प्रमोद जोशी।
तालिबान को वैश्विक मान्यता मिलेगी या नहीं, इसका अनुमान संयुक्त राष्ट्र महासभा की सालाना बैठक के दौरान लगाया जा सकेगा। तालिबान शासन ने संरा से अनुरोध किया है कि हमारे प्रतिनिधि को महासभा में बोलने की अनुमति दी जाए। इसके लिए उन्होंने दोहा स्थित अपने प्रवक्ता सुहेल शाहीन को प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त कर दिया है। संरा की एक प्रामाणिकता (क्रेडेंशियल) समिति अब इस अनुरोध पर फैसला करेगी। इस समिति के नौ सदस्यों में अमेरिका, चीन और रूस के प्रतिनिधि भी शामिल हैं।


इस समिति की बैठक अगले सोमवार यानी 27 सितम्बर के पहले नहीं होगी। अमेरिका का कहना है कि हम इस विषय पर काफी सावधानी से विचार करेंगे। बहरहाल लगता यही है कि फिलहाल अफगानिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि गुलाम इसाकज़ई ही अफगानिस्तान का प्रतिनिधित्व करते रहेंगे, जो पिछली सरकार द्वारा नियुक्त हैं। इस बात की सम्भावना लग रही है कि 27 को वे अफगानिस्तान की ओर से वक्तव्य देंगे। संरा सुरक्षा परिषद की बैठकों में भी वही शामिल हुए थे। तालिबान ने अपने अनुरोध में कहा है कि वे अफगानिस्तान के प्रतिनिधि नहीं हैं। दुनिया के अनेक देशों की सरकारें उस सरकार को मान्यता नहीं देती हैं, जिसने उन्हें नियुक्त किया था।

तालिबान का अनुरोध स्वीकार करने का मतलब!

Afghanistan Taliban Updates: Afghanistan Will Not Be Able To Access Imf Resources - तालिबान की सत्ता: अफगानिस्तान पर पाबंदियों का सिलसिला शुरू, आईएमएफ से नहीं मिलेगी मदद - Amar Ujala ...

अब संयुक्त राष्ट्र के सामने सवाल है कि तालिबान के अनुरोध को स्वीकार करने का मतलब क्या नई सरकार को मान्यता देना नहीं होगा? इससे तालिबान को एक वैधानिक मंच मिल जाएगा। उधर संयुक्त राष्ट्र महासभा के हाशिए पर होने वाली दक्षेस देशों की बैठक इस साल नहीं हो पाएगी, क्योंकि यह तय नहीं हो सका है कि इस बैठक में अफगानिस्तान का प्रतिनिधित्व कौन करेगा। तालिबान या अशरफ ग़नी सरकार का प्रतिनिधि?

नए शासकों के हर फैसले पर पैनी नजर

US responsible for chaos and disorder at Kabul airport: Taliban | palpalnewshub

तालिबान की नई सरकार को मान्यता देने के संबंध में दुनिया काबुल के नए शासकों के हर फैसले पर पैनी नजर बनाए हुए है। वैश्विक समुदाय यह फैसला किसी दबाव या जल्दबाजी में नहीं करना चाहता। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक तालिबान के विदेशमंत्री आमिर खान मुतक्की ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेश को एक पत्र लिखा। तालिबान ने कहा था कि हम वैश्विक नेताओं को संबोधित करना चाहते हैं।

तालिबान सरकार के भीतर मतभेद

कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमाद अल थानी ने अपील की है कि ग्लोबल नेता तालिबान का बहिष्कार न करें। उधर तालिबान सरकार के भीतर भी मतभेद नजर आने लगे हैं। एक गुट का काबुल में डेरा है, जबकि दूसरे की कमान कंधार में है। कंधारी धड़े का नेतृत्व तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर के बेटे और वर्तमान रक्षामंत्री मुल्ला मोहम्मद याकूब उमर कर रहे हैं। काबुल में हक्कानी नेटवर्क के नेता सिराजुद्दीन हक्कानी गद्दी पर बैठे हुए हैं। तालिबान ने इसे खुलकर व्यक्त नहीं किया है, पर पर्यवेक्षक इस बात को नजरंदाज करने को तैयार नहीं हैं।
(लेखक रक्षा और सामरिक मुद्दों पर केंद्रित पत्रिका ‘डिफेंस मॉनिटर’ के प्रधान सम्पादक हैं। आलेख ‘जिज्ञासा’ से)