहीं है, इसलिए पाकिस्तान किसी भी समय अमेरिका को मिली सुविधा खत्म कर सकता है।

रूस को आपत्ति

अमेरिका वायु-मार्ग के लिए उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान के साथ भी बातचीत कर रहा है, पर उसमें रूस को आपत्ति है। हाल में अमेरिका की उप विदेशमंत्री वेंडी शर्मन ने भारत, पाकिस्तान के अलावा उज्बेकिस्तान का दौरा भी किया था।

अमेरिकी सरकार का सांसदों को जवाब

अफगानिस्तान में तालिबानी शासन आने के पहले जुलाई के महीने में राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा था कि अफगानिस्तान की जमीन से अमेरिकी सेना के हट जाने के बाद भी हम देश पर अपनी पकड़े बनाए रखेंगे। हम आतंकवाद के विरुद्ध आकाश-मार्ग से निगाह रखेंगे और अमेरिकी हितों के विरुद्ध जाने वाली गतिविधियों के विरुद्ध कार्रवाई करेंगे। अब अमेरिकी सांसदों ने सरकार से पूछा है कि आपके उस वचन का क्या हुआ। इसके जवाब में ही सरकार ने कहा है कि हम पाकिस्तान के साथ समझौता करने जा रहे हैं।

पाकिस्तानी बयानों की हकीकत

बहरहाल सीएनएन की खबर प्रकाशित होने के बाद पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करके कहा है कि दोनों देशों के बीच इस प्रकार की कोई सहमति नहीं है। पर पाकिस्तान सरकार के बयानों में दम नहीं होता, क्योंकि वे फौरन बदल भी जाते हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। आलेख जिज्ञासा से)