प्रतिवर्ष जारी होने वाली वर्ल्ड हैपिनेस रिपोर्ट बताती है कि कौन देश सबसे ज्यादा खुश और कौन से देश सबसे ज्यादा दुखी हैं। लोगों की स्वतंत्रता, स्वास्थ्य, भ्रष्टाचार, आय सहित वैश्विक स्तर पर खुशी के स्तर को निर्धारित करने के लिए कई कारकों को ध्यान में रखा जाता है। सबसे अधिक दुखी देशों की लिस्ट में पहला नाम अफगानिस्तान का आया है। भारत भले ही इस लिस्ट में शामिल नहीं है लेकिन इसकी स्थिति भी ज्यादा अच्छी नहीं है।

ऐसे तैयार होती है रिपोर्ट

दरअसल, इस रिपोर्ट को तैयार करने में मुख्य रूप से 6 बातों का ध्यान रखा जाता है- सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य, आय, आजादी, लोगों के बीच उदारता की भावना और भ्रष्टाचार का न होना। इंसान के खुश रहने के लिए इन सभी बातों का होना जरूरी है। जो देश इन सभी कारकों पर खरा नहीं उतरता या कम अंक हासिल करता है, वो सबसे दुखी देश माना जाता है। 137 देशों की लिस्ट में भारत नीचे से 12वें स्थान पर है यानी यह दुनिया का 12वां सबसे दुखी देश है। भारत वैश्विक पटल पर तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था बन रहा है लेकिन हैपिनेस रिपोर्ट में इसका प्रदर्शन ज्यादा अच्छा नहीं रहा है।

दुनिया से 9 सबसे दुखी देश

अफगानिस्तान

137 देशों की लिस्ट में अफगानिस्तान सबसे निचले पायदान के साथ दुनिया का सबसे दुखी देश है। तालिबान के शासन में अफगानिस्तान बेहद कम जीवन प्रत्याशा, गरीबी, भुखमरी से जूझ रहा है। दशकों तक युद्ध का मैदान रहे अफगानिस्तान में लोग महंगाई, बेरोजगारी और तालिबान के क्रूर शासन के बीच निराशा से भरपूर जीवन जीने को मजबूर हैं।

लेबनान

सबसे दुखी देशों की लिस्ट में लेबनान का स्थान दूसरा है। यह देश सामाजिक-राजनीतिक उथल-पुथल, आर्थिक अस्थिरता झेल रहा है जहां के लोग समाज और सरकार से नाखुश दिखते हैं।

सिएरा लियोन

सिएरा लियोन सबसे दुखी देशों की लिस्ट में दुनिया में तीसरे और अफ्रीका में पहले स्थान पर है। यहां की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है और राजनीति की अस्थिरता से लोगों के बीच असंतोष की भावना है। सामाजिक उथल-पुथल से जूझ रहे इस देश के नागरिक खाने-पीने की जरूरतें भी नहीं पूरी कर पा रहे हैं।

जिम्बॉब्वे

वर्ल्ड हैपिनेस रिपोर्ट में चौथे स्थान पर जिंबाब्वे है। जिम्बॉब्वे भी फिलहाल कई तरह की चुनौतियों से जूझ रहा है जिसे लेकर वहां के लोग में निराशा और हताशा घर कर गई है।

डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो

लंबे समय से संघर्ष, राजनीतिक उथल-पुथल, तानाशाही शासन, लोगों का जबरदस्ती पलायन झेल रहा कांगो सबसे दुखी देशों की लिस्ट में पांचवें स्थान पर है। चारों तरफ से चुनौतियों से घिरे कांगो के लोग देश की स्थिति देख असंतोष और निराश हैं।

बोत्सवाना

बोत्सवाना में भी राजनीतिक-सामाजिक स्थिरता की कमी है जिससे लोग संतुष्ट नहीं हैं और यह देश सबसे दुखी देशों की लिस्ट में छठे स्थान पर है।

मलावी

बढ़ती जनसंख्या, बंजर जमीन और सिंचाई की सुविधा का न होना जैसी मुश्किलें झेल रहा मलावी दुखी देशों की लिस्ट में सातवें स्थान पर है। यहां के लोगों के पास खाने-पीने की चीजों की कमी है और अर्थव्यवस्था बेहद खराब स्थिति में है। सीमित संसाधनों के बीच बढ़ती जनसंख्या के बोझ तले दबे मलावी के लोगों में निराशा है।

कोमोरोस

कोमोरोस की अस्थिरता का आलम यह है कि इसे ‘तख्तापलट का देश’ कहा जाता है। यहां के लोग सामाजिक-राजनीतिक अस्थिरता से बेहद निराशा की स्थिति में हैं और यह 8वां सबसे दुखी देश है।

तंजानिया

आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक अस्थिरता झेल रहा तंजानिया सबसे दुखी देशों की लिस्ट में 9वें स्थान पर है।(एएमएपी)