उल्लेखनीय है कि सीएए कानून चार साल पहले ही दिसंबर 2019 में संसद से इसे पास किया जा चुका था लेकिन लागू अब किया गया है। गृह मंत्रालय की अधिसूचना के मुताबिक, नागरिकता (संशोधन) नियम, 2024 के तहत नागरिकता पाने के इच्छुक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों को ऑनलाइन मोड में आवेदन करने होंगे। इसके लिए एक वेब पोर्टल उपलब्ध कराया गया है।
भारतीय नागरिकता कानून – 1955 में अब तक कुल छह बार संशोधन किया जा चुका है। आखिरी बार दिसंबर 2019 में संशोधन हुए थे, जिसके तहत तीन देशों से आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है। सीएए के नियमों के मुताबिक ऐसे लोगों को नागरिकता मिलने के बाद उसी दिन से भारत का नागरिक माना जाएगा, जिस दिन उन लोगों ने भारत में एंट्री की थी। नियमों के मुताबिक, ऐसे भारतीय नागरिकों को वोट डालने से लेकर चुनाव लड़ने तक का लाभ मिल सकेगा।
सीएए से नागरिकता मिलने के ये है फायदे
वोट डालने का अधिकार
नागरिकता संशोधन कानून के तहत गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिलने के बाद उन्हें चुनावों में वोट डालने का अधिकार मिल जाएगा। संविधान के मुताबिक भारत में सिर्फ वही वोट डाल सकते हैं, जो यहां के नागरिक हैं।
चुनाव लड़ने का अधिकार
तीनों मुल्कों से आए गैर मुस्लिमों को सीएए कानून से नागरिकता मिलने के बाद वोट डालने के अलावा उन्हें चुनाव लड़ने का भी अधिकार मिल जाएगा। इस तरह कोई भी ऐसा गैर मुस्लिम शरणार्थी जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आया है, वह सांसद, विधायक या पार्षद बन सकता है।
सरकारी योजनाओं का लाभ और संवैधानिक पद धारण
सीएए से नागिरकता मिलने के बाद ऐसे नागरिक भी देशभर में कल्याणकारी सामाजिक योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे। मसलन, राशन कार्ड, गैस, बिजली, पानी, उज्ज्वला योजना, आयुष्मान योजना, पीएम आवास योजना जैसी सरकारी स्कीम का लाभ उठा सकेंगे। इतना ही नहीं ऐसे नागरिक किसी भी संवैधानिक पद पर भी नियुक्त हो सकेंगे।
मौलिक अधिकार
भारतीय संविधान के तहत भारत के नागरिकों को सात मूल अधिकार प्रदान किए गए हैं। सीएए कानून के तहत नागरिकता पाने के बाद इन गैर मुस्लिमों को भी देश में समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धर्म, संस्कृति एवं शिक्षा की स्वतंत्रता का अधिकार, संपत्ति का अधिकार तथा संवैधानिक उपचारों का अधिकार मिल सकेगा।
सीएए का कई राज्यों में विरोध, लेकिन ऑल इंडिया मुस्लिम जमात ने किया स्वागत
कुछ पाबंदियां भी रहेंगी
संविधान के तहत, भारत का नागरिक कहीं भी जाकर बस सकता है। लेकिन संविधान की छठी अनुसूची में पूर्वोत्तर के राज्यों के लिए कुछ विशेष प्रावधान किए गए हैं। इसके तहत भारत का नागरिक इन पूर्वोत्तर राज्यों में न तो जमीन खरीद सकता है और न ही स्थायी रूप से बस सकता है। पूर्वोत्तर राज्यों में जमीन खरीद-बेचने और स्थायी रूप से बसने का अधिकार यहां के मूल निवासियों को ही है।(एएमएपी)