उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी ने ‘आपका अख़बार’ के संपादक प्रदीप सिंह को दिए विशेष साक्षात्कार में हर मुद्दे पर बेबाक बात की-4।
“43 हजार करोड़ रुपए का गन्ना मूल्य का बकाया हमें विरासत में मिला था। आज आज उत्तर प्रदेश में गन्ना मूल्य का केवल साढ़े तीन हज़ार से चार हजार करोड़ रुपये बकाया है गन्ना किसानों का।”
प्रदीप सिंह- किसान आंदोलन- एक बड़ा मुद्दा है, राष्ट्रीय स्तर पर है, दिल्ली पर पांच जगहों पर उन्होंने बॉर्डर बंद कर रखा है, बैठे हुए हैं, अभी लखीमपुर की घटना हुई- यह सब मिलाकर आपको किस दिशा में जाता हुआ दिख रहा है। खासतौर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में माना जा रहा है इसका प्रभाव उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा है। तो यह चुनावी दृष्टि से कितना नुकसान पहुंचाएगा। किसानों की जो समस्याएं हैं उनको लेकर राज्य सरकार में कितनी संवेदनशीलता है? क्या किसान इतने नाराज हैं कि इस सरकार के खिलाफ वोट देने की सोचेंगे।
योगी आदित्यनाथ- सही मायने में तो किसानों के हितों के लिए कार्य अगर किसी ने किया है आजादी के बाद- मैं कह सकता हूं कि प्रधानमंत्री मोदी जी ने किया है। सॉइल हेल्थ कार्ड, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना और लागत का डेढ़ गुना दाम एमएसपी में मिले या फिर प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि- ये सभी किसानों के हित के लिए लागू की गई योजनाएं हैं। उत्तर प्रदेश में हमारी सरकार जब आई थी तो हमने जो पहला कदम उठाया था उसमें से एक कदम किसानों की ऋण माफी का भी था। याद करिए 2014 के पहले 2004 से 2014 के बीच में देश के अंदर किसानों ने बड़े पैमाने पर आत्महत्याएं की थीं- बड़े पैमाने पर- लाखों की संख्या थी किसानों की। एक अनुमान था कि पांच से सात लाख किसानों ने आत्महत्या की होगी। इन दस वर्षों में तब कोई किसान आंदोलन नहीं हुआ था- तब ये किसान हितैषी कहीं नहीं थे। 2014 के बाद प्रधानमंत्री मोदी जी की नीतियों के कारण किसान के चेहरे पर खुशहाली लाने का कार्य हुआ और आत्महत्याएं रुकीं। 2017 से उत्तर प्रदेश में एक भी व्यक्ति भूख से भी नहीं मरा है और किसी किसान को आत्महत्या करने के लिए भी मजबूर नहीं होना पड़ा है- क्योंकि जो उसका संकट था हमने उसका समाधान किया। उत्तर प्रदेश में चाहे वह ऋण माफी की कार्यवाही हो- लघु और सीमांत किसानों के एक लाख रुपए तक के ऋण हमने माफ किये थे।
यूपी सर्वाधिक खाद्यान्न उत्पादन करने वाला राज्य
प्रोक्योरमेंट का कार्य 2017 के पहले आढ़तियों के माध्यम से कभी-कभी हो पाता था- वह भी नहीं होता था। हम लोगों ने किसानों से सीधा क्रय करना शुरू किया। आज यूपी सर्वाधिक खाद्यान्न उत्पादन करने वाला राज्य है। कृषि सिंचाई की योजनाएं… वर्षों से लंबित योजनाएं- यानी बाणसागर परियोजना को 1973 में- उस समय योजना आयोग था, योजना आयोग ने उसकी सहमति दे दी। 1977-78 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई जी ने उस योजना का शिलान्यास किया और 2017 तक वह परियोजना पूरी नहीं हो पाई थी। एक परियोजना 40 साल के बाद भी अधूरी थी। हम लोग आए। हमने उसको पूरा किया। भारत सरकार ने सपोर्ट किया, हमने उसे पूरा किया। प्रधानमंत्री जी के कर कमलों से उसे राष्ट्र को समर्पित करवाया। हम लोग नवंबर माह में 15 नवंबर तक सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना को पूरा करने जा रहे हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश के 14 लाख हेक्टेयर लैंड को सिंचाई की सुविधा देगी वह नहर परियोजना। योजना आयोग ने कब उसे अप्रूव किया था- 1971 में- और 1971 के बाद से उसका शिलान्यास होता है। उसके बाद कार्य नहीं हुआ। 2017 के बाद उस पर कार्य प्रारंभ हुआ और अगले महीने हम उसको पूरा करने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री जी के कर कमलों से हम उसको भी राष्ट्र को समर्पित करवाएंगे। अर्जुन सहायक परियोजना, मध्य गंगा परियोजना- ऐसी एक दर्जन परियोजनाएं हैं। जिन परियोजनाओं के कार्यों को हम लोगों ने तेजी के साथ आगे बढ़ाना प्रारंभ किया। हमारी सरकार का जब पांच साल का कार्यकाल पूरा होगा, तब तक हम 25 लाख हेक्टेयर लैंड को अतिरिक्त सिंचाई की सुविधा प्रदेश के अंदर उपलब्ध करवाने में सफल होंगे। ये किसानों के हित के लिए कार्य करने वाली सरकार भाषण से नहीं बल्कि जमीनी हकीकत क्या है (इसपर काम करती है) और गन्ना किसानों के बारे में जब हम लोग आए थे 2017 में… 2010 से लेकर…
प्रदीप सिंह- दो मुद्दे उठते हैं एक कीमत का और दूसरा भुगतान का…
योगी आदित्यनाथ- मैं उसी पर आ रहा हूं। 2010 से लेकर 2017 के बीच का गन्ना मूल्य का भुगतान बाकी था- हम लोग जब आए थे, उस समय। हम लोगों के सामने 43 हजार करोड़ रुपए का गन्ना मूल्य का बकाया था उसी करंट सीजन का- मार्च 2017 में हमें जो विरासत में मिला था। आज जो तिथि है आज उत्तर प्रदेश में गन्ना मूल्य का केवल साढ़े तीन हज़ार से चार हजार करोड़ रुपये बकाया है गन्ना किसानों का। 1 लाख 45 हजार करोड़ रुपए का गन्ना मूल्य का भुगतान गन्ना किसानों को हम लोग करा चुके हैं पिछले साढ़े चार वर्ष के अंदर। कोई किसान यह नहीं कह सकता कि उसका गन्ना खड़ा रह गया- चीनी मिल ने पेराई नहीं की। हम लोगों ने कोरोना कालखंड में- डेढ़ वर्ष से तो हम लोग कोरोना से जूझ रहे हैं न, पूरा प्रदेश, पूरा देश, पूरी दुनिया- हर चीनी मिल को चलाया है। और चीनी मिल के साथ एग्रीमेंट पहले हो जाता है कि जब तक किसान के खेत में गन्ना रहेगा तब तक चीनी मिल चलेगी। 119 चीनी मिलें हम लोगों ने चलाई। हां, हर चीनी मिल में हम लोगों ने हेल्प डेस्क दिया… हर चीनी मिल में- जहां भी थी सभी जगह- हम लोगों ने कोविड हेल्थ सेंटर भी स्थापित किए। हर किसान की जांच करते थे। लेकिन गन्ने की पर्ची की कमी ना हो उसके लिए हमने हमने डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग किया। किसान को पर्ची देने के बजाय उसके मोबाइल फोन पर हम लोग एसएमएस करके उसको बता देते थे इतने गन्ने का आप को दिया जा रहा है आप तत्काल अपना गन्ना लेकर पहुंचिए। किसान ने स्वागत किया। गन्ना मूल्य का भुगतान भी किया जा रहा है और हमारा प्रयास है कि नया सीजन शुरू होने के पहले तीन- साढ़े तीन हजार करोड़ रुपए का गन्ना मूल्य का भुगतान भी हम लोग कर चुके होंगे।
21 चीनी मिलें बंद हुई सपा, बसपा के समय में
सवाल यह है कि 2010 से लेकर 2017 के बीच यह जो 43 हजार करोड रुपए के गन्ना मूल्य का बकाया था, यह किसके कारण था, किन लोगों का था यह… और क्यों नहीं पिछली सरकारों ने भुगतान कराया। इसमें तो बसपा भी थी और सपा भी थी। 21 चीनी मिलों को इन्होंने बंद किया था- 11 चीनी मिलें बसपा के समय में और 10 चीनी मिलें सपा के समय में बंद हुई थीं। हमारी सरकार के समय में बंद नहीं हुई, बल्कि हमने नई चीनी मिलें चलाई हैं। चौधरी चरण सिंह जी की कर्मभूमि की चीनी मिल- 30 वर्षों से मांग हो रही थी कि यह चीनी मिल चले- कभी नहीं सुनवाई हुई। हमने वहां नई चीनी मिल लगाई है। मैं पिछले साल स्वयं ही गया था उद्घाटन में। ये लोग किस मुंह से बात करेंगे। उत्तर प्रदेश देश के अग्रणी राज्यों में है जो गन्ना का सर्वाधिक मूल्य किसानों को देता है, सर्वाधिक पैसा देता है किसानों को। यह तो उत्तर प्रदेश के अंदर किया जा रहा है। राजनीतिक भाषणबाजी अलग है। एक किसान के जीवन में सचमुच परिवर्तन आए और मैं मानता हूं प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में जितना बेहतरीन कार्य हो सकता था किसान के हित के लिए और जो आमदनी दोगुनी करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सारे प्रयास होने चाहिए थे, वे प्रयास हुए हैं। उन प्रयासों की सराहना की जानी चाहिए और उन प्रयासों का अभिनंदन किया जाना चाहिए।
प्रदीप सिंह- लखीमपुर खीरी को लेकर कहा जाता है कि सरकार कुछ लोगों को बचाने का प्रयास कर रही है.
योगी आदित्यनाथ- सरकार किसी को नहीं बचा रही है। सरकार के पास किसी भी अपराध के लिए जब भी प्रमाण होंगे सरकार उसमें कठोरता पूर्वक कार्य करेगी। लखीमपुर खीरी के मामले की तो माननीय उच्चतम न्यायालय स्वयं मॉनिटरिंग कर रहा है। मुझे नहीं लगता है कि किसी को इसमें कहने की आवश्यकता महसूस होगी। सरकार ने, जो भी नियम संगत कार्रवाई हो सकती थी, उसके अनुसार कार्रवाई की है और आगे जो भी आठ लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार होंगे सरकार उसमें कार्रवाई करेगी। एसआईटी गठित की है हम लोगों ने। एसआईटी उसके लिए जांच कर रही है, एक-एक बिंदु को देख रही है और जो दोषी होगा उस पर कार्रवाई होगी।