
सबसे पहले तो भारतीय जनता पार्टी के लोगों को जीत मिली है उन्हें बधाई। आशा करता हूं कि जो जनादेश दिल्ली की जनता ने उन्हें दिया है उसकी वह प्रतिपूर्ति करेंगे। और आम आदमी पार्टी के वे सब लाखों करोड़ों कार्यकर्ता जो अन्ना आंदोलन से आए- जिनके बहुत ही निश्चल, निष्पाप और भारत की राजनीति को बदलने के बड़े सपने की हत्या एक निर्लज्ज, नीच, मित्रहंता, आत्ममुग्ध और चरित्रहीन व्यक्ति ने की- उसके प्रति तो क्या संवेदना। दिल्ली को उससे मुक्ति मिली।
मैं ये जानता हूं कि आम आदमी पार्टी में अब जो लोग बच गए थे- सत्ता के लोभ में, लालच में, पदों के लिए, उस पैसे के चक्कर में- वे सब भी अब वापस जाएंगे, लौटेंगे। कुछ अपने व्यवसायों में लौटेंगे। कुछ पार्टियों में चले जाएंगे। पतन यहां से प्रारंभ हुआ है उन लोगों का- यह मेरे लिए कोई प्रसन्नता का और दुख का विषय नहीं है। मैं बीच में खड़ा हूं। प्रसन्नता इस बात की है कि करोड़ों लोगों ने आशा लगाई थी, लोग अपनी नौकरियां छोड़ के आए थे, व्यवसाय छोड़ के आए थे, दुश्मन ली थी लोगों ने- अपनी निजी महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए उन सबकी हत्या एक आत्ममुग्ध आदमी ने, एक चरित्रहीन आदमी ने की। उसको दंड मिला। ईश्वरीय विधान से दंड मिला।
#WATCH | On #DelhiElectionResults, former AAP leader & poet Kumar Vishwas says, “I congratulate the BJP for the victory and I hope that they’ll work for the people of Delhi… I have no sympathy for a man who crushed the dreams of AAP party workers. Delhi is now free from him…… pic.twitter.com/RffWg98Sg3
— ANI (@ANI) February 8, 2025
प्रसन्नता इस बात की भी है कि न्याय हुआ आज। आज टीवी पर जब जंगपुरा का निर्णय आया और सामने दिखाई दिया कि मनीष (सिसौदिया) हार गया, तो सदा तटस्थ रहने वाली और राजनीति से विरत रहने वाली मेरी पत्नी की आंख में आंसू आ गए। वो रोने लगी। क्योंकि उसी से उसने कहा था कि अभी तो है ताकत। और उसने (पत्नी ने) कहा था- भैया ताकत सदा तो नहीं रहती। आशा करता हूं यह अहंकार अगले लोग नहीं करेंगे। जो बाकी दल हैं वे नहीं करेंगे। इससे सबक लेंगे।
दिल्ली के नागरिकों को मैं अच्छे शासन के लिए बधाई देता हूं। अब भारतीय जनता पार्टी अपने नेतृत्व में सरकार बनाकर दिल्ली के पिछले 10 वर्ष के जो दुख थे उन्हें दूर करे। आम आदमी पार्टी के समस्त कार्यकर्ताओं को कहता हूं कि आपने जिस किसी भी लोभ-लालच में सब कुछ जानते हुए एक ऐसे व्यक्ति के समर्थन में काम किया जिसने अपने मित्रों की पीठ में छुरा घोंपा, गुरु को धोखा दिया, अपने साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ने वाली महिलाओं को अपने घर लाकर पिटवाया, अपनी निजी सुख और साधन के लिए जनता का पैसा खर्च किया… अब उससे आशा लगानी छोड़े- बाहर निकलें- अपना अपना जीवन देखें। मैं उन सबके भी अच्छे भविष्य की कामना करता हूं कि वे कोई गंदगी ना फैलाएं, कहीं भी वो लौट जाएं, अपने शिविरों में।
मुझे राघवेंद्र सरकार राम की कृपा मिली जिनका यह घर है, जिनकी कृपा से मैं यहां खड़ा हूं। मुझे मुझ पर कृष्ण कृपा हुई कि मैं इस निर्लज सर्कस से बाहर आ सका। जिस तरह माधव को, कृष्ण को दूत देखकर भी भरी सभा में अट्टहास करने वाला दुर्योधन जो यह कहता था कि बिना युद्ध के पांच गांव भी नहीं दूंगा, आज वो अपनी सीटों के लिए तरस रहा है। मुझे पता है कि इस दुर्योधन का अंत भी टूटी हुई जंघा के साथ बड़ा ही दारुण होगा और भारतीय राजनीति एक कलंकित अध्याय के रूप में इस बौने दुर्योधन को, और इसके दरबार के तमाम शकुनियों को, याद करेगी। मैं उनकी मुक्ति की कामना करता हूं कि ईश्वर उन्हें इस दुख से बाहर निकाले। और समस्त लोगों को बधाई देता हूं कि चलिए अंततः न्याय हुआ।
मैं राजनीतिक कार्यकर्ता नहीं हूं तो राजनीतिक विषय पर मेरी टिप्पणी शोभनीय नहीं है। लेकिन दिल्ली के चुनावों को लेकर एक मिश्रित प्रतिक्रिया है, दुख है कि अन्ना आंदोलन से एक ऊर्जा जो पैदा हुई थी जिससे देश में एक सकारात्मक बदलाव हो सकता था। एक वैकल्पिक राजनीति हो सकती थी। उसकी हत्या एक अहंकारी आदमी ने, एक आत्ममुग्ध और असुरक्षित आदमी ने कर दी। मैं आशा करता हूं कभी ना कभी भारत में ऐसा सूर्योदय किसी ना किसी दल में अवश्य होगा जो भारत को जहां पहुंचना है वहां पहुंचाने का मार्ग प्रशस्त करेगा।