अमेरिका ने दुनिया के पहले पांचवीं पीढ़ीं के फाइटर जेट एफ-22 रैप्टर (F-22 Raptor) से मिसाइल दाग कर चीन के जासूसी गुब्बारे को मार गिराया। एफ-22 रैप्टर फाइटर जेट क्लोज रेंज डॉगफाइटिंग और बेयॉन्ड विजुअल रेंज के लिए यह प्रसिद्ध है। इसे एक पायलट उड़ाता है। इसकी लंबाई 62.1 फीट, विंगस्पैन 44.6 फीट और ऊंचाई 16.8 फीट है। अधिकतम गति 2414 किमी./घंटा है।
कॉम्बैट रेंज 850 किमी. है। फेरी रेंज 3200 किमी. है। यह अधिकतम 65 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता है। इसमें 20 मिमी का वल्कन रोटरी कैनन लगा है। इसमें 4 अंडर विंग हार्ड प्वाइंट्स हैं। इसमें हवा से हवा और हवा से जमीन पर मार करने वाली 8-8 मिसाइलें लगाई जा सकती हैं।
क्या होता है जासूसी गुब्बारा
जासूसी गुब्बारा असल में गैस से भरा गुब्बारा होता है जो उस ऊंचाई पर उड़ता है जिस ऊंचाई पर आम नागरिक विमान उड़ते हैं। इसके नीचे बेहद जटिल कैमरे या इमेजिंग टेक्नोलॉजी लगी होती है। ये जमीन की तरफ देखते हुए अलग-अलग हिस्सों, इमारतों, क्लासीफाइड जगहों, खुफिया स्थानों की तस्वीरें लेते हैं। यानी तस्वीरों के जरिए जितनी ज्यादा सूचनाएं जमा हो सकें। ये कर सकते हैं।
जासूसी सैटेलाइट के बजाय गुब्बारा क्यों
अंतरिक्ष से जासूसी करने के लिए आमतौर पर सैटेलाइट्स का इस्तेमाल होता है। लेकिन ऐसे खुफिया गुब्बारों का इस्तेमाल कोई क्यों करना चाहता है। असल में सैटेलाइट्स को अलग-अलग ऑर्बिट में रखा जाता है। इसलिए मनाचाहा डेटा या तस्वीर नहीं मिल पाती। धरती की निचली कक्षा पर घूमने वाले सैटेलाइट बहुत क्लियर फोटो नहीं ले पाते। लेकिन विमान की ऊंचाई पर उड़ने वाले जासूसी गुब्बारे ये काम आसान से कर देते हैं।
सैटेलाइट अगर धरती का चक्कर लगा रहा है तो उसे उसी प्वाइंट पर आने में करीब 90 मिनट लगेंगे। इसलिए फोटो में दिक्कत आती है। लेकिन गुब्बारे के साथ ऐसा नहीं है। ये एक जगह पर काफी देर तक रुक सकता है। लगातार तस्वीरें ले सकता है। दूसरे सैटेलाइट्स जो जियोसिंक्रोनस ऑर्बिट में हैं। उनकी तस्वीरें बहुत कम ही स्पष्ट होती हैं।
क्या-क्या कर सकता है स्पाई बैलून
अपना रास्ता कैसे तय करते हैं ये गुब्बारे
आमतौर पर जासूसी करने वाले गुब्बारे हवा के बहाव के साथ बहते हैं। लेकिन इनका नेविगेशन किसी तरह के फ्यूल इंजन से किया जा सकता है। हालांकि ये मौसम के रहमोकरम पर होते हैं। कई बार गाइडिंग यंत्र लगाए जाते हैं ताकि गुब्बारे की दिशा तय की जा सके। अमेरिकी प्रशासन ने दावा किया है कि चीन के गुब्बारे में प्रोपेलर लगे थे, ताकि उसका दिशा तय की जा सके। हालांकि अभी गुब्बारे के हिस्सों की जांच चल रही है। पूरी सच्चाई जांच के बाद ही पता चलेगी।
कैसे तय होता गुब्बारे का एयरस्पेस
कौन से देश बदनाम हैं जासूसी गुब्बारों के लिए
पिछले कुछ दशकों से अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन इन गुब्बारों की ताकत, क्षमता आदि पर स्टडी कर रहा है। पहले इस्तेमाल भी कर चुका है। लेकिन जो बदनाम देश हैं, उनमें सोवियत संघ है। इन्होंने ऐसे गुब्बारों का इस्तेमाल 1940 से 1960 के बीच करते था। उत्तर कोरिया और चीन भी इस तरह के काम करता आया है। (एएमएपी)