–सद्गुरु ।
योग शब्द का अर्थ है जुड़ना। जुडने का क्या अर्थ है… इसे समझना इतना भी मुश्किल नहीं है। आज यह वैज्ञानिक तथ्य है कि यह सारी सृष्टि सिर्फ एक ऊर्जा है जो कई तरीकों से प्रकट हो रही है। जब आइंस्टीन कहते हैं कि ‘ई इज इक्वल टु एमसी स्क्वायर’ -यानी एनर्जी और मॉस आपस में परिवर्तनशील होते हैं- तब वह एक ही ऊर्जा के लाखों अलग अलग रूपों में प्रकट होने की बात कर रहे हैं।
अगर आप इसे अपने अनुभव की दृष्टि से देखें तो आप जो सांस बाहर छोड़ रहे हैं वही सांस पेड़ अंदर ले रहे हैं। जो सांस पेड़ छोड़ रहे हैं वह हम अंदर ले रहे हैं। इसका मतलब यह है कि हमारे फेफड़ों का आधा भाग वहां लटक रहा है। आपकी सांसों की पूरी प्रक्रिया यहां नहीं हो रही। पूरा श्वसन तंत्र यहां नहीं है। सिर्फ एक भाग यहां है। दूसरा भाग वहां है।
अगर हमें इसका अनुभव हो जाए
अगर यह बात हम अनुभव के स्तर पर जानते तो किसी को भी हमें यह कहने की जरूरत नहीं होती कि पेड़ मत काटिये, पर्यावरण की रक्षा करो। अगर हमें इसका अनुभव हो जाए तो ये सभी हमारे लिए बेकार की बातें हो जाएंगी। तो यह एक आम बात है। और कम से कम आपके स्कूल की पुस्तक में यह आम तौर पर पाया जाता है कि आपका अस्तित्व हर चीज से अलग नहीं है। आप इस ब्रह्मांड का बस एक हिस्सा हैं। आप बस एक और अस्तित्व हैं और यह बाकी की हर चीज का एक हिस्सा है। जुड़ने का मतलब है कि अगर आप यहां बैठे हैं तो आपके अनुभव में सिर्फ आप ही हैं। सारा ब्रह्मांड सिर्फ आप ही हैं। तो किसी ऐसी चीज को जो आप नहीं हैं खुद के रूप में आप तभी अनुभव कर पाएंगे जब आप अपने भीतर एक खास स्तर तक चीजों को समाहित करने लगें।
शरीर को ठीक से थामना सीख जाएं तो…
फिलहाल आप सिर्फ अपने शरीर को समाहित कर पा रहे हैं। अगर इस समाहित करने की क्षमता को शरीर से परे ले जाया जाए तो अचानक आप यहां बैठकर पूरे ब्रह्मांड को अपने रूप में अनुभव कर पाएंगे। अगर आपके साथ यह घटित होता है तो हम कहते हैं कि आप योग में हैं। तो शारीरिक आसनों को इसलिए लाया गया कि शायद आप में से कई लोगों की उम्र इस बात के लिए काफी कम है। लेकिन अगर आपने सत्तर की दशक में टीवी देखा हो तो जब यह पहली बार आया तो आपके घरों के ऊपर एल्युमिनियम की एक छोटी सी मशीन होती थी। क्या आपको याद है एंटिना। आप टीवी देख रहे हैं और अचानक से आपके टीवी पर तस्वीर आवाज बिगड़ने लगती थी। फिर कोई ऊपर जाता था और एंटिना की दिशा ठीक करता था। ऐसे नहीं ऐसे… हां थोड़ा इधर… और धीरे से फिर उसे सही जगह पर ले आता था। और एक बार फिर से पूरा विश्व आपके कमरे में आ जाता था, है ना! बस अगर आप उसे सही जगह पर ले आएं तो ऐसा हो जाता है। यह भी ठीक वैसा ही है कि अगर आप इस शरीर को ठीक से थामना सीख जाएं तो आप पूरे ब्रह्मांड को इसमें डाउनलोड कर सकते हैं। यह योग है।
हम अपनी ऊर्जा को कहां लगाना चाहते हैं
अध्यात्म आपको कई तरीके से सशक्त बनाता है और बेहतर आदमी बनने में मदद करता है। हम सभी के पास जीने के लिए काफी कम वक़्त है और इस छोटे से काम के दौरान हम अपनी ऊर्जा को कहां लगाना चाहते हैं- ये हम योग के जरिए सीख सकते हैं।
(प्रस्तुति – अजय विद्युत)