प्रमोद जोशी।
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान यह साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि सेना ने उनका साथ नहीं दिया, जिसके कारण यह खतरा खड़ा हुआ है, पर वे जाने-अनजाने कुछ सच्चाइयों को भी सामने आने का मौका दे रहे हैं। उन्होंने कहा है कि देश के एस्टेब्लिशमेंट यानी सत्ता प्रतिष्ठान यानी सेना ने दुरुस्त फ़ैसले नहीं किए तो फ़ौज तबाह हो जाएगी और ‘पाकिस्तान के तीन टुकड़े हो जाएंगे।
हारे और हताश राजनेता की बात
इमरान खान ने इन विचारों को निजी टीवी चैनल ‘बोल’ के एंकर समी इब्राहीम से गुफ़्तगू के दौरान व्यक्त किया। भले इमरान खान की बात हारे और हताश राजनेता की बात लगती है, पर उन्होंने उस खतरे की ओर इशारा भी किया है, जो पाकिस्तान के सामने है।
पाकिस्तान की मीडिया रेगुलेटरी अथॉरिटी (पीएमआरए) ने इस इंटरव्यू के कुछ हिस्सों को दोबारा प्रसारित करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। पीएमआरए की तरफ़ से जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि इमरान ख़ान ने अपने इंटरव्यू के दौरान कुछ ऐसी बातें कही थीं, जो देश की सुरक्षा, संप्रभुता, स्वतंत्रता और विचारधारा के लिए गंभीर ख़तरा हैं। इससे देश में नफ़रत पैदा हो सकती है और उनका बयान शांति व्यवस्था बनाए रखने में रुकावट की वजह बन सकता है।
सेना पर आरोप
इमरान खान से पूछा गया कि अगर मुल्क का एस्टेब्लिशमेंट उनका साथ नहीं देता तो उनका भावी कार्यक्रम क्या होगा। जवाब में उनका कहना था कि ‘ये असल में पाकिस्तान का मसला है, सेना का मसला है। अगर एस्टेब्लिशमेंट सही फ़ैसले नहीं करेंगे, वे भी तबाह होंगे। फ़ौज सबसे पहले तबाह होगी। उन्होंने कहा कि ‘अगर हम डिफॉल्ट (यानी कर्ज चुकाने में विफल) कर जाते हैं, तो सबसे बड़ा इदारा कौन सा है जो मुतास्सिर होगा, पाकिस्तानी फ़ौज।
इमरान ख़ान की इस राय पर उनके राजनीतिक विरोधियों के अलावा सोशल मीडिया पर जबर्दस्त प्रतिक्रिया हुई है। चेयरमैन तहरीक-ए-इंसाफ़ के हामी जहां उनकी बात से इत्तफ़ाक़ कर रहे हैं वहीं बाज़ लोगों का ख़्याल है कि उन्हें ‘ऐसी गुफ़्तगू से गुरेज़ करना चाहिए था। प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ ने कहा कि इमरान अब सीमा पार कर रहे हैं। उन्हें देश के टुकड़े होने जैसी बातें नहीं करनी चाहिए।
बयान की आलोचना
पूर्व राष्ट्रपति आसिफ़ अली ज़रदारी ने कहा कि ‘कोई भी पाकिस्तानी इस मुल्क के टुकड़े करने की बात नहीं कर सकता, ये ज़बान एक पाकिस्तानी की नहीं बल्कि मोदी की है। इमरान ख़ान दुनिया में इक़तिदार ही सब कुछ नहीं होता, बहादुर बनो और अपने पाँव पर खड़े हो कर सियासत करना अब सीख लो। इस देश के तीन टुकड़े करने की ख़्वाहिश हमारे और हमारी नस्लों के जीते-जी पूरी नहीं हो सकती।
दूसरी तरफ साबिक़ (पूर्व) वज़ीर-ए-इत्तलात फ़वाद चौधरी ने ट्विटर पर अपने पैग़ाम में कहा कि ‘इमरान ख़ान ने जायज़ तौर पर उन ख़तरात की निशानदेही की जो मआशी (आर्थिक) तबाही की सूरत में पाकिस्तान को दरपेश होंगे।
इंटरव्यू के आग़ाज़ में इमरान ख़ान ने लांग मार्च के दौरान अपने कारकुनान की गिरफ्तारियों की मज़म्मत की और कहा कि सुप्रीमकोर्ट के फ़ैसले के बाद ‘हम इतमीनान में थे, हमने समझा हम आराम से निकल जाएंगे। मगर अब सोचना चाहिए हमारा मुक़ाबला माफ़िया के साथ है।
हम कमज़ोर थे
उन्होंने कहा, अगर फिर से वैसी ही हुकूमत मिलनी होती तो कभी क़बूल ना करता। ये एक इत्तेहादी हुकूमत थी, जिन लोगों ने हमें ज्वॉइन किया, क्या उन्हें हम जानते नहीं थे। हम बहुत कमज़ोर थे। अब ऐसा हो तो दुबारा चुनाव करा के बहुमत हासिल करना चाहूँगा। इमरान ख़ान ने कहा कि ‘हमारे हाथ बंध गए। हम हर तरफ़ से पकड़े गए। यानी हम हर जगह से ब्लैक मेल होते थे।
उन्होंने कहा, पावर पूरी तरह हमारे पास नहीं थी। पाकिस्तान में सबको पता है कि पावर किधर है। उनके ऊपर दारोमदार करना पड़ा। सारा वक़्त उन पर इनहिसार करते थे। इन्होंने कुछ अच्छी चीज़ें भी कीं। लेकिन कई चीज़ें जो होनी चाहिए थीं वो नहीं कीं। उनके पास पावर तो है। इसलिए कि वो इदारे कंट्रोल करते हैं जैसे नैब (क़ौमी एहतिसाब ब्यूरो)। नैब तो हमारे कंट्रोल में नहीं था। अदलिया आज़ाद है। मुल्क की ज़िम्मेदारी मेरी थी, लेकिन इख़्तियारात पूरे नहीं थे। ज़िम्मेदारी और इख़्तियारात हमेशा एक ही जगह पर होते हैं, तब ही एक निज़ाम चलता है।
इमरान खान की इन बातों को लेकर पाकिस्तान के अखबार डॉन ने सही टिप्पणी की है कि इमरान खान का बजाय संसदीय लोकतंत्र को मजबूत बनाने के ऐसी ताकत से चिरौरी करना, जो जनता द्वारा चुनी नहीं गई है, क्या सही है?
अब क्या करेंगे?
जब एंकर ने उनसे पूछा कि अगर एस्टेब्लिशमेंट उनसे तआवुन नहीं करता और उनके ख़िलाफ़ है तो आया उन्हें लगता है कि वे हुकूमत में नहीं आ सकेंगे और उनकी मुस्तक़बिल की हिकमत-ए-अमली क्या है? इमरान ख़ान ने जवाब दिया कि ‘अल्लाह ने जो कुछ देना था दे चुका। वज़ारत-ए-उज़्मा पर भी बैठा रहा साढे़ तीन साल। ये असल में पाकिस्तान का मसला है, एस्टेब्लिशमेंट का मसला है। अगर इस वक़्त सेना सही फ़ैसले नहीं करेगी, तो मैं आपको लिख कर देता हूँ कि ये भी तबाह होंगे। फ़ौज सबसे पहले तबाह होगी।
एटमी ताकत छिनेगी
इन्होंने कहा ये जब से आए हैं रुपया गिर रहा है, स्टॉक मार्केट, चीज़ें महंगी। डिफॉल्ट की तरफ़ जा रहा है पाकिस्तान। अगर हम डिफॉल्ट कर जाते हैं तो सबसे बड़ा इदारा कौन सा है जो मुतास्सिर होगा, पाकिस्तानी फ़ौज। ‘जब फ़ौज हिट होगी तो उसके बाद हमारे सामने क्या शर्त रखी जाएगी जो इन्होंने यूक्रेन के सामने रखी थी कि डिन्यूक्लाराइज़ करें (यानी एटमी (जौहरी) हथियार ख़त्म कर दें)।
पाकिस्तान, वाहिद इस्लामी मुल्क है जिसके पास जौहरी हथियार हैं। जब वो चला गया तो फिर क्या होगा? मैं आपको आज कहता हूँ कि पाकिस्तान के तीन हिस्से होंगे। इस वक़्त अगर सही फ़ैसले नहीं किए जाएंगे तो मुल्क ख़ुदकुशी की तरफ़ जा रहा है।
खतरनाक रास्ता
पर्यवेक्षकों का कहना है कि इमरान ख़ान ‘ख़तरनाक रास्ते पर चल पड़े हैं। उन्होंने पहले ही कहा था कि अगर वो निकाले गए तो ज़्यादा ख़तरनाक हो जाएंगे। सहाफ़ी अजमल जामी ने आम लोगों से गुज़ारिश की है कि ‘अपने किसी भी सियासी रहनुमा को वली या पैग़ंबर का दर्जा ना दीजिए। अंधी नफ़रत और अक़ीदत में मुब्तला मुतास्सिरीन से गुज़ारिश है कि रहनुमा मुआशरे को जोड़ा करते हैं, तोड़ा नहीं करते, ज़ख़्मों पर मरहम रखते हैं नमक नहीं छिड़कते। एक साबिक़ वज़ीर-ए-आज़म को तनबीहा के अंदाज़ में ऐसी गुफ़्तगू से गुरेज़ करना चाहिए था।
दूसरी जानिब पूर्व मंत्री ज़रताज गुल इस बात से इत्तिफ़ाक़ नहीं करतीं कि इमरान ख़ान किसी ख़तरनाक रास्ते पर निकल पड़े हैं। बल्कि वे समझती हैं कि दरअसल उनकी बात को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है।
(लेखक ‘डिफेंस मॉनिटर’ पत्रिका के प्रधान सम्पादक हैं। आलेख ‘जिज्ञासा’ से)