सुरेंद्र किशोर।
पश्चिम बंगाल की मुख्य मंत्री ममता बनर्जी ने हाल में कोलकाता में कहा कि किसी भी कीमत पर पश्चिम बंगाल में हम सी.ए.ए., एन.आर.सी. और यू.सी.सी.लागू नहीं होने देंगे।
सवाल है कि यदि लागू नहीं हुआ तो क्या होगा?… यह होगा कि जल्दी ही पश्चिम बंगाल एक दूसरा कश्मीर बन जाएगा। बी.बी.सी.के संवाददाता रहे और लंदन में बस चुके डा.विजय राणा तो बताते हैं कि पश्चिम बंगाल, ‘‘कश्मीर’’ बन चुका है।
अब क्या करना होगा?… कुछ जानकार लोग बताते हैं कि लोक सभा चुनाव के तत्काल बाद पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करना होगा। उसके बाद इस राज्य को तीन हिस्सों में बांट देना होगा। तीन में से एक यानी ‘अशांत इलाकों’ को केंद्र शासित प्रदेश बनाना होगा। एक पहाड़ी राज्य होगा। बाकी पश्चिम बंगाल रहेगा।
जब वाम मोर्चा के मुख्य मंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य थे तो उनका एक बयान जनसत्ता में मैंने पढ़ा था। उन्होंने कहा था कि पश्चिम बंगाल के सात जिलों में घुसपैठियों के कारण सामान्य प्रशासन चलाना हमारे लिए कठिन हो गया है। हालांकि बाद में माकपा के बड़े नेताओं ने मुख्य मंत्री पर दबाव डालकर उस बयान को उनसे वापस करवा दिया था।
इस बीच ममता बनर्जी के शासन काल में अनेक जिलों की हालत चिंताजनक हो चुकी है।होती जा रही है। राष्ट्रपति शासन लागू करना और उसे संसद के दोनों संदनों की संयुक्त बैठक से स्वीकृति दिलाना जरूरी होगा। उसके लिए लोक सभा की 405 सीटें जीतना राजग के लिए जरूरी हो गया है। पता नहीं ,वह लक्ष्य प्राप्त करना राजग के लिए इस बार संभव होगा या नहीं। यदि नहीं होगा तो पश्चिम बंगाल में अत्यंत चिंताजनक स्थिति पैदा हो सकती है।
हालांकि बिहार तथा कुछ अन्य राज्यों के मतदातागण फोन पर यही बता रहे हैं कि देश के लिए हमारे ध्यान में सिर्फ नरेंद्र मोदी हैं, न कि कोई उम्मीदवार।
कुछ तथ्य
दुनिया के सारे देशों में अपना-अपना पोपुलेशन रजिस्टर है। यहां तक कि पाकिस्तान में भी। पर हमारे देश के जो लोग इस देश को धर्मशाला समझते हैं। वे चाहते हैं कि बाहर से जितने भी बांग्ला देशी, रोहिंग्या चाहें यहां आकर बस सकते हैं। यहां कोई रजिस्टर नहीं होना चाहिए।
कई देश हैं जहां की सीमा पर अवैध ढंग से घुसने की कोशिश करने वालों को सुरक्षाकर्मी गोली मार देते हैं। पर, हमारे कुछ सुरक्षाकर्मी व वोट लोलुप दलों के कार्यकर्ता रिश्वत के सहारे घुसपैठियों को यहां बसा कर उन्हें मतदाता बनवा देते हैं।
दुनिया के किसी अन्य गैर मुस्लिम देश में अलग-अलग धर्मों के लोगों के लिए अलग -अलग कानून नहीं हैं। सिर्फ भारत में ऐसा है।
उधर, जेहादी संगठन पी.एफ.आई.हथियारों के बल पर भारत को 2047 तक इस्लामिक देश बना देने के अपने लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रहा है। पी.एफ.आई. के राजनीतिक संगठन एस.डी.पी.आई. के सहारे राहुल गांधी वायनाड में लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। याद रहे कि वायनाड में 48 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)