राजीव रंजन।
अंग्रेजी में एक कहावत है ‘टॉक ऑफ द टाउन’ यानी चर्चा का विषय। विश्व क्रिकेट में आज ऋषभ पंत भी ‘टॉक ऑफ़ द टाउन’ हैं। लेकिन 2019-20 में एक समय ऐसा भी था, जब पंत विकेट के पीछे कोई गलती करते थे, दर्शक धोनी-धोनी का शोर मचाते थे। यह किसी भी युवा खिलाड़ी के लिए बहुत मुश्किल समय होता है, पंत के लिए भी था। सारी मुश्किलों के बावजूद पंत ने खुद को हताश नहीं होने दिया। और आज वह क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में भारतीय टीम का जरूरी हिस्सा माने जा रहे हैं।
इस मामले में टीम इंडिया के मैनंजमेंट को भी श्रेय देना पड़ेगा कि उसने पंत को बहुत अच्छे से संभाला। लेकिन सबसे अहम बात यह है कि पंत ने खुद को भी निखारने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। खूब मेहनत की, अपना वजन कम किया। अपने माइंडसेट में बदलाव किया- अपनी बल्लेबाजी को बदले बगैर। टीम इंडिया के कोच रवि शास्त्री भी इस बात की तस्दीक करते हैं। आईपीएल में पंत को दिल्ली कैपिटल्स का कप्तान बनाया गया है। पूर्व भारतीय कप्तान अजहरुद्दीन उन्हें भविष्य के कप्तान के रूप में देख रहे हैं।
पतन के बाद उत्कर्ष
कई बार पतन के बाद ही उत्कर्ष की शुरुआत होती है। यह बात ऋषभ पंत पर भी लागू होती है। ऑस्ट्रेलिया दौरे में वे विकेटकीपर के रूप में प्लेइंग इलेवन की पहली पसंद नहीं थे। लेकिन कहते हैं न कि जब किसी का समय आ जाता है, तो उसे रोका नहीं जा सकता है। ऋषभ पंत के साथ भी ऐसा हुआ। पहले टेस्ट में वह नहीं खेले, उसके पीछे सबसे बड़ा कारण था उनकी खराब विकेटकीपिंग। रिद्धिमान साहा वर्तमान में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ टेस्ट विकेटकीपर हैं और ऑस्ट्रेलिया की उछाल भरी पिचों पर विशेषज्ञ विकेटकीपर के रूप में भारतीय टीम में उन्हें ही जगह दी गई। लेकिन वह बल्लेबाजी में कुछ नहीं कर सके। 2020-21 सत्र के ऑस्ट्रेलिया दौरे के पहले टेस्ट में एडिलेड में भारत ने टेस्ट इतिहास का अपना सबसे कम स्कोर बनाया। दूसरी पारी में टीम 36 रनों पर ऑल आउट हो गई और बुरी तरह से टेस्ट मैच हार गई।
शानदार वापसी
ऋषभ पंत को जो चीज दूसरों से अलग करती है, वह है उनकी निर्भीक बल्लेबाजी। वीरेंद्र सहवाग जैसी शैली। लिहाजा पंत को दूसरे टेस्ट में मौका मिला और पंत ने इस मौके को इतनी अच्छी तरह से भुनाया कि अब रिद्धिमान साहा नेपथ्य में चले गए हैं- ऋषभ से बहुत बेहतर विकेटकीपर होते हुए भी। खैर, भारतीय टीम ने दूसरे टेस्ट में जबरदस्त वापसी की और ऑस्ट्रेलिया को हराया। अगला टेस्ट ड्रा किया और फिर अंतिम टेस्ट जीतते हुए सीरीज को भी अपने नाम कर लिया। ऑस्ट्रेलिया दौरे का दूसरा टेस्ट सिर्फ भारत की कमबैक का ही गवाह नहीं बना, बल्कि ऋषभ पंत की शानदार वापसी का भी साक्षी बना। पहले टेस्ट में वह नहीं खेले, लेकिन दूसरे टेस्ट में जब उन्हें मौका मिला तो उन्होंने अपनी बल्लेबाजी से सबको सम्मोहित कर लिया। हालांकि उनकी विकेटकीपिंग पर सवाल तब भी उठे, लेकिन उनकी बल्लेबाजी ने इस कमी को हवा में उड़ा दिया। कहां तो वह टीम का स्वाभाविक हिस्सा भी नहीं माने जा रहे थे और कहां वह भारत की जीत के नायक बन गए। पंत केवल तीन टेस्ट खेलकर भारत की ओर से सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज रहे। उन्होंने दो अर्द्धशतकों की मदद से 68.50 की औसत से 274 रन बनाए।
जीत में महत्वपूर्ण भूमिका
2020-21 के आस्ट्रेलिया दौरे में ऋषभ पंत टेस्ट टीम में तो थे, लेकिन वनडे और टी-20 टीम में नहीं थे। जब इंग्लैंड की टीम भारत आई तो पंत को तीनों टीम में रखा गया। पंत ने ऑस्ट्रेलिया की शानदार फॉर्म को बरकरार रखते हुए एक बार फिर शानदार पारियां खेली और सीरीज जीत में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। चौथे टेस्ट में उन्होंने शतक लगाया और ‘प्लेयर ऑफ द मैच’ बने। टेस्ट सीरीज में वह रोहित शर्मा के बाद सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज रहे। 4 टेस्ट की 6 पारियों में 54.00 की औसत से 270 रन। T20 में वह शुरुआती दो मैच नहीं खेले, लेकिन बाद में उन्हें अंतिम एकादश में रखा गया और उन्होंने उपयोगी पारियां खेलीं।
इंग्लैंड के खिलाफ पहले वनडे में वह नहीं खेले। दूसरे वनडे में पंत ने महज 40 गेंदों में 77 रन ठोक डाले और वनडे का अपना सर्वश्रेष्ठ स्कोर बनाया। साथ ही, एक पारी में सबसे ज्यादा स्ट्राइक रेट का रिकॉर्ड (75 और उससे ज्यादा रनों की पारी के मामले में) भी तोड़ दिया। वहीं इसके ठीक अगले वनडे यानी रविवार, 28 मार्च को खेले गए सीरीज के आखिरी और निर्णायक मुकाबले में पंत ने 62 गेंदों में 78 रन की बेहद परिपक्व पारी खेलते हुए अपने वनडे करियर का सर्वश्रेष्ठ स्कोर बनाया और भारत को 329 रन के स्कोर पर पहुंचने में मदद की। भारत ने यह मैच 7 रन से जीतकर वनडे सीरीज अपने अपने नाम की।
सबको हैरान कर दिया
इंग्लैंड के खिलाफ पूरी सीरीज में पंत की विकेटकीपिंग भी अव्वल दर्जे की रही। उन्होंने बतौर विकेटकीपर भी सबको हैरान कर दिया। शानदार गैदरिंग, शानदार कैचिंग। सुनील गावस्कर भी ऋषभ पंत के इस बदले रूप और प्रदर्शन से काफी प्रभावित हैं। पंत की तारीफ करते उन्होंने कहा कि “पंत पिछले तीन-चार महीनों से अच्छी फॉर्म में हैं। सबसे अच्छी बात है कि वह स्मार्ट और बुद्धिमानी भरा क्रिकेट खेल रहे हैं। हर गेंद को उड़ाने की कोशिश नहीं कर रहे हैं, सही गेंद का इंतजार कर रहे हैं। जब गेंद उनकी रेंज में होती है, तो शॉट खेलते हैं। उन्हें पता है कि फील्डर कहां हैं, इसलिए वह सुनिश्चित कर रहे हैं कि खाली जगहों पर गेंद को मारें।”
धैर्य और गति का अद्भुत मेल
इसमें तो कहीं भी शक नहीं था कि ऋषभ पंत एक बहुत प्रतिभाशाली बल्लेबाज हैं और उनमें शॉट खेलने की अद्भुत क्षमता है। वह अपनी इच्छा से बड़े-बड़े शार्ट लगा सकते हैं। सामने गेंदबाज कौन-सा है, इस बात से उनको कोई फर्क नहीं पड़ता है। पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग की तरह, जिनके बारे में कहा जाता था कि वह गेंदबाज को नहीं, गेंद को खेलते थे। कई बार तो वह वैसी गेंदों को बाउंड्री के बाहर पहुंचा देते, थे जिस पर दूसरे बल्लेबाज आउट हो जाया करते थे। ऋषभ भी ऐसे ही दिखाई देते हैं। वे खराब फॉर्म में थे, तब भी किसी ने नहीं कहा कि उनमें प्रतिभा नहीं है। सब यही कह रहे थे कि पंत बहुत हड़बड़ी में रहते हैं। उन्हें खुद को टाइम देना चाहिए और उसके बाद तो वह किसी भी गेंदबाज की धज्जियां उड़ा सकते हैं। ऑस्ट्रेलिया दौरे में हमने एक अलग ऋषभ पंत को देखा। उन्होंने पूरे धैर्य के साथ बल्लेबाजी की और इससे उनकी रन बनाने की गति पर कोई फर्क नहीं पड़ा। बस अंतर इतना था कि वह हर गेंद पर प्रहार नहीं कर रहे थे, बल्कि गेंदों को देख रहे थे और उनकी क्वालिटी के हिसाब से खेल रहे थे। यहीं से पंत, एक अलग पंत के रूप में उभरे हैं। ऑस्ट्रेलिया दौरे के बाद इंग्लैंड दौरे में भी यह दिखाई दिया।
जबरदस्त एंटरटेनर
पंत भारतीय टीम में एक नया जायका जोड़ते हैं। वह न सिर्फ विकेट के आगे सबका मनोरंजन करते हैं, बल्कि विकेट की पीछे भी मनोरंजन करते रहते हैं। अपनी शानदार टिप्पणियों से, जो स्टंप माइक के जरिये हमारे कानों तक पहुंचती रहती है। एक बार तो मैच प्रेंजेटशन के दौरान हर्ष भोगले ने मजाक में पंत से कह भी दिया- आपकी वजह से हमारी बहुत आलोचना हो रही है। लोग कह रहे हैं कि अपनी कमेंटरी बंद करो, हमें पंत को सुनने दो। पंत यहां भी नहीं चूके और मजेदार जवाब से भोगले को लाजवाब कर दिया- सर ये मेरी तारीफ है या इससे आप लोगों को दिक्कत हो रही है, तो आप लोग अपनी कमेंट्री में थोड़ा सुधार करो।
दिग्गज मानते हैं कप्तानी का मजबूत दावेदार
विकेट के पीछे से अपने गेंदबाजों के साथ पंत जिस तरह से संवाद करते हैं, उससे उनकी क्रिकेटिंग समझ के बारे में भी पता चलता है। शायद यही वजह है कि आईपीएल में श्रेयस अय्यर की गैर-मौजूदगी में उन्हें दिल्ली कैपिटल्स की कप्तानी सौंपी गई है। वह भी तब, जब टीम में स्टीव स्मिथ जैसे खिलाड़ी हैं, जो ऑस्ट्रेलिया की कप्तानी कर चुके हैं, राजस्थान रॉयल्स की कप्तानी कर चुके हैं। अजिंक्य रहाणे हैं, जो टेस्ट में भारतीय टीम और आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स की कप्तानी कर चुके हैं। रविचंद्रन अश्विन भी हैं, जो आईपीएल में ही किंग्स इलेवन पंजाब के कप्तान रह चुके हैं। इन दिग्गजों के रहते पंत को दिल्ली कैपिटल्स की कप्तानी सौंपना दिखाता है कि उन्हें भविष्य के नेतृत्वकर्ता के रूप में देखा जा रहा है। क्रिकेटर से कमेंटेटर बने आकाश चोपड़ा ने तो इंग्लैंड के खिलाफ एक मैच में कमेंटरी के दौरान घोषणा ही कर दी थी कि पंत भारतीय टीम के भविष्य के कप्तान हैं। आकाश चोपड़ा ही ऐसा नहीं सोचते, पूर्व भारतीय कप्तान मोहम्मद अजहरूद्दीन का भी मानना है कि पंत भविष्य में भारतीय टीम की कप्तानी की दावेदारी में सबसे आगे हो सकते हैं। अजहर को लगता है कि पंत कप्तान के रूप में एक लंबी और सफल पारी खेल सकते हैं। उन्होंने ट्वीट किया- “ऋषभ पंत के लिए पिछले कुछ महीने शानदार रहे हैं। उन्होंने सभी प्रारूपों में खुद को स्थापित किया है। यह आश्चर्य की बात नहीं होगी कि चयनकर्ता निकट भविष्य में उन्हें भारतीय टीम की कप्तानी के अग्रणी दावेदार के रूप में देखें। उनका आक्रामक क्रिकेट आने वाले समय में भारत को अच्छी स्थिति में रखेगा।”
अपनी पहली टेस्ट सीरीज के तीसरे मैच में ओवल मैदान पर इंग्लैंड के खिलाफ चौथी पारी में 114 रनों की पारी खेल कर पंत ने बता दिया था कि उनमें शानदार प्रतिभा है। अपने पहले ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर 159 रनों की नाबाद पारी खेलकर उन्होंने यह जता दिया था कि उन्हें पिच और गेंदबाज से कोई फर्क नहीं पड़ता। वह किसी भी गेंदबाजी आक्रमण को भोथरा कर सकते हैं। अजहर अनुभवी खिलाड़ी और कप्तान रहे हैं। उन्होंने ऋषभ में भविष्य का कप्तान देखा है, तो कुछ बात जरूर होगी। कप्तान के रूप में पंत में क्या संभावनाएं हो सकती हैं, इस आईपीएल में उसकी झलक मिल जाएगी।