मंदिर में भीड़ की वजह है वो सबरीमाला यात्रा, जो नवंबर से शुरू होकर जनवरी तक चलती है। इसे शामिल होने के लिए श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती गई और हालात बिगड़े। सबरीमाला मंदिर में बदइंतजामी को लेकर मंगलवार को संसद परिसर में प्रदर्शन हुआ। केरल कांग्रेस सांसदों ने संसद परिसर में इसका विरोध जताया। विधानसभा में विधायकों ने सवाल उठाए। 800 साल पुराना यह मंदिर भगवान अयप्पा को समर्पित है। वो अयप्पा जो भगवान शिव और विष्णु के पुत्र हैं।
#BreakingNews: सबरीमाला मंदिर में बदइंतजामी का मामला
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— Zee News (@ZeeNews) December 13, 2023
कैसे जन्मे भगवान शिव और विष्णु के पुत्र अयप्पा?
प्रचलित लोककथा के मुताबिक, भगवान अयप्पा का जन्म तब हुआ जब समुद्र मंथन हुआ था। समुद्र मंथन के दौरान भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप लिया। उन्हें देखकर भगवान शिव ऐसे मोहित हो गए कि उनका वीर्यपात हो गया। इससे भगवान अयप्पा का जन्म हुआ। इन्हें हरिहरन के नाम से भी जाना जाता है। हरि का मतलब है भगवान विष्णु और हरन यानी शिव। इनकी सबसे ज्यादा पूजा दक्षिण भारत में की जाती है।
भगवान अयप्पा
पौराणिक कथा के अनुसार, इनके जन्म के बाद मोहिनी बने भगवान विष्णु और शिवजी ने इनके गले स्वर्ण कंठिका पहनाई। फिर इन्हें पंपा नदी के किनारे पर छोड़ दिया। पंडालम के राजा राजशेखर ने इनका लालन-पालन किया। राजशेखर के कोई संतान न होने के कारण उन्होंने भगवान अयप्पा को ही अपना पुत्र माना। आज भी केरल में पंडालम नाम का एक शहर है।
कुछ समय बाद राजा की पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया। जन्म के बाद उनका पहले पुत्र अयप्पा के प्रति व्यवहार बदलने लगा। वह नहीं चाहती थीं कि अयप्पा को राजपाठ मिले। इसके लिए उन्होंने षडयंत्र रचा। खुद के बीमार होने की बात कही और इलाज के तौर पर बाघिन का दूध पीने की मांग रखी। षडयंत्र था कि जब अयप्पा उनके लिए दूध लेने जंगल जाएंगे तो राक्षसी महिषी उनकी हत्या कर देगी।
रास्ते में मिली राक्षसी ने जब अयप्पा को मारना चाहता तो उन्होंने उसका वध कर दिया। फिर अयप्पा दूध लाने की बजाय मां के लिए बाघिन को ही ले जाए। इस घटना ने सबको चौंका दिया। राजा समझ गए कि यह कोई साधारण बालक नहीं है। रानी के बुरे बर्ताव को देखते हुए राजा ने उनसे क्षमा मांगी। लेकिन उन्होंने राज्य को छोड़ने का फैसला किया और पिता से सबरी की पहाड़ियों में मंदिर बनाने की बात कहकर वह स्वर्ग की ओर प्रस्थान कर गए।
केरल में भगवान अयप्पा और सबरीमाला मंदिर में भारी अव्यवस्था के चलते श्रद्धालु 16-18 घंटे लाइन में खड़े रहने को मजबूर। भगवान के दर्शन किए बिना वापस लौट रहे श्रृद्धालु। भाजपा ने केरल सरकार की विफलताओं पर उठाए सवाल, देखिए हमारे सलाहकार संपादक विनोद मिश्र की रिपोर्ट
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क्या है मकर ज्योति?
राजा राजशेखर ने बेटे की इच्छा पूरी की और सबरी में मंदिर बनवाया। इसमें रखी गई प्रतिमा को भगवान परशुराम ने तैयार किया और मकर संक्रांति के दिन उसे स्थापित किया गया। तब से यह भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। मकर संक्रांति के दिन मंदिर के पास में अंधेरे में एक ज्योति दिखती है। जिसे देखने के लिए दुनियाभर से करोड़ों लोग यहां पहुंचते हैं। श्रद्धालुओं का मानना है कि यह खास तरह की देव ज्योति है, जिसे भगवान खुद प्रज्वलित करते हैं। मकर संक्रांति से कनेक्शन होने के कारण इसका नाम मकर ज्योति रखा गया है।
महिलाओं के प्रवेश पर रोक क्यों?
मंदिर में दर्शन से जुड़े भी अपने नियम हैं। यहां आने से 2 महीने पहले से ही मांस-मछली का सेवन छोड़ना होगा। भगवान विष्णु और शिव का पुत्र होने के कारण यहां आने वाले श्रद्धालुओं को इस नियम का पालन करना होता है। मान्यता है कि अगर कोई भक्त तुलसी या रुद्राक्ष की माला पहनकर मंदिर पहुंचता है और दर्शन करता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
क्यों बिगड़े हालात?
मनोरमा की रिपोर्ट के मुताबिक, साल दर साल यहां श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ रही है। रिपोर्ट में दावा किया गया किया बदइंतजामी की वजह है ड्यूटी ऑफिसर का सही निर्देश न जारी करना। पंपा के पास श्रद्धालुओं की संख्या को रोका नहीं गया।
पुलिस ने भी माना है कि बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर की पवित्र सीढ़ियां चढ़ते चले गए। यहां महिला, पुरुष और बच्चों की संख्या बढ़ी। पंपा के पास भी दबाव बढ़ा। हालात बिगड़ने के बाद पुलिस ने मांग की है कि भीड़ को लाइन में रखने के लिए एक अस्थायी निर्माण कराया जाए ताकि पंपा के पास करीब 5 हजार लोगों की भीड़ को नियंत्रित किया जा सके।
केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता वी डी सथेसन ने इस मामले में आरोप लगाते हुए कहा कि यहां श्रद्धालुओं के लिए पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं। श्रद्धालुओं को भीड़ में 20-20 घंटे तक इंतजार करना पड़ता है। इस दौरान उन्हें पीने का पानी भी नहीं दिया जा रहा है।
न्यूज एजेंसी PTI की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि श्रद्धालुओं की संख्या को कंट्रोल करने के लिए त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड ने सबरीमाला में मंदिर में दर्शन की अवधि को करीब 1 घंटे बढ़ाने का फैसला लिया है। (एएमएपी)