नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय (एनएमएमएल) का नाम अब आधिकारिक रूप से बदलकर प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय (पीएमएमएल) कर दिया गया है। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर नाम परिवर्तन पर मुहर लग गई। ये नाम परिवर्तन सोमवार (14 अगस्त) से प्रभावी हो गया है। नाम बदले को लेकर पक्ष-विपक्ष में लगातार तीखे वार हो रहे हैं। इसी बीच पीएमएमएल के कार्यकारी परिषद के उपाध्यक्ष का बयान सामने आया है। उन्होंने बताया कि किस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को महसूस हुआ कि हमारे पास पीएम का एक संग्रहालय होना चाहिए।

पीएम मोदी को यह हुआ महसूस

प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय के कार्यकारी परिषद के उपाध्यक्ष ए सूर्य प्रकाश ने कहा कि पीएम मोदी को महसूस हुआ कि देश में पीएम का एक संग्रहालय होना चाहिए। फिर सवाल उठा कि यह कहां बनाया जा सकता है। इस पर फैसला लिया गया कि नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सही जगह है।

प्रधानमंत्रियों के काम को प्रदर्शित करना

प्रकाश ने कहा कि एनएमएमएल को चुनने का कारण यह है कि हमारे पास 28 एकड़ की संपत्ति है। वह आदर्श स्थान है क्योंकि वहां पहले से ही नेहरू संग्रहालय स्थित है। उन्होंने कहा कि हम सबका एक ही विचार था कि भारत के सभी प्रधानमंत्रियों के काम को प्रदर्शित करना। पीएमएमएल के कार्यकारी उपाध्यक्ष ने कहा कि मुझे लगता है कि यह बहुत अच्छा विचार था और उन्होंने यह जिम्मेदारी नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय को दे दी। उन्होंने कहा कि यह जिम्मेदारी मिलने पर हम सम्मानित महसूस कर रहे हैं।

पिछले साल हुआ था प्रधानमंत्री संग्रहालय का उद्घाटन

उन्होंने कहा कि पिछले साल प्रधानमंत्री मोदी ने प्रधानमंत्री संग्रहालय का उद्घाटन किया, जहां हमने सभी प्रधानमंत्रियों के काम को प्रदर्शित किया है। एक बार जब नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय का दायरा बदल गया, तो इसमें विविधता आ गई। एक तरह से इसका लोकतंत्रीकरण हो गया। उपाध्यक्ष ए सूर्य प्रकाश ने कहा कि स्वाभाविक रूप से संस्था के नाम में उस नए नाम और जिम्मेदारी को भी दर्शाया जाना चाहिए, जो संस्था के पास है।

बदलाव की यह है प्रक्रिया

उन्होंने कहा कि नाम बदलने की पहली पहल 15 जून को की गई थी, जब सोसायटी की आम सभा बुलाई गई थी। कानून के तहत अगर हम किसी सोसायटी का नाम बदलना चाहते हैं तो आम सभा को एक साल के अंतराल के बाद दो बार बैठक करनी होती है। इसलिए, 18 जुलाई को इसकी दोबारा बैठक हुई और नाम बदलने की बात दोहराई गई। फिर, यह रजिस्ट्रार ऑफ सोसायटीज के पास गया।

उन्होंने कहा कि यदि आप अब नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय (एनएमएमएल) में आते हैं, तो आप तीन मूर्ति भवन देखेंगे। साथ ही यह भी देख सकेंगे कि हमने कैसे प्रधानमंत्रियों के 17 वर्षों के कार्यकाल में उनके द्वारा विभिन्न पहलुओं में किए गए अभूतपूर्व कार्यों को प्रदर्शित किया है।  इसमें नेहरू, आधुनिक भारत के उनके मंदिरों, हीराकुंड बांध, नागार्जुन सागर बांध, प्रौद्योगिकी संस्थान स्थापित करने के उनके विचार, योजना को भी देख सकते हैं।

नाम बदलने पर छिड़ा था राजनीतिक संग्राम

जून में जब नेहरू मेमोरियल का नाम बदलने का फैसला लिया गया था तो इसे लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर हमला बोला था। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा था जिनका कोई इतिहास नहीं है, वे दूसरों का इतिहास मिटाने चले हैं। नाम बदलने से पूर्व प्रधानमंत्री की शख्सियत को कम नहीं किया जा सकता है। कांग्रेस के हमले पर बीजेपी ने पलटवार किया था। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा था कि कांग्रेस एक साधारण तथ्य स्वीकार नहीं कर पा रही है कि इस देश के लिए एक वंश के अलावा दूसरे नेताओं ने भी देश की सेवा और उसका निर्माण किया है। उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री संग्रहालय राजनीति से परे एक प्रयास है और कांग्रेस के पास इसका अहसास करने के लिए दृष्टि की कमी है। (एएमएपी)