सोरोस बट्टे हैं, तो क्वात्रोची चट्टे थे ‘पार्टी’ के!

के. विक्रम राव।
पूर्वी यूरोप का एक यहूदी जो कभी बुडापेस्ट में रेलवे कुली और होटल बियरर था अब खरबपति दलाल बनकर नरेंद्र मोदी की सरकार उखाड़ने में ओवरटाइम कर रहा है। नाम है जॉर्ज सोरोस। यह अमेरिकी सटोरिया आज बड़ा सफल स्टॉक निवेशक, व्यापारी और राजनेता बन बैठा है। उसकी मदद के लाभार्थी हैं राहुल गांधी और कुछ कांग्रेसी सांसद। पिछले विश्व युद्ध के दौरान इस बिचौलिए, सूद पर राशि देने वाले धनपशु ने मोदी को “लोकतंत्र का शत्रु” करार दिया है।

बुडापेस्ट (हंगरी) में जन्मे, एस्पेरांटिस्ट लेखक तिवाडर सोरोस के जॉर्ज पुत्र हैं। प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान वे युद्धबंदी थे। आखिरकार रूस से भाग कर बुडापेस्ट में अपने परिवार के पास आ ही गए। फासीवाद के 1936 में उदय के साथ यहूदी-विरोधी माहौल हो जाने के कारण परिवार ने यहूदी नाम बदल कर श्वार्ट्ज़ से सोरोस कर लिया। सोरोस का अर्थ “पंक्ति में अगला, या नामित उत्तराधिकारी” है। एस्पेरांतो में इसका अर्थ “ऊंची उड़ान” है।

एक अजीब संयोग है। सोनिया के पिता स्टीफनो माइनो ने द्वितीय विश्व युद्ध में इटली के फाशिष्ट नेता बेनिटो मुसोलिनी के सैनिक बनकर हिटलर की नाजी सेना के साथ मास्को में सोवियत सेना से युद्ध किया था। युद्धबंदी बनाए गए थे। जर्मनी की पराजय होने पर वे रिहा हुए थे।

दलाल जॉर्ज सोरोस जिसका कंधा थामे राहुल गांधी मोदी पर जेहाद छेड़े हुये हैं, अब सोनिया-कांग्रेस के अथक समर्थक हैं।

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सोरोस की एक संस्था है : “फोरम ऑफ डेमोक्रेटिक लीडर्स इन एशिया पेसिफिक (FDLP)” जिससे सोनिया गांधी का सामीप्य है। यह संस्था कश्मीर को एक स्वतंत्र राष्ट्र मानती है। हालांकि अमेरिका ने इन भाजपायी आरोपों को खारिज कर दिया था। मगर तथ्य यही है कि अमेरिकी विदेश मंत्रालय द्वारा वित्तपोषित संगठन और वॉशिंगटन की सरकारी संस्थाओं से जुड़े सारे तत्व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा गौतम अदाणी पर हमलों से भारत को अस्थिर करने के प्रयास कर रहे हैं। ओसीसीआरपी एक मीडिया प्लेटफार्म है जिसका मुख्यालय एम्स्टर्डम में है। ओसीसीआरपी मुख्य रूप से अपराध और भ्रष्टाचार से संबंधित खबरों को कवर करता है।

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राहुल गांधी के “भारत जोड़ो” यात्रा में एक प्रमुख भागीदार का नाम था सलिल शेट्टी। यह कन्नड़-भाषी एक स्वयंसेवी संगठन का शीर्ष पदाधिकारी है। नाम है एमनेस्टी इंटर्नेशनल जो कश्मीर में पाकिस्तान-समर्थक राग अलापता रहता है। इसे शत्रु देशों से बहुत मदद मिलती रहती है। इसके दाताओं में एक विशेष नाम है जॉर्ज सोरोस। इसी व्यक्ति ने गत माह कहा था : “नरेंद्र मोदी का पतन कराया जाएगा। भारत का लोकतांत्रिकरण होगा।” यूं भी जॉर्ज सोरोस का नाम रौशन हो चुका है बैंक ऑफ इंग्लैंड को 1992 में दिवालिया बनवा कर। नतीजे में उसने एक अरब पाउंड का मुनाफा भी कमा लिया था। तो समझ में आ जाएगा कि “भारत जोड़ों” के यात्री का इस “मोदी सरकार तोड़ो” के शिल्पी से क्या रिश्ता है?

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सोरोस के संदर्भ में ही एक इतालवी दलाल का नाम याद आता है : ओत्तावी क्वात्रोची। उसके मार्फत राजीव गांधी ने बोफोर्स तोप के स्वीडन की हथियार कंपनी बोफोर्स से 1987 में भारतीय सेना के लिए तोपे खरीदे थे। अंजाम में राजीव गांधी आम चुनाव हार गए। सरकार 1989 में पलट गई। विश्वनाथ प्रताप सिंह प्रधानमंत्री बन गए।

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उसी दौर में विश्वनाथ प्रतापजी ने मुझे बताया था : “राजीवजी कहते हैं कि विदेशी मदद हमारी सरकार को मिल रही है। राजीवजी तो सुबह का नाश्ता ही विदेशी हाथों से पाते हैं।” संदर्भ राहुल की माताश्री से था। आज उसी इतालवी महिला राजनेत्री, जो दोहरी नागरिकता (इतालवी और भारतीय) पाए हैं, का सोरोस से सामीप्य दिखता है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)