कश्मीर के लोगों ने अपने बीच रह रहे पाकिस्तान के इन लड़ाकों को पहचान लिया और इसकी खबर भारतीय सेना को दे दी। भारतीय सेना ने शुरुआत में कई लड़ाकों को गिरफ्तार किया। भारत ने स्पेशल कमांडोज को इन लड़ाकों को पकड़ने और मारने की जिम्मेदारी दी। पाकिस्तान को लगा कि उसका यह प्लान फेल होने वाला है तो उसने भारत पर तोप के गोले दागना शुरू कर दिया। इसी के साथ भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू हो गया।
पाकिस्तान ने कश्मीर के उरी और पुंछ जैसे इलाकों पर कब्जा कर लिया तो वहीं भारत ने पीओके में आठ किलोमीटर अंदर घुसकर हाजी पीर पास को अपने कब्जे में कर लिया। पूरे अगस्त में दोनों देशों के बीच युद्ध चलता रहा। एक सितंबर को पाकिस्तान ने ऑपरेशन ग्रैंडस्लैम लॉन्च किया, जिसका उद्देश्य भारत के लिए रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण अखनूर सेक्टर पर कब्जा करना था।
पाकिस्तान की इस चाल का जवाब देते हुए भारत ने छह सितंबर, 1965 को सरहद पार कर लाहौर और सियालकोट पर हमला किया। भारत की ओर से ये युद्ध की आधिकारिक शुरुआत थी। भारतीय सेना ने लगभग-लगभग लाहौर पर कब्जा कर ही लिया। कश्मीर पर कब्जा करने की उम्मीद से भारत में घुसा पाकिस्तान लाहौर को खोने ही वाला था। संयुक्त राष्ट्र के दखल के बाद 23 सितंबर को सीजफायर की घोषणा हुई। बाद में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री अयूब खान के साथ ताशकंद समझौता किया।(एएमएपी)