प्रदीप सिंह।
गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल ने अपने पद और कांग्रेस की सदस्यता दोनों से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफा देते हुए उन्होंने कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक पत्र लिखा। उसमें उन्होंने लिखा है कि कांग्रेस किस तरह रास्ते से भटक गई है, कैसे हिंदू विरोधी हो गई है, कैसे गुजरातियों के विरोध में है, सरदार पटेल के विरोध में है। उन्होंने तमाम बातें लिखी और राहुल गांधी का जिक्र करना नहीं भूले। उन्होंने राहुल गांधी का नाम तो नहीं लिया लेकिन कहा कि दिल्ली के एक नेता को चिकेन सैंडविच की ज्यादा चिंता है। पार्टी को जब उनकी जरूरत होती है तब वो विदेश में रहते हैं। जो भी कांग्रेस छोड़कर जाता है राहुल गांधी के बारे में टिप्पणी करना नहीं भूलता है। इससे अंदाजा लगाइए कि पार्टी में राहुल गांधी के बारे में लोगों की क्या सोच है। लेकिन यहां मैं न तो राहुल गांधी की बात कर रहा हूं, न कांग्रेस की बात कर रहा हूं और न राहुल गांधी को लेकर कांग्रेसियों के मन में जो भावना है, उसकी बात कर रहा हूं। आज बात कर रहा हूं हार्दिक पटेल की और भारतीय जनता पार्टी की।
हार्दिक पटेल पाटीदार अनामत आंदोलन का प्रमुख चेहरा थे। गुजरात में पिछले एक-दो या तीन दशकों में इतना बड़ा आंदोलन हुआ, उसका प्रतीक बन गए थे। उनकी छवि एक जाइंट किलर की बन गई थी जिसने एक मुख्यमंत्री को पद से हटा दिया। उस आंदोलन की वजह से आनंदीबेन पटेल को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इस कारण उनकी छवि और बड़ी हो गई थी। पाटीदार समाज में उन्हें सम्मान की नजर से देखा जाने लगा। लेकिन धीरे-धीरे जैसे यह आंदोलन बिखरा उनकी ताकत भी कम होने लगी। इस आंदोलन से जुड़े बहुत से लोग बाद में बीजेपी में शामिल हो गए। उनको समझ में आ गया कि यह आंदोलन उनको कहीं लेकर जाने वाला नहीं है। उस समय जो लोग बीजेपी में शामिल हुए उनको हार्दिक पटेल और उनके साथियों ने जितना परेशान किया उससे सवाल उठता है कि उन्हें भाजपा में क्यों लाया जा रहा है? हार्दिक पटेल के भाजपा में आने की पूरी संभावना है। पिछले कुछ दिनों से वे भारतीय जनता पार्टी की, केंद्र सरकार की, गुजरात सरकार की, प्रधानमंत्री की, केंद्रीय गृह मंत्री की- सबकी प्रशंसा कर रहे हैं। इससे बड़ा स्पष्ट है कि वे बीजेपी में आ रहे हैं और उनकी बातचीत चल रही है। बीजेपी नेता वरुण पटेल जो पाटीदार अनामत आंदोलन के संयोजक थे, उनका कहना है कि बीजेपी का कैडर हार्दिक पटेल को स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने जो झेला है हार्दिक पटेल के कारण उस वजह से वे उन्हें कभी अपने नेता के रूप में स्वीकार नहीं करेंगे।
पटेल को भाजपा क्यों लाना चाह रही?
अब सवाल यह है कि हार्दिक पटेल चीज क्या हैं? वे पाटीदार अनामत आंदोलन के प्रमुख चेहरा थे, बहुत कम उम्र थी इसलिए उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा और ज्यादा जगी हुई थी। कांग्रेस के लोगों का जो कहना है और यह बात उनके कांग्रेस छोड़ने पर नहीं कही जा रही है। कांग्रेस के गुजरात प्रभारी थे राजीव सातव, अब दुनिया में नहीं हैं, कोरोना से उनका देहांत हो गया, उनसे जुलाई 2020 में हार्दिक पटेल ने कहा कि मेरे जन्मदिन पर मुझे राज्यसभा में भेज दो या मुझे गुजरात प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बना दो। 2019 में वे कांग्रेस में शामिल हुए थे और एक ही साल के अंदर वे चाहते थे कि उन्हें कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष बना दिया जाए या राज्यसभा भेज दिया जाए। कांग्रेस ने आखिर में 2021 में उन्हें गुजरात कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया लेकिन वे इससे संतुष्ट नहीं हुए। कांग्रेस के जो प्रदेश के नेता थे उन्होंने भी कभी उन्हें स्वीकार नहीं किया। नतीजा यह हुआ कि कार्यकारी अध्यक्ष का कोई कार्यक्रम गुजरात में हुआ ही नहीं। पार्टी के लोगों ने न तो उनका कोई कार्यक्रम करवाया और न होने दिया। हार्दिक पटेल कोने में पड़े कुढ़ते रहे। इससे ज्यादा कांग्रेस के लिए उन्होंने कुछ किया नहीं। कांग्रेस के लिए किसी चुनाव में वे कारगर साबित हुए हों, उनके कारण कांग्रेस का वोट बढ़ा हो, पाटीदार समुदाय में कांग्रेस की स्वीकार्यता बढ़ी हो, ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। इसके उलट फरवरी 2022 में जब स्थानीय निकाय के चुनाव हुए तब उन्होंने सूरत जाकर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों की मदद की। सूरत में आम आदमी पार्टी के जो कॉरपोरेटर जीते हैं उनमें से अधिकांश संख्या पटेल उम्मीदवारों की है। उनका समर्थन हार्दिक पटेल ने किया। उनकी वजह से वे जीते। कांग्रेस में रहते हुए आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों को जिताने का काम हार्दिक पटेल ने किया। इसलिए बार-बार यह सवाल उठ रहा है कि हार्दिक पटेल भाजपा में क्यों आना चाहते हैं या भाजपा उनको क्यों लेना चाहती है?
कांग्रेस के लिए उपयोगी साबित नहीं हुए
भारतीय जनता पार्टी को 2017 के विधानसभा चुनाव में 1990 के बाद सबसे बड़ा झटका लगा। झटका लगा सौराष्ट्र में। सौराष्ट्र में पाटीदार और दूसरे समाज के लोगों ने पार्टी का साथ नहीं दिया। वहां बीजेपी को बड़ी हार का सामना करना पड़ा था। इस वजह से उसकी सीटें घटकर 99 रह गई थी। हार्दिक पटेल का मामला इतना सीधा नहीं है। हार्दिक पटेल ने जब आंदोलन किया तो उनके आंदोलन को भीतर से समर्थन बीजेपी के नेताओं ने भी किया और उनको आर्थिक मदद भी पहुंचाई। भारतीय जनता पार्टी में पटेल समाज के जो लोग आनंदीबेन पटेल के खिलाफ थे उन्होंने हार्दिक पटेल की भरपूर मदद की। उन्हें जब गिरफ्तार कर जेल भेजा गया तो जेल में भी उनकी मदद होती रही और उन्हें सारी सहूलियतें मिलती रही। उस पूरे आंदोलन का एक पक्ष यह भी था कि वह था तो बीजेपी के खिलाफ लेकिन बीजेपी का एक वर्ग मानता था कि यह आनंदीबेन पटेल के खिलाफ है। उनको हटा देंगे तो सब मामला ठीक हो जाएगा लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं। 2017 के विधानसभा चुनाव के नतीजे बताते हैं कि सब कुछ ठीक नहीं हुआ। आंदोलन की वजह से हार्दिक पटेल की जो छवि बनी और उनका जो रुतबा बढ़ा पूरे देश में तो उनको लगने लगा कि वे बहुत बड़े राष्ट्रीय नेता बन चुके हैं। आपको याद होगा कि वे उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के समय बनारस गए थे लेकिन वहां से लोगों ने उनको भगा दिया। वे गुजरात के बाहर तो क्या गुजरात के अंदर भी कांग्रेस पार्टी के लिए किसी भी तरह से उपयोगी साबित नहीं हुए। कांग्रेस पार्टी उनको इतने दिन से क्यों ढो रही थी यह पता नहीं। एक कारण यह हो सकता है कि कांग्रेस पार्टी के पास गुजरात में पटेल समुदाय का कोई नेता नहीं है। कांग्रेस को मालूम है कि जब तक पटेल समुदाय में उसकी पैठ नहीं बढ़ेगी सत्ता का दरवाजा गुजरात में नहीं खुलने वाला है।
घट गई राजनीतिक हैसियत
इस समय बीजेपी की नजर सौराष्ट्र पर है। बीजेपी 2017 के नतीजे को 2022 में दोहराना नहीं चाहती है। अब मुश्किल से चुनाव में छह महीने बचे हैं। इसलिए पार्टी नेताओं का सबसे ज्यादा कार्यक्रम सौराष्ट्र में हो रहा है। तो हार्दिक पटेल को पार्टी में लाने से क्या होगा, बीजेपी उन्हें क्यों ला रही है, हार्दिक पटेल को लाने की बात काफी समय से चल रही है। उनसे कहा गया था कि आप अपने साथ कांग्रेस के 10-12 विधायकों को लेकर आइए, इससे आपकी ताकत का पता चलेगा। इससे आपके आने का असर होगा। इससे पार्टी कैडर में आपकी स्वीकार्यता बढ़ेगी। जो लोग चाहते थे कि वे 10-12 विधायकों को लेकर आएं, उसी के बरक्स बीजेपी के कुछ लोग यह भी चाहते थे कि इस मिशन में हार्दिक पटेल फेल हो जाएं और कांग्रेस का कोई विधायक उनके साथ ना आए। और आखिर में यही हुआ। हार्दिक पटेल ने 18 मई को इस्तीफा दिया है। उनके साथ कांग्रेस का कोई विधायक अभी तक नहीं आया है। अगर वे 10-12 विधायकों को लेकर भाजपा में आते तो उनकी बड़ी हैसियत होती। अब वे घटे हुए दाम पर आ रहे हैं। उनकी राजनीतिक हैसियत नहीं रह गई है। अभी उनके भाजपा में आने की औपचारिक घोषणा नहीं की गई है। अब फिर से सवाल यह उठ रहा है कि इसके बावजूद बीजेपी उनको क्यों लाना चाहती है? हार्दिक पटेल में ऐसी क्या बात है?
ये है असली वजह
बीजेपी और उसके नेताओं को पता है कि हार्दिक पटेल उसके लिए किसी तरह से उपयोगी नहीं हैं। उनके आने से बीजेपी का वोट बढ़ने वाला नहीं है। पटेल समुदाय में आंदोलन के कारण जो भी नाराजगी थी वह अब दूर हो चुकी है। पटेल समुदाय पूरी तरह से भारतीय जनता पार्टी के साथ है। हार्दिक पटेल को लाने का कारण यह है कि कालिया नाग ने जो फन उठाया था उसके फन को हमेशा के लिए कुचल दिया जाए। भाजपा चाहती है कि वह जो जाइंट किलर की इमेज बनी थी, एक समय यह लगने लगा था कि पाटीदार समाज का सबसे बड़ा नेता और एक युवा नेता उभर कर आया है, हार्दिक पटेल का जो औरा बना था, वह खत्म हो जाए। भारतीय जनता पार्टी में पटेल समुदाय के जो नेता हैं उन्हीं की तरह उनकी कतार में हार्दिक पटेल पीछे खड़े होने वाले हैं। इससे ज्यादा कि अब उनकी हैसियत नहीं रह गई है। अगर वे भाजपा से बाहर रहते तो उनकी छवि का इस्तेमाल कांग्रेस या आम आदमी पार्टी कर सकती थी। आम आदमी पार्टी में भी उनके जाने की बात हो रही थी। वहां यह कोशिश होती कि पटेल समुदाय का इतना बड़ा नेता हमारे साथ आ गया है, उन सब अटकलों पर भाजपा ने विराम लगा दिया है। भाजपा दो रणनीतियों पर चलती है। एक, खुद को मजबूत करना और दूसरा, अपने विरोधी को कमजोर करना। चुनाव से छह महीने पहले हार्दिक पटेल को लाकर, कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष को तोड़कर अपनी पार्टी में लाने से कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरेगा। कांग्रेस अभी तक एक तमगे की तरह इसे लेकर घूमती थी कि पटेल समुदाय का इतना बड़ा नेता उसके साथ है। अब वह नहीं रहा तो कांग्रेस कमजोर हुई और भारतीय जनता पार्टी में जो पटेल समुदाय के नेता हैं उनके लिए कोई मुश्किल नहीं हुई।
राजनीतिक हलकों में कहा जा रहा है कि नरेश पटेल कांग्रेस में आने वाले हैं इसलिए हार्दिक पटेल कांग्रेस छोड़कर चले गए। नरेश पटेल आएंगे या नहीं, पता नहीं लेकिन उनकी राजनीतिक हैसियत क्या होगी यह अभी बंद मुट्ठी है, खुली नहीं है। हार्दिक पटेल जिस दिन भाजपा में आ जाएंगे आप मान कर चलिए कि 2022 का विधानसभा चुनाव हार्दिक पटेल के राजनीतिक जीवन की यात्रा पर विराम लगाने वाला होगा। उसके बाद उनकी कोई राजनीतिक हैसियत नहीं रह जाएगी। उन्होंने बीजेपी को जिस तरह से परेशान किया था उसका बदला पूरा हो जाएगा, कांग्रेस कमजोर हो जाएगी और बीजेपी को कोई नुकसान नहीं होने वाला। यह जो बीजेपी की रणनीति है वह लग रहा है कि काम कर रही है। मगर इसका असली असर विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद ही दिखेगा।