स्वामी ओमा द अक्क।
विश्व का जितना भी धार्मिक चिंतन है- जो अब मजहब या संप्रदाय में बदल चुका है- उन सभी संप्रदायों में जो धर्म की आधारभूमि है वो पश्चाताप है, पछतावा है, पाप का बोध है।

ईसाई होने के लिए पाप का बोध जरूरी है कि हम पापी हैं और परमात्मा का पुत्र हमें पवित्र कर देगा। अगर आप मुसलमान हैं तो आप पापी हैं और आप अगर मोमिन हो जाते हैं, पवित्र हो जाते हैं तो आपको जन्नत मिलेगी। नहीं तो आपको दोजख में डाल दिया जाएगा। यहूदी के यहां भी यही है। यहां तक की बुद्ध के यहां भी, बौद्ध धर्म में भी ‘एस धम्मो सनंतनो’ कहकर बुद्ध ने बार-बार कहा कि अगर तुम मेरे धम्म में प्रवेश नहीं करते हो- मेरे अनुसार शील  का आचरण नहीं करते हो, तो तुम पापी हो। तुमको निर्वाण नहीं मिलेगा। भले ही वो शांत शब्द में हो रहा हो, सुनाई नहीं दे रहा हो।

Krishna In Mahabharata - The Unrivaled Strategist | Mytho World

लेकिन आप पूरी भागवत पुराण पढ़ लीजिए। इस भागवत पुराण में आप प्रकार के अच्छे कर्म और हर प्रकार के बुरे कर्म स्वयं भगवान के द्वारा ही करते हुए आपने सुना है। इसकी अनंत-अनंत व्याख्याएं होंगी। लेकिन मैंने जिस तरह से हमेशा भारतीय धर्म को रिसीव किया है और खासतौर पर कृष्ण के चरित्र को, तो उसकी विशिष्टता ये है… व्यास ने यदि उन्हें पूर्ण ब्रह्म के रूप में घोषित किया है तो उसके कारण ये हैं… कि कृष्ण ने वो सब कुछ किया जो मानव जीवन में हो सकता है। जिसे हम अच्छा भी कह सकते हैं बुरा भी कह सकते हैं।

बिना अस्त्र उठए कृष्ण पूरी महाभारत जीत भी सकते हैं। और बिना मतलब के, जिनका कोई अर्थ नहीं था, ऐसे शत्रुओं से बचते हुए भाग कर नयी द्वारिका भी रात-ओ-रात बना सकते हैं। उसकी कृष्ण को आवश्यकता नहीं थी। कृष्ण के लिए तो एक क्षण का खेल था, जरासंध भी। लेकिन हमें-तुम्हें आवश्यकता है। कृष्ण को यह बताना जरूरी था कि हर बार लड़ना जरूरी नहीं होता है। कई बार लड़ना छोड़ देना होगा। रणछोड़ बन जाना भी सुंदर होता है।

कृष्ण ने हर प्रकार के उस कृत्य, जो हमारे जीवन में गिल्ट पैदा कर सकते हैं- पश्चाताप पैदा कर सकते हैं- या हमें पापी सिद्ध कर सकते हैं… कृष्ण ने उन सबसे बचाया है। इसलिए कृष्ण की शरण में होना पाप से मुक्त होने की गारंटी है।
(लेखक आध्यात्मिक गुरु हैं)