देवभूमि से भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को उखाड़ने में जी-जान से जुटे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी।

apka akhbar-ajayvidyutअजय विद्युत।

उत्तराखंड एक ऐसा पर्वतीय राज्य है जिसके लिए वर्षों तक वहां के लोगों ने आंदोलन किया और कुर्बानियां दीं। 9 नवंबर 2000 को उत्तर प्रदेश से अलग होकर उत्तराखंड भारत का 27वां राज्य बना। लेकिन भ्रष्टाचार एक ऐसी व्याधि थी जिसने अलग राज्य बनने के बाद भी आम पर्वतीय जन का जीवन दुरूह बनाये रखा।  यहां कई सरकारें बनीं और गयीं। भ्रष्टाचार बना रहा और मजबूत होता रहा। पहली बार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने भ्रष्टाचार पर निर्णायक वार करने की रणनीति को अमली जामा पहनाया है। देश भर में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अपराधियों में भय पैदा करने और कानून व्यवस्था सुधारने के ‘योगी मॉडल’ की चर्चा  है। अब लगभग उसी तरह उत्तराखंड से भ्रष्टाचार मिटाने की मुख्यमंत्री धामी की मुहिम ‘धामी मॉडल’ के तौर पर जानी जा रही है।

आखिर यह धामी मॉडल है क्या? दरअसल यह विविध रूप के भ्रष्टाचार की जड़ों पर प्रहार के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री धामी द्वारा उठे गए बहुआयामी क़दमों का ब्योरा है।

नकल विरोधी कानून

राज्य में सक्रिय नक़ल माफिया इतना ताकतवर हो गया था कि नेताओं और अफसरों का वरदहस्त उसे प्राप्त था। उसने प्रदेश के प्रतिभाशाली और परिश्रमी नौनिहालों का भविष्य संकट में डाल रखा था। फरवरी- 2023 में प्रदेश में देश का सबसे सख़्त नकल विरोधी कानून लागू कर धामी सरकार ने नकल माफिया के समूल नाश की शुरुआत की। इस नकल विरोधी कानून के प्रावधानों को देखें तो यह केवल एक कानून नहीं भ्रष्टाचार पर सीधा प्रहार था। युवाओं के भविष्य की रक्षा का संकल्प था।

इस अध्यादेश में दोषियों पर 10 करोड़ रुपए तक का ज़ुर्माना और आजीवन कारावास का प्रावधान है। इसका उद्देश्य परीक्षा की अखंडता को बाधित करने, अनुचित तरीकों का उपयोग करने, प्रश्नपत्रों का खुलासा करने और अन्य अनियमितताओं से जुड़े अपराधों को रोकना है। और महत्वपूर्ण बात यह कि इसमें राज्य सरकार, सरकार द्वारा संचालित स्वायत्त निकायों और राज्य सरकार के अनुदान से संचालित प्राधिकरणों, निगमों तथा संस्थानों के तहत विभिन्न पदों पर भर्ती के लिये सार्वजनिक परीक्षाएँ शामिल हैं।
नकल विरोधी कानून के अनुसार ये अपराध संज्ञेय, गैर-जमानती और गैर-शमनीय हैं। इस कानून से भर्ती परीक्षाओं में अनियमितताओं को रोकने के साथ ही यह सुनिश्चित करने की अपेक्षा की जाती है कि परीक्षाएँ पारदर्शी और निष्पक्ष रूप से आयोजित हों।

जब पूरा प्रदेश वर्षों से भर्ती घोटालों, नकल माफिया और भ्रष्ट तंत्र की गिरफ्त में था, तब एक ऐसा नेतृत्व उभरा जिसने कठोर फैसलों से न केवल व्यवस्था को झकझोरा बल्कि युवाओं को भरोसे का नया सूरज दिखाया। राज्य गठन के बाद से जो नकल माफिया व्यवस्था की नस-नस में घुस चुके थे, उन पर पहला निर्णायक प्रहार मुख्यमंत्री धामी जी ने किया। यह कोई सहज निर्णय नहीं था यह वर्षों से जमा भ्रष्टाचार के खिलाफ युद्ध का शंखनाद था। और उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य बना, जिसने सबसे सख्त नकल विरोधी कानून लागू किया। यह कानून केवल काग़ज़ी दस्तावेज नहीं है यह हजारों युवाओं की मेहनत की सुरक्षा की गारंटी है। उनकी प्रतिबद्धता का परिणाम है कि आज तक 23,000 से अधिक युवाओं को बिना सिफारिश, बिना रिश्वत, केवल योग्यता के आधार पर नौकरी मिली है।
आज उत्तराखंड में चाहे सर्विस सेलेक्शन बोर्ड हो या लोक सेवा आयोग, लगातार समय पर परीक्षाएँ हो रही हैं। राज्य बनने के 21 साल तक कुल 16 हजार नियमित नौकरियाँ मिली थीं, जबकि धामी के चार साल में 23 हजार नौकरियाँ मिल चुकी हैं, बिना किसी विवाद के। राज्य के इतिहास में पहली बार 57 नकल माफिया जेल भेजे गए और 24 आरोपियों पर गैंगस्टर एक्ट के तहत सख्त कार्रवाई की गई।

जनता को साथ लेकर भ्रष्टाचार पर वार

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को सतर्कता विभाग द्वारा निर्मित एप ‘भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखण्ड- 1064’ की शुरुआत की और अधिकारियों को भ्रष्टाचारियों पर सख्त कार्रवाई करने को कहा। मुख्यमंत्री ने सतर्कता निदेशक को इस एप का व्यापक प्रचार-प्रसार करने को कहा जिससे आमजन को इसके बारे में जानकारी हो। इस एप के मजबूत क्रियान्वयन पर जोर देते हुए धामी ने कहा कि इस एप पर आने वाली सभी शिकायतों का यथाशीघ्र निस्तारण किया जाए और भ्रष्टाचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
मुख्यमंत्री ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में जनता को सबसे बड़ा सहयोगी बनाया है। जनता को सीधे शिकायत दर्ज कराने का एक सशक्त माध्यम मिला। यह सिर्फ एक नंबर नहीं, बल्कि जनता की आवाज़ को सीधे प्रशासन तक पहुंचाने का विश्वास का पुल है। मुख्यमंत्री जी के अथक प्रयासों से यह सुविधा प्रभावी रूप से प्रचारित की गई, जिससे आम जनता ने निडर होकर भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी शिकायतें दर्ज करानी शुरू कीं।
इसका परिणाम यह हुआ कि 1064 पर मिली शिकायतों पर त्वरित और सख्त कार्रवाई की गई, जिससे  जनता का भ्रष्टाचार के खिलाफ विश्वास और भरोसा और मजबूत हुआ। यह भरोसा ही तो है जो किसी भी सरकार की सबसे बड़ी ताकत होती है। धामी जी के नेतृत्व में भ्रष्टाचार के खिलाफ यह जन-आंदोलन पूरे प्रदेश में फैल चुका है। जनता न केवल इस लड़ाई का हिस्सा बनी है, बल्कि वह इसे अपने हक की लड़ाई समझकर सक्रिय रूप से जुड़ी है।

बड़े-बड़े नपे हरिद्वार जमीन घोटाला में 

पहली बार प्रदेश के इतिहास में दो आईएएस, एक पीसीएस अधिकारी सहित 12 से अधिक बड़े अफसरों को एक साथ निलंबित किया गया। यह केवल कार्रवाई नहीं, संदेश है कि अब कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है। अभी तक धामी सरकार ने 200 से अधिक भ्रष्टाचारियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही की है। जनता को टोल-फ्री नंबर 1064 दिया गया, जिस पर बेहिचक शिकायतें आ रही हैं और उन पर त्वरित कार्यवाही हो रही है। यह जनता में पैदा हुआ भरोसा ही है, जो किसी भी सरकार की असली ताकत होता है।

हरिद्वार जमीन घोटाला मामला आखिर है क्या? हरिद्वार में कूड़े के ढेर वाली जमीन को खाली करने के बाद जमीन का लैंड यूज बदलवाया गया। जिससे जमीन का सर्किल रेट कई गुना बढ़ गया। यह जमीन नगर पालिका द्वारा खरीदी गई। जो जमीन 15 करोड़ मे खरीदी जानी चाहिए थी, वह 54 करोड़ में खरीदी गयी। जिससे सरकारी कोष को भारी नुकसान हुआ। मामला प्रकाश में आया तो नौकरशाह रणवीर सिंह की अध्यक्षता में मुख्यमंत्री धामी ने जांच बैठा दी। जांच में कुछ महत्वपूर्ण लोगों पर अंगुली उठी। इस प्रकार पहली बार इतने बड़े अफसरों को सस्पैंड होना पड़ा।

उत्तराखण्ड में मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस केवल नारा नहीं, ज़मीनी रणनीति बन चुका है। हर विभाग में निगरानी बढ़ी है, जवाबदेही तय हो रही है और शासन-प्रशासन में साफ-सफाई का काम शुरू हो चुका है। इस बदलाव की प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण भूमिका प्रदेश की जनता को निभानी है। भ्रष्टाचार के खिलाफ लोग आवाज उठाएँ, 1064 पर शिकायत करें, और सरकार के साथ खड़े हों तो यह केवल एक प्रशासनिक मुहिम नहीं रह जाएगी बल्कि ईमानदार उत्तराखण्ड की आधारशिला बन सकती है। साहस, नीति और नीयत जब एक साथ चलते हैं, तो बदलाव संभव है- धामी सरकार ने यह दिखा दिया है।

अभी काफी पिक्चर बाकी

उत्तराखण्ड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में शुरू भ्रष्टाचार के विरुद्ध सबसे बड़े और सख़्त अभियान में अब तक 200 से अधिक भ्रष्ट व्यक्तियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जा चुकी है। भ्रष्टाचारियों में अब इस कदर भय है कि पकड़े जाने पर सीधे नोट निकालकर दिखाने लगे हैं, लेकिन धामी सरकार किसी को बख्श नहीं रही। सरकार की इस मुहिम ने स्पष्ट कर दिया है कि कोई भी व्यक्ति कितना भी बड़ा क्यों न हो, वह कानून से ऊपर नहीं है।

लेकिन आप इसे पूरी पिक्चर ना समझें अभी काफी पिक्चर बाकी है। धामी सरकार ने सिस्टम की गंदगी साफ करने की जो मुहिम शुरू की है, वह केवल शुरुआत है। हर सरकारी विभाग में अब सतर्कता टीमें सक्रिय हैं- कोई भी अधिकारी मनमानी नहीं कर सकता।

किसी के भी मन में यह प्रश्न उठ सकता है कि यह सब तो उत्तराखंड में पिछले ढाई दशक से यानी राज्य बनने के बाद से ही चल रहा था। फिर अभी इतने बड़े बड़े बदलाव कैसे संभव होने लगे? यह सब कुछ इसलिए संभव हुआ क्योंकि एक नेता ने जनता की पीड़ा को अपना संकल्प बनाया, और बिना विचलित हुए, हर बाधा को पार करते हुए एक नया उत्तराखण्ड गढ़ने का बीड़ा उठाया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का यह संघर्ष केवल वर्तमान के लिए नहीं, भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक मजबूत नींव है। यही है धामी मॉडल- निर्णायक नेतृत्व, पारदर्शी शासन और जनता के अधिकारों की सच्ची रक्षा।