भारतीय टीम के ऑलराउडर ओर आक्रमक बल्लेबाजी के लिए जाने जाते है हार्दिक ही एक मात्र ऐसे खिलाड़ी है जो मैच को पासा पलटने का दम रखते है , पिछले साल भारत के क्रिकेट प्रेमियों को टीम इंडिया की हार-जीत के इतर एक और चीज़ का बेसब्री से इंतजार था। वह चीज़ थी हार्दिक पंड्या की वापसी। पंड्या पीठ की चोट से परेशान चल रहे थे। वह क्रिकेट की पिच से थोड़े वक्त के लिए दूर रहे है। वह अनफिट ऐसे समय में हुए थे, जब उनके लिए कई संज्ञाएं गढ़ी जा रही थीं। कभी उन्हें कपिल देव जैसा ऑलराउंडर बताया गया तो कभी महेंद्र सिंह धोनी जैसा फिनिशर। हार्दिक के सामने चुनौती थी कि वह फिट होकर मैदान पर फिर से पहले वाली लय में लौटे। पंड्या ने किया भी वही।
एशिया कप में हार्दिक का प्रदर्शन भुलाया नहीं जा सकता है। पाकिस्तान के बाबर आजम को अपनी गेंद में फंसाना हो या फिर श्रीलंका के खिलाफ कसी हुई गेंदबाजी करना। हार्दिक ने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई। यही वजह है कि वह आईसीसी वनडे ऑलराउंडर की लिस्ट में टॉप-10 में शुमार हैं।
खुद पर रहने वाले प्रेशर के बारे में पंड्या का कहना है कि टीम इंडिया का कोई बल्लेबाज जब आउट होता है तो उसकी जिम्मेदारी आउट होने के साथ ही खत्म हो जाती है, वहीं एक गेंदबाज अपने कोटे का ओवर करने के बाद काम खत्म कर लेता है, लेकिन उन्हें बल्लेबाजी करने के बाद गेंदबाजी भी करनी होती है। इसी वजह से टीम के बाकी खिलाड़ियों की तुलना में जिम्मेदारी और दबाव दोनों ही ज्यादा होता है। हालांकि पंड्या इस प्रेशर से मोर्चा लेने के लिए खुद को तैयार बताते हैं। हार्दिक को अपनी जिम्मेदारियों का एहसास है। वह इस साल के वनडे विश्व कप में भारत के सबसे बड़े मैच विनर साबित हो सकते हैं।
ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या विश्वकप में अहम भूमिका निभाएंगे । पांड्या छठे नंबर पर बल्लेबाजी के दौरान उसी प्रकार रन बना सकते हैं जिस प्रकार युवराज सिंह ने 2011 संस्करण में बनाये थे। युवराज ने 2011 विश्वकप कप में बल्लेबाजी के साथ ही गेंदबाजी में भी अहम भूमिका निभाई थी। यह कहना है पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी मोहम्मद कैफ का ।
हार्दिक पंड्या हमेशा नेट्स पर जाने से पहले एक योजना तैयार करते हैं। वह पहले से ही जानते हैं कि उन्हें किस पर काम करने की जरूरत है। जिस तरह से हमने उन्हें बल्लेबाजी करते हुए देखा है, इससे पता चलता है कि उनके पास आखिरी 10 ओवरों के लिए अपनी योजना है। आखिरी 10 ओवरों में ऐसा होगा। कैफ ने कहा, डेथ ओवर की गेंदबाजी के दौरान आपको सही प्रकार के पैर मूवमेंट के साथ अच्छी स्थिति में रहकर और बड़े शॉट खेलने होते हैं।
हार्दिक से ज्यादा उम्मीदें होने की कई वजहें हैं। वह धोनी की तरह तेज़ और स्पिन आक्रमण, दोनों के खिलाफ ज्यादा परेशान होते नहीं दिखते। आंकड़े भी इस बात की तस्दीक करते हैं। दुनिया की तीन बेहतरीन तेज़ गेंदबाजी आक्रमण वाली टीमों- पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के ख़िलाफ़ पंड्या का औसत 69, 54 और 44 का है। पंड्या कसे हुए मैचों में धोनी की तरह शांत दिखते हैं।
गौरतब है कि 2011 विश्व कप में युवराज ने 9 मैचों में 90 से अधिक की औसत से एक शतक और चार अर्द्धशतक के साथ 362 रन बनाए, जिसमें 113 का सर्वश्रेष्ठ स्कोर था। वह टूर्नामेंट में आठवें सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी थे। उन्होंने 5/31 के सर्वश्रेष्ठ आंकड़े के साथ 15 विकेट भी लिए और विश्व कप में चौथे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज थे। वहीं छठे नंबर पर पांड्या का रिकॉर्ड भी शानदार है।
उन्होंने अब तक 23 एकदिवसीय मैचों में 36.90 की औसत से 775 रन बनाए हैं, जिसमें 23 पारियों में 92 का सर्वश्रेष्ठ स्कोर और छह अर्धशतक शामिल हैं। वहीं इस साल 16 एकदिवसीय मैचों में पांड्या ने 33.81 की औसत और 93.93 की स्ट्राइक रेट से 372 रन बनाए हैं जिसमें तीन अर्धशतक और 87 का सर्वश्रेष्ठ स्कोर भी शामिल है। इसके अलावाउन्होंने 16 विकेट भी लिए हैं। (एएमएपी)