(28 मार्च पर विशेष)
साइना नेहवाल सबके भरोसे पर खरी उतरी हैं। उन्हें 2009 में अर्जुन पुरस्कार और 2010 में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया। ओलिंपिक क्वार्टर फाइनल में पहुंचने के बाद साइना को वह आत्मविश्वास मिला, जिसकी उन्हें जरूरत थी। अगले दो वर्षों में उन्होंने बैडमिंटन जगत में धमाल मचा दिया। उन्होंने बीडब्ल्यूएफ हांगकांग ओपन, सिंगापुर ओपन और इंडोनेशिया ओपन का खिताब जीता। 2011 के बेहतरीन साल के बाद साइना नेहवाल ने 2012 में लंदन ओलिंपिक का कांस्य पदक जीतकर इतिहास रचा। साइना ने अगले तीन वर्ष में ऑस्ट्रेलियन ओपन, दो बार इंडिया ओपन और चाइना ओपन जीता।
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2015 में साइना नेहवाल ऑल इंग्लैंड चैम्पियनशिप जीतने के करीब पहुंचीं पर संघर्ष पूर्ण मैच में कैरोलिना मारिन से हार का सामना करना पड़ा। 2015 में ही साइना दुनिया की नंबर-1 महिला बैडमिंटन खिलाड़ी बनीं। यह उपलब्धि उनसे पहले किसी भारतीय महिला खिलाड़ी ने हासिल नहीं की थी। प्रकाश पादुकोण जरूर पुरुष वर्ग में दुनिया के नंबर-1 खिलाड़ी हो चुके हैं। 2010 में कॉमनवेल्थ गेम्स का गोल्ड जीतने वाली साइना ने 2018 में फिर कामयाबी हासिल की। अपने 12 साल के करिअर में साइना ने 24 से अधिक अंतरराष्ट्रीय खिताब जीते, जिनमें 11 सुपर सीरीज खिताब शामिल हैं। वह ओलिंपिक, वर्ल्ड चैम्पियनशिप और वर्ल्ड जूनियर चैम्पियनशिप के प्रत्येक इवेंट में कम से कम एक पदक जीतने वाली एकमात्र भारतीय शटलर हैं।(एएमएपी)