चिकित्सा ज्योतिष
पवन सिन्हा ‘गुरुजी’।
काया निरोगी बने, रोग जल्दी दूर हों, जीवन आनंद लेते और देते बीते… यही तो चाहते हैं हम सब और यही आशीर्वाद हमारे मनीषियों का भी है। उन्होंने ज्योतिष शास्त्र को मानव कल्याण के एक उत्कृष्ट विज्ञान के रूप में विकसित किया है। संयोग से जिस विज्ञान से पूरी दुनिया के रोगों से पीड़ित व्यक्तियों का मंगल हो सकता है, उसे सम्मान देना तो दूर कपोल-कल्पित तक कहा जाने लगा है।
चिकित्सा विज्ञान ज्योतिष के अंतर्गत बाकायदा एक वैज्ञानिक अध्ययन है जिससे हम अपना जीवन बेहतर बना सकते हैं, रोगों के पूर्व संकेतों को पढ़कर उनसे बच सकते हैं और स्वस्थ भारत तथा स्वस्थ संसार का संकल्प साकार करने की पहल कर सकते हैं। यह हमें हमारे वंशानुगत कमजोरियों के बारे में और चयापचयी विकारों (जेटाबॉलिक डिसआर्डर्स) के बारे मे भी उचित जानकारी दे सकता है।
शरीर पर राशियों का असर
ज्योतिष में 12 राशियां, 12 भावों, 7 ग्रह, 2 छाया ग्रह और 27 नक्षत्रों, गोचर और दशाओं के आधार पर शरीर की प्रति, व्यवहार और रोगों का पता लगाया जाता है। प्रत्येक राशि का शरीर के अलग-अलग अंगों पर आधिपत्य होता है। जिस व्यक्ति की जिस राशि में कमजोरी होती है शरीर का वो अंग भी कमजोर होता है।
उदाहरण के लिए मेष राशि का सिर पर आधिपत्य होता है तथा वृषभ राशि का चेहरे पर अधिकार होता है। यदि किसी के मेष या वृषभ राशि में कमजोर चंद्रमा, बुध अथवा शनि बैठा हो तो ऐसा व्यक्ति सिर, आंख, कान व दांतों के रोग से परेशान होता है। इस स्थिति में यदि व्यक्ति उन चीजों का सेवन करे जो इस भाग के रोगों को बढ़ा सकती हैं, जैसे- पान, गुटखा, बहुत ठंडी चीजें या तेज धूप में निकलें, अधिक तैरें, देर रात सोएं, या क्रोध करें तो उसे स्नायु तंत्र, सिर, कान, नाक व मुंह के रोग होते ही हैं।
मिथुन राशि गले पर अधिकार रखती है, कर्क राशि का अधिकार सीने पर होता है। सिंह राशि पेट के ऊपरी तथा मध्य हिस्से पर प्रभाव छोड़ती है तथा कन्या राशि पेट के निचले हिस्से पर असर दिखाती है। तुला राशि पेट और जांघों के बीच का हिस्सा प्रभावित करती है तथा वृश्चिक राशि जननांगों पर असर दिखाती है। धनु राशि जांघों पर, मकर राशि घुटनों पर तथा मीन राशि पैरों को प्रभावित करती है। उपरोक्त राशियों में स्थापित अच्छे तथा मजबूत ग्रह उन राशियों के अधिकार वाले अंगों को मजबूती प्रदान करते हैं जबकि उन राशियों में कमजोर ग्रह उनके अंगों को कमजोर करेंगे।
ग्रहों का प्रभाव
यदि कुंडली अथवा हाथ में बुध, बृहस्पति और शनि कुपित अवस्था में होते हैं तो वात रोग का सामना करना पड़ता है। सूर्य और मंगल कमजोर अवस्था में पित्त रोग देते हैं तथा चंद्र और शुक्र कफ जनित रोग देते हैं।
(कल पढ़िए : वात-पित्त-कफ दोष बताती है कुंडली)