केरल में 18 पहाड़ियों के बीच बसा है 800 साल पुराना सबरीमाला मंदिर। यह करोड़ों हिन्दुओं की अस्था का प्रतीक है। पहले महिलाओं के प्रवेश के कारण यह मंदिर चर्चा में रहा, अब यहां फैली अव्यवस्था के कारण मामला संसद तक पहुंच गया है। मंदिर की भीड़ में दर्शन का इंतजार कर रही 11 वर्षीय लड़की मौत हो गई। द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक, यहां इतनी भीड़ बढ़ गई कि श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए 18-18 घंटे इंतजार करना पड़ रहा है। बदइंतजामी के बीच सीढ़ियों के पास भीड़ बेकाबू हो गई। कई तीर्थयात्रियों को बैरिकेड से कूदना पड़ा।

मंदिर में भीड़ की वजह है वो सबरीमाला यात्रा, जो नवंबर से शुरू होकर जनवरी तक चलती है। इसे शामिल होने के लिए श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती गई और हालात बिगड़े। सबरीमाला मंदिर में बदइंतजामी को लेकर मंगलवार को संसद परिसर में प्रदर्शन हुआ। केरल कांग्रेस सांसदों ने संसद परिसर में इसका विरोध जताया। विधानसभा में विधायकों ने सवाल उठाए। 800 साल पुराना यह मंदिर भगवान अयप्पा को समर्पित है। वो अयप्पा जो भगवान शिव और विष्णु के पुत्र हैं।

कैसे जन्मे भगवान शिव और विष्णु के पुत्र अयप्पा?

प्रचलित लोककथा के मुताबिक, भगवान अयप्पा का जन्म तब हुआ जब समुद्र मंथन हुआ था। समुद्र मंथन के दौरान भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप लिया। उन्हें देखकर भगवान शिव ऐसे मोहित हो गए कि उनका वीर्यपात हो गया। इससे भगवान अयप्पा का जन्म हुआ। इन्हें हरिहरन के नाम से भी जाना जाता है। हरि का मतलब है भगवान विष्णु और हरन यानी शिव। इनकी सबसे ज्यादा पूजा दक्षिण भारत में की जाती है।

भगवान अयप्पा

पौराणिक कथा के अनुसार, इनके जन्म के बाद मोहिनी बने भगवान विष्णु और शिवजी ने इनके गले स्वर्ण कंठिका पहनाई। फिर इन्हें पंपा नदी के किनारे पर छोड़ दिया। पंडालम के राजा राजशेखर ने इनका लालन-पालन किया। राजशेखर के कोई संतान न होने के कारण उन्होंने भगवान अयप्पा को ही अपना पुत्र माना। आज भी केरल में पंडालम नाम का एक शहर है।

कुछ समय बाद राजा की पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया। जन्म के बाद उनका पहले पुत्र अयप्पा के प्रति व्यवहार बदलने लगा। वह नहीं चाहती थीं कि अयप्पा को राजपाठ मिले। इसके लिए उन्होंने षडयंत्र रचा। खुद के बीमार होने की बात कही और इलाज के तौर पर बाघिन का दूध पीने की मांग रखी। षडयंत्र था कि जब अयप्पा उनके लिए दूध लेने जंगल जाएंगे तो राक्षसी महिषी उनकी हत्या कर देगी।

रास्ते में मिली राक्षसी ने जब अयप्पा को मारना चाहता तो उन्होंने उसका वध कर दिया। फिर अयप्पा दूध लाने की बजाय मां के लिए बाघिन को ही ले जाए। इस घटना ने सबको चौंका दिया। राजा समझ गए कि यह कोई साधारण बालक नहीं है। रानी के बुरे बर्ताव को देखते हुए राजा ने उनसे क्षमा मांगी। लेकिन उन्होंने राज्य को छोड़ने का फैसला किया और पिता से सबरी की पहाड़ियों में मंदिर बनाने की बात कहकर वह स्वर्ग की ओर प्रस्थान कर गए।

क्या है मकर ज्योति?

राजा राजशेखर ने बेटे की इच्छा पूरी की और सबरी में मंदिर बनवाया। इसमें रखी गई प्रतिमा को भगवान परशुराम ने तैयार किया और मकर संक्रांति के दिन उसे स्थापित किया गया। तब से यह भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। मकर संक्रांति के दिन मंदिर के पास में अंधेरे में एक ज्योति दिखती है। जिसे देखने के लिए दुनियाभर से करोड़ों लोग यहां पहुंचते हैं। श्रद्धालुओं का मानना है कि यह खास तरह की देव ज्योति है, जिसे भगवान खुद प्रज्वलित करते हैं। मकर संक्रांति से कनेक्शन होने के कारण इसका नाम मकर ज्योति रखा गया है।

महिलाओं के प्रवेश पर रोक क्यों?

यहां कई बार महिलाओं के प्रवेश पर रोक का मामला मुद्दा बना। मामला कोर्ट तक भी पहुंचा। महिलाओं पर रोक के पीछे भी एक कहानी है। मान्यता है कि इसमें सिर्फ वही बच्चियां आ सकती हैं जिनमें मासिक धर्म न शुरू हुआ हो। या बूढ़ी औरतें जो इससे मुक्त हो चुकी हों। दरअसल, भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी थे, इसलिए यहां 10 से 50 साल की लड़कियां और महिलाएं प्रवेश नहीं कर सकतीं।
प्रवेश से 2 महीने पहले छोड़ना होगा मांस मछली

मंदिर में दर्शन से जुड़े भी अपने नियम हैं। यहां आने से 2 महीने पहले से ही मांस-मछली का सेवन छोड़ना होगा। भगवान विष्णु और शिव का पुत्र होने के कारण यहां आने वाले श्रद्धालुओं को इस नियम का पालन करना होता है। मान्यता है कि अगर कोई भक्त तुलसी या रुद्राक्ष की माला पहनकर मंदिर पहुंचता है और दर्शन करता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

क्यों बिगड़े हालात?

मनोरमा की रिपोर्ट के मुताबिक, साल दर साल यहां श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ रही है। रिपोर्ट में दावा किया गया किया बदइंतजामी की वजह है ड्यूटी ऑफिसर का सही निर्देश न जारी करना। पंपा के पास श्रद्धालुओं की संख्या को रोका नहीं गया।

पुलिस ने भी माना है कि बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर की पवित्र सीढ़ियां चढ़ते चले गए। यहां महिला, पुरुष और बच्चों की संख्या बढ़ी। पंपा के पास भी दबाव बढ़ा। हालात बिगड़ने के बाद पुलिस ने मांग की है कि भीड़ को लाइन में रखने के लिए एक अस्थायी निर्माण कराया जाए ताकि पंपा के पास करीब 5 हजार लोगों की भीड़ को नियंत्रित किया जा सके।

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केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता वी डी सथेसन ने इस मामले में आरोप लगाते हुए कहा कि यहां श्रद्धालुओं के लिए पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं। श्रद्धालुओं को भीड़ में 20-20 घंटे तक इंतजार करना पड़ता है। इस दौरान उन्हें पीने का पानी भी नहीं दिया जा रहा है।

न्यूज एजेंसी PTI की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि श्रद्धालुओं की संख्या को कंट्रोल करने के लिए त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड ने सबरीमाला में मंदिर में दर्शन की अवधि को करीब 1 घंटे बढ़ाने का फैसला लिया है। (एएमएपी)