नई दिल्ली । पूर्वोत्तर राज्य मिज़ोरम में 7 नवंबर को मतदान होना है. चुनाव मैदान में बीजेपी और कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टियों के अलावा मिज़ो नेशनल फ़्रंट और ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट जैसी स्थानीय पार्टियां भी हैं। पड़ोसी बीजेपी शासित मणिपुर में हिंसा के बाद हज़ारों लोग पलायन करके मिज़ोरम पहुंचे हैं. इसके प्रभाव भी अब यहां नज़र आ रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अगले कुछ दिनों में यहां चुनाव अभियान में शामिल हो सकते हैं.मिज़ोरम के मुख्यमंत्री और मिज़ो नेशनल फ्रंट के नेता ज़ोरमथंगा का कहना है कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मिज़ोरम आएंगे और चुनावी सभा को संबोधित करेंगे तो वो ‘उनके साथ मंच साझा नहीं करेंगे.’मीडिया से बातचीत में ज़ोरमथंगा ने कहा कि अगर केंद्र सरकार चाहेगी तो मणिपुर में शांति स्थापित करना कोई मुश्किल काम नहीं है। मिज़ो नेशनल फ़्रंट नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस का हिस्सा है और केंद्र में एनडीए के साथ है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मिज़ोरम में चुनाव अभियान के दौरान मंच साझा करने की संभावना के सवाल पर ज़ोरमथंगा स्पष्ट कहते हैं कि वो पीएम के साथ मंच पर नहीं आएंगे। उन्होंने कहा, “मैं प्रधानमंत्री के साथ मंच साझा नहीं करूंगा क्योंकि वो बीजेपी से हैं और मिज़ोरम में सभी ईसाई लोग हैं. मणिपुर में मैतेई लोगों ने सैकड़ों चर्चों को आग लगा दी. यहां के सभी लोग इस विचार के ख़िलाफ़ हैं. अगर ऐसे समय में मेरी पार्टी बीजेपी के प्रति कोई सहानुभूति रखती है तो यह उसके लिए बहुत नुक़सानदेह होगा. ऐसे में अगर प्रधानमंत्री यहां आते हैं तो ये उनके लिए भी बेहतर होगा कि वो मंच पर अकेले रहें और मेरे लिए भी बेहतर होगा कि मैं अपने अलग मंच पर रहूं. ये हम दोनों के लिए ही बेहतर होगा.”
This exactly what the ChinKuki drug Lords Want.Unrest in Imphal VALLEY and Police/Central Forces deployed to handle the protest rallies while they quickly harvest the poppy fields in Hill #JusticeForLinthoingambiAndHemanjit #IndiaDemandsJustice #kukiNarcoTerrorist #SaveMeitei https://t.co/yakXbk0yLh
— save Manipur #Manipur student# Manipur violence # (@TRontgen61592) September 29, 2023
मिज़ोरम में भले ही ज़ोरमथंगा बीजेपी से दूरी बनाने की बात कर रहे हैं लेकिन केंद्रीय स्तर पर उनकी पार्टी एनडीए के साथ है, इस गठबंधन की अगुवाई बीजेपी कर रही है। क्या वो बीजेपी से केंद्र में भी दूरी बनाएंगे, इस सवाल पर ज़ोरमथंगा कहते हैं, “केंद्र में हम बीजेपी के ग्रुप में है. केंद्रीय स्तर पर दो ही गठबंधन हैं एक बीजेपी का एनडीए और दूसरा कांग्रेस का यूपीए जो अब इंडिया है. हम हमेशा से ही सौ प्रतिशत कांग्रेस के ख़िलाफ़ रहे हैं. पिछले तीस-चालीस सालों से हम कांग्रेस के ख़िलाफ़ हैं तो हम यूपीए के समूह में नहीं हो सकते हैं. इसलिए हम एनडीए में है.”
‘शरणार्थी मानवीय ज़िम्मेदारी’
‘मणिपुर की समस्या का समाधान बहुत आसान’
मणिपुर में जारी हिंसा के बीच वहां रहने वाले मिज़ो मूल के लोगों ने मिज़ोरम की तरफ़ पलायन किया है. क्या ये लोग कभी वापस लौट पाएंगे, इस सवाल पर ज़ोरमथंगा कहते हैं, “ये भारत सरकार पर निर्भर करता है, वो लोग तो अपनी पैतृक जगहों पर जाने का इंतज़ार कर रहे हैं. उन्हें उस समय का इंतज़ार है जब वो अपनी जगह पर, अपनी ज़मीन पर वापस जा सकें. अगर भारत सरकार और गृह मंत्रालय वाक़ई में मणिपुर की समस्या का समाधान करना चाहते हैं तो ये बहुत आसान है. मणिपुर में स्पष्ट विभाजन हैं. वहां लोग अब मिलते-जुलते नहीं हैं. मुझे लगता है कि अगर केंद्र सरकार चाहे तो इस विभाजन को समाप्त कर सकती है।
महाराष्ट्र :कांग्रेस का ‘लेफ्ट टर्न’ सत्ता पाने लालयित, वामपंथियों से कार्यकर्ता ले रहे ट्रेनिंग
‘मणिपुर हिंसा’ मिज़ोरम में भी चुनावी मद्दा है. यहां की ईसाई बहुल आबादी मणिपुर के हालात से प्रभावित है. क्या इस संकट का नज़दीकी भविष्य में कोई समाधान दिखता है?
इस सवाल पर ज़ोरमथंगा कहते हैं, “ये अंदाजा लगाना मुश्किल है कि मणिपुर का मुद्दा कब तक सुलझेगा, ये केंद्र सरकार का काम है. मुझे लगता है कि प्रयास करने से इसका समाधान हो सकता है। मिज़ो लोगों के एकजुट होने के सवाल पर वो कहते हैं, “ब्रितानी शासनकाल के दौरान हम एकजुट थे फिर ब्रिटेन ने हमें कई हिस्सों में बांट दिया. इंडिया, ईस्ट पाकिस्तान और बर्मा में हम लोग बंट गए. मैं ये उम्मीद करता हूं कि म्यांमार में शांति आएगी. हम म्यांमार के साथ शांति के बेहद क़रीब पहुंच गए थे. फिर वहां चुनाव हुए और आंग सान सू ची का शासन आया. वो पांच साल तक शांत रहीं और इसी वजह से म्यांमार के साथ शांति नहीं हो सकी. अब हमें फिर से उम्मीद है कि शांति होगी. म्यांमार में ज़मीन पर सक्रिय सभी समूह शांति के इच्छुक हैं. म्यांमार की सैन्य सरकार भी शांति प्रयास को लागू करने की इच्छुक है।
पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधन
वापस नहीं भेजेंगे शरणार्थी- जोरमथांगा
UCC का भी विरोध
मिजोरम के मुख्यमंत्री ने कहा कि एमएनएफ के अलावा किसी अन्य पार्टी ने एनडीए की बैठकों में प्रस्तावित समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का कड़ा विरोध नहीं किया है क्योंकि उनमें से अधिकांश केवल प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अच्छे संबंध बनाने के लिए जाते रहे हैं। बता दें कि जोरमथांगा ने 4 जुलाई को विधि आयोग को चिट्ठी लिखकर समान नागरिक संहिता को देश के सभी नस्ली अल्पसंख्यक और खासकर मिजो लोगों के हितों के खिलाफ बताया था।
उन्होंने कहा, “मैंने केंद्र को बताया कि 1971 में पश्चिम बंगाल में शरण लेने वाले पूर्वी पाकिस्तान के लाखों शरणार्थियों का भारत सरकार ने ख्याल रखा था और मैंने केंद्र सरकार पर कड़ा दबाव बनाया है।” मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी पार्टी एमएनएफ तभी तक एनडीए के कार्यक्रमों और नीतियों का साथ देगी, जबतक वे जनता और खासकर देश के नस्ली अल्पसंख्यकों के हित में होंगी।