वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और मंदी की आशंका के बीच पिछले छह महीने में पूरी दुनिया में 760 कंपनियों ने 5.38 लाख कर्मचारियों को नौकरी से निकाला है। टेक कंपनियों ने सबसे ज्यादा कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया है, जो कुल छंटनी का करीब एक तिहाई हिस्सा है। इसके अलावा, रियल एस्टेट, कम्युनिकेशन, वित्तीय क्षेत्र, हेल्थकेयर व ऊर्जा समेत अन्य सभी क्षेत्रों में छंटनी हुई है।आंकड़ों के मुताबिक, कुल 5.38 लाख में से आधे की छंटनी तो केवल 24 कंपनियों ने ही की है। इसका सबसे कम असर ऊर्जा क्षेत्र की कंपनियों के कर्मचारियों पर पड़ा है। इस क्षेत्र में छह महीने में सिर्फ 4,000 नौकरियां गई हैं।

एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया है कि सि्वटजरलैंड का सबसे बड़ा बैंक यूबीएस भी 36,000 कर्मचारियों की छंटनी करने की योजना बना रहा है। यह पिछले छह महीने में वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ी छंटनी होगी। वित्तीय क्षेत्र में हुई कुल छंटनी का यह करीब 29 फीसदी है। दरअसल, यूबीएस ने संकट में फंसे क्रेडिट सुइस का पिछले महीने अधिग्रहण किया था। इसके साथ ही यूबीएस ने कहा था कि वह 2027 तक अपनी लागत 8 अरब डॉलर तक घटाएगा। इसमें छंटनी भी शामिल होगी।

24 कंपनियों ने ही आधे कर्मचारियों के दिखाया बाहर का रास्ता
कंपनी           छंटनी
अमेजन         27,101
मेटा             21,000
एसेंचर         19,000
अल्फाबेट      19,000
– ऊर्जा क्षेत्र सबसे कम प्रभावित, सिर्फ 4,000 नौकरियों पर ही दिखा संकट

फेडेक्स ने 12,000 को निकाला

फेडेक्स ने इस दौरान कुल 12,000 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया है। यह लॉजिस्टिक क्षेत्र में कुल छंटनी का चार फीसदी हिस्सा है। माइक्रोसॉफ्ट ने 11,120 कर्मचारियों की छुट्टी की। यह टेक क्षेत्र में कुल छंटनी का पांच फीसदी है।
– आइकिया ने रिटेल में कुल छंटनी का छह फीसदी यानी 10,000 लोगों को बाहर निकाला।
– स्वास्थ्य क्षेत्र में फिलिप्स ने 13 फीसदी यानी 10,000 कर्मचारियों की छंटनी की है। फीसदी के लिहाज से देखें तो यूबीएस-क्रेडिट सुइस सबसे आगे है।

अभी आगे भी जारी रहेगा संकट

विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार बढ़ती महंगाई को रोकने के लिए दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दर के मोर्चे पर सख्त रुख अपनाया। इसका सीधा असर दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं और कंपनियों की कमाई पर पड़ा है। राजस्व में कमी के बीच अपनी लागत घटाने और मुनाफा स्थिर रखने के लिए कंपनियों ने छंटनी का रास्ता अपनाया हुआ है। खासकर टेक कंपनियों ने।
– वैश्विक मंदी के बीच सबसे पहले इन्हीं टेक कंपनियों ने छंटनी की शुरुआत की क्योंकि कोरोना काल में इन्होंने उच्च वेतन पर जरूरत से ज्यादा भर्तियां कर ली थीं।
– इस साल के अनुमान पर विशेषज्ञों ने कहा कि हालात अब भी बेहतर नहीं हुए हैं। इसलिए, कंपनियां आगे और छंटनी कर सकती हैं। भारत पर भी इसका असर पड़ेगा।(एएमएपी)