कुश्ती महासंघ पर बृज भूषण शरण सिंह का दबदबा कायम रहने पर पहलवान साक्षी मलिक ने खेल से सन्‍यास लेने का फैसला लिया है। कुश्ती महासंघ के चुनाव में बृज भूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह को बड़ी जीत मिली है। मीडिया से बात करते हुए साक्षी मलिक ने कहा कि वह इसके विरोध में कुश्ती ही छोड़ देंगी। इसके अलावा साथ में ही मौजूद महिला पहलवान विनेश फोगाट भी आहत नजर आईं और रोने लगीं। साक्षी मलिक, विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया ने कहा कि इन नतीजों का यह मतलब हुआ कि महिला पहलवानों को उत्पीड़न झेलते रहना होगा।

साक्षी मलिक ने कही ये बात..

पहलवान साक्षी मलिक ने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “हम 40 दिनों तक सड़कों पर सोए और देश के कई हिस्सों से बहुत सारे लोग हमारा समर्थन करने आए। अगर बृज भूषण शरण सिंह के बिजनेस पार्टनर और करीबी सहयोगी को कुश्ती संघ का अध्यक्ष चुना जाता है, तो मैं कुश्ती छोड़ती हूं। हमारा समर्थन करने वाले सभी लोगों को धन्यवाद। लड़ाई पूरे दिल से लड़ी। अगर अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह जैसा आदमी ही रहता है तो मैं अपनी कुश्ती को त्यागती हूं।”

संजय सिंह ने अनीता को हराया

बता दें कि बृजभूषण सिंह के परिवार का कोई सदस्य या रिश्तेदार इस चुनाव में नहीं उतरा था। लेकिन उन्होंने अपने करीबी संजय सिंह को उतार दिया था। संजय सिंह को 47 में से 40 वोट मिले हैं, जबकि उनका मुकाबले उतरीं अनीता श्योराण महज 7 वोट ही पा सकीं। आंदोलनकारी पहलवानों ने अनीता को अपना समर्थन दिया था। साक्षी मलिक ने कहा कि हम चाहते थे कि एक महिला को संघ की कमान मिले, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।

जानिए कौन है संजय सिंह?

संजय सिंह यूपी कुश्ती संघ के उपाध्यक्ष रहे हैं और बृजभूषण के बेहद करीबी माने जाते हैं। चुनाव से पहले की कई खबरों में कहा गया था कि संजय सिंह के खेमे के पास 50 वोट में से 41 का समर्थन है। असम, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, जम्मू कश्मीर और ओडिशा के अलावा लगभग सभी राज्यों के कुश्ती संघ का समर्थन उन्हें मिलने की बात कही गई थी।

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बृजभूषण पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने वाले बजरंग, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट की ओर से धरना दिए जाने के बाद पूर्व कुश्ती संघ अध्यक्ष को चुनाव से दूर रहने के लिए कहा गया। बृजभूषण न खुद चुनाव में खड़े हुए और न ही उनके पुत्र और दामाद चुनाव में खड़े हुए। सूत्र बताते हैं कि उन पर संजय सिंह को भी चुनाव से बाहर करने का दबाव बनाया गया, लेकिन यहां बात नहीं बनी।(एएमएपी)