खबर की खबर ।
ज्ञानेंद्र बरतरिया ।
डियर कपिल सिब्बल,
आपका इंटरव्यू पढ़ा। पढ़ कर सब हाल-चाल मालूम हुए। पता चला कि आपकी सुनवाई ही नहीं हो रही है। पढ़कर दुख हुआ। कहां आधी रात को सुनवाई कराने में सक्षम आप, और कहां आपको तारीख भी नहीं मिल पा रही है?
इससे पता चला कि आपकी दुनिया में सितारों के ऊपर भी कई जहान हैं, और आप तो सितारों से काफी नीचे की दुनिया के प्राणी हैं।
खैर, हम मैंगो मैनों के लिए तो आप ही किसी दूसरी दुनिया के प्राणी की तरह हैं, तीसरी से लेकर नौवीं दुनिया के प्राणियों से हमें क्या लेना देना। इसीलिए आपको तारीख दिलाने की खातिर अपना अवार्ड वापस करने का इरादा हमने छोड़ दिया।
आपको बहुत जोर लगाना पड़ेगा
अवार्ड वापस करना तो दूर, सच कहें, तो कोई खास हमदर्दी भी नहीं हो पा रही है। उसके लिए अभी आपको बहुत जोर लगाना पड़ेगा। वकालत में नहीं, दूसरे मामलों में। वकालत में तो खैर आपका कोई सानी ही नहीं है। वकालत तो आप खेल-खेल में खेल लेते हैं। अब देखिए ना, आप गेंद डाल रहे हैं लेग स्टंप के बाहर, विकेट से बहुत दूर, और चाह रहे हैं कि अम्पायर आपकी अपील के आधार पर बैट्समैन (या वूमेन) को हिट विकेट दे दे। और अपील भी ऐसी कि आप हाउज्जैट, या वो जो भी होता है, वह भी नहीं कह पा रहे हैं। अरे भई खुल कर बोलने लायक तो हिम्मत रखो। ना हो पाए, तो कभी इस तरफ आना। हमारे यहां एक पुराने वैधजी हैं, बड़े माहिर हैं, हर तरह के मर्ज के।
बरखा दत्त से पूछ लेना
देखो भई, प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों का हिसाब तो आप जानते ही हो। जब जो मजूर काम का न लगा, उसे फारिग कर दिया। आगे-पीछे के पैसे भी नहीं दिए- यह तो आम बात है। विश्वास न हो तो बरखा दत्त से पूछ लेना, अच्छी तरह समझा देंगी। अब मान लो कि पार्टी भी किसी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह है। और उसमें आप क्या हो? महज एक एंकर या रिपोर्टर या इसी टाइप का कुछ और।
केजरीवाल जी बुरा न मानें, तो आपकी चतुराई को दाद-खाज सब देनी पड़ेगी। सबको पता चल गया है कि जब तक आपको तारीख नहीं मिलेगी और आपकी पिटीशन पेंडिंग बनी रहेगी, आपकी अग्रिम जमानत आटोमैटिक ढंग से आगे बढ़ती रहेगी।
उनके पास टाइम बहुत है
बस यहीं समस्या है। आप जमानत पर होने मात्र को दोषमुक्त होना समझ रहे हो ना? ऐसा होता नहीं है। वैसे हो भी सकता है। कहते हैं ना “राम कृपा करि चितवा जाही”।
अरे .. रे.. रे .. राम तो एफीडेविटन काल्पनिक थे, आपको तो साक्षात और विराजमान परमब्रह्म से तारीख नहीं मिल पा रही है। कहीं किसी ने वहां ये दलील तो नहीं दे मारी है कि इस विषय पर बहस अगले लोकसभा चुनाव तक टाल दी जाए?
वो क्या है ना, आपके पास घड़ी है, लेकिन उनके पास टाइम बहुत है। ऐसे में कुछ भी हो सकता है।
कांग्रेस नेतृत्व बात नहीं करता अपनी बात कहां रखूं : कपिल सिब्बल
आपका अख़बार ब्यूरो।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने अंग्रेजी दैनिक ‘इंडियन एक्सप्रेस’ को दिए साक्षात्कार में कहा है, “ऐसा लगता है कि पार्टी नेतृत्व ने शायद हर चुनाव में पराजय को ही अपनी नियति मान लिया है। बिहार ही नहीं, उपचुनावों के नतीजों से भी ऐसा लग रहा है कि देश के लोग कांग्रेस पार्टी को प्रभावी विकल्प नहीं मान रहे हैं।”
सिब्बल ने बताया, “सोनिया गांधी को पत्र लिखे जाने के बाद से पार्टी नेतृत्व और नेताओं के बीच में कोई संवाद नहीं हुआ। नेतृत्व द्वारा बातचीत के लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है और चूंकि मेरे विचार व्यक्त करने के लिए कोई मंच नहीं है, इसलिए मैं सार्वजनिक रूप से व्यक्त करने के लिए विवश हूं।”