रूस-यूक्रेन युद्ध का एक साल शुक्रवार को पूरा हो जाएगा। लेकिन दोनों देशों में वर्चस्व, सम्मान और स्वाभिमान की जंग जारी है। न कोई जीता है न हारा। दोनों ओर से हजारों जान जा चुकी हैं। शहर खंडहर हो गए हैं। रूस पीछे हटने को तैयार नहीं है और यूक्रेन छलनी होने के बाद भी सीना ताने खड़ा है। युद्ध ने दोनों देशों को तो प्रभावित किया है। दुनिया की अर्थव्यवस्था पर भी गहरा प्रभाव डाला है।

विश्व अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर

विशेषज्ञों की मानें, तो विश्व अर्थव्यवस्था आगामी दो वित्तीय वर्षों में और सुस्त रहेगी। पिछले वित्तीय वर्ष में विश्व जीडीपी 2.2% के मुकाबले मामूली बढ़त के साथ 3.1% रहने का अनुमान है, वहीं 2024 में ये 2.7% तक रह सकती है। 2023 में वैश्विक अर्थव्यवस्था पूर्ण रूप से प्रमुख एशियाई बाजार पर निर्भर रहेगी। अमेरिका और यूरोप में और गिरावट आने का अनुमान है। आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी )की मानें तो इस वित्तीय वर्ष में विश्व में मुद्रास्फीति 9% से अधिक रह सकती है। 2023 के अंत तक इसके 6.6% और 2024 में 5.1% तक कम होने का अनुमान है।

युद्ध से पहले और बाद में कुछ ऐसी रही विश्व के प्रमुख देशों की जीडीपी की वृद्धि दर

देश 2022 2023 युद्ध के एक साल बाद 2024 अनुमानित
सउदी अरब 9.8% 5% 3.5%
भारत    8.7%        6.5%         6.9%
चीन      3.3%       4.6%          4.1%
अमेरिका 1.8%       0.5%          1%
जापान    1.6 %     1.8%          0.9%
जर्मनी    1.8%       0.3%          1.5%
ब्रिटेन    4. 4%       0. 4%         0. 2%
रूस     3.9%       5. 6%          0. 2%
स्रोत: आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी )से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार।

रूस-यूक्रेन युद्ध में एक साल में किसको कितना नुकसान
– 18 प्रतिशत यूक्रेन के क्षेत्र पर रूस का कब्जा
– 2 लाख रूसी सैनिक मारे गए और घायल हुए
– 1 लाख सैनिक यूक्रेन के अब तक मारे गए
– 30 हजार से ज्यादा यूक्रेनी नागरिकों की मौत
– 1.4 करोड लोगों को यूक्रेन से होना पड़ा विस्थापित
– 25 अरब डॉलर से ज्यादा की मदद दे चुका अमेरिका
-8 लाख करोड़ से ज्यादा का नुकसान हो चुका यूक्रेन को
– 32 लाख करोड़ का नुकसान पूरी दुनिया को हो चुका
-20 करोड़ लोग युद्ध के कारण भुखमरी के कगार पर
– 8 अरब से ज्यादा युद्ध में फूंक चुका है रूस अब तक
नोट: उपलब्ध आंकड़े रूस, यूक्रेन, अमेरिका के दावों के अनुसार हैं।

अब तक युद्ध के कारण देखे गए ये बदलाव

  • कई देश मोटे अनाज को तरसे
  • युद्ध से विश्व दो गुटों में बंट गया
  • इसे तीसरे विश्व युद्ध की आहट माना जा रहा
  • अन्य देश भी शक्ति प्रदर्शन को मानने लगे जायज
  • चीन और उत्तर कोरिया ने भी दे डाली धमकी

रणनीतिक रूप से और मजबूत हुआ भारत

यूक्रेन युद्ध को रोकने के लिए सभी की निगाहें भारत की ओर लगी हैं। भारत एकमात्र ऐसा बड़ा देश है] जिसके रूस, पश्चिमी और यूक्रेन सभी से अच्छे संबंध हैं। 10 महीनों में भारत के युद्ध में मध्यस्थता करने का दायरा बढ़ गया है। अपने कूटनीतिक प्रयासों से दोनों देशों को युद्ध रोकने के लिए मना रहा है।

चुनौतीपूर्ण हो सकती हैं स्थितियां

ओईसीडी के महासचिव मैथियास कॉर्मन का मानना है कि युद्ध का अंत ही वैश्विक आर्थिक दृष्टिकोण को सुधारने का प्रभावशाली तरीका होगा। जब तक युद्ध समाप्त नहीं होता, सरकारें संकट का सामना करने के लिए अल्पकालिक और मध्यम अवधि के नीतिगत उपाय लागू करें।(एएमएपी)