उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह से मैं निवेदन करना चाहूंगा कि जिन्होंने समाज का जातिभेद में बांटने का प्रयास किया वो अयोध्या आकर देख लें। यहां पर विभिन्न जातियों के मंदिर हैं, जिनमें सिर्फ़ राम जानकी के ही मंदिर बने हैं। महंत राजूदास ने कहा कि मेरा सवाल ये है कि एक बार नहीं, बार-बार यही होता है। इन्होंने हमेशा से विरोध ही किया है। जो आज विरोध कर रह रहे है वो कल भी विरोध कर रहे थे, ये विशुद्ध रूप से राम विरोधी है और राम विरोधी ही रहेंगे।
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उल्लेखनीय है कि दिग्विजय सिंह ने राम मंदिर में नई रामलला की प्रतिमा को लेकर सवाल किए थे कि नई मूर्ति की आवश्यकता क्या थी. उन्होंने कहा था कि, ‘रामलला की मूर्ति बाल स्वरूप होकर मां कौशल्या की गोद में होनी चाहिए, लेकिन राम जन्म भूमि मंदिर में जिस मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है वह तो बाल स्वरूप की नजर नहीं आती है। ‘ इसके साथ ही उन्होंने पूछा कि जिस रामलला की मूर्ति पर सारा झगड़ा हुआ वो कहां हैं? उसे स्थापित क्यों नहीं किया जा रहा?(एएमएपी)