अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (21 जून) पर विशेष।
श्रीश्री रविशंकर ।
आज जब पूरी दुनिया एक संकट की घड़ी से गुजर रही है योग मानव जाति के लिए एक वरदान साबित हो रहा है। योग से रोग का निदान, समस्याओं का समाधान, आत्मबल की वृद्धि होता हुआ हम देख रहे हैं। योग करने से मन प्रफुल्लित हो उठता है, बुद्धि तीक्ष्ण हो जाती है। वर्तमान समय में संसार भर में कोरोना महामारी फैली है। योग मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली के निर्माण में मदद करने के साथ-साथ हमें शारीरिक रूप से फिट और भावनात्मक रूप से स्थिर रखता है। योग का नियमित अभ्यास ऊर्जा के स्तर को बढ़ाता है और साथ ही व्यक्ति के उत्साह को भी बढ़ाता है।
संसार को फिर से पटरी पर लाएं
हम सबको योग करना है। कभी हम नहीं कर पाते क्योंकि हमें आलस्य जकड़ लेता है। कभी हम समय का बहाना लेकर कह देते हैं कि हमारे पास समय नहीं है। यह सुनिश्चित करना हम सब का उत्तरदायित्व है कि प्रत्येक नागरिक को योग करने का अवसर उपलब्ध हो। हम इस संसार को फिर से पटरी पर लाने में अपनी भूमिका निभाएं।
मूलभूत परिवर्तन
मैं आपसे कहता हूं कि जितना भी समय आप योग के लिए दे सकते हैं, उतना ही लाभ आपको मिलेगा। इसलिए अवश्य योग करें, प्राणायाम करें, थोड़ी देर बैठ कर ध्यान करें। ध्यान प्राणायाम के बगैर योग सिर्फ व्यायाम बनकर रह जाता है। 1-यम, 2-नियम, 3-आसन, 4-प्राणायाम, 5-प्रत्याहार, 6-ध्यान, 7-धारणा और 8-समाधि… जब योग के इन आठों अंगों को हम जीवन में उतारते हैं तो जीवन में एक मूलभूत परिवर्तन हमको नजर आता है। यह क्या परिवर्तन है? यह परिवर्तन है कि हम कमजोरी, बलहीनता से बल की ओर, दुख से प्रसन्नता की ओर और रोग से निरोगता की ओर हम चल पड़ते हैं। आप सब लोग अपने आसपास और सम्पर्क के लोगों को प्रेरणा दीजिए कि एक-एक व्यक्ति योग करे।
हम सभी जन्मजात योगी
हम स्वीकार करें या ना करें लेकिन हम सभी जन्मजात योगी हैं। आप एक बच्चे को गौर से देखें तो उसकी समस्त शारीरिक क्रियाएं अलग-अलग योग मुद्राओं के समान लगेंगी। उसका सोना, मुस्कुराना जैसे कार्य भी योग के समान प्रतीत होते हैं। इसलिए बच्चे हमेशा तनावमुक्त और खुश रहते हैं। वे एक दिन में 400 बार तक मुस्कुरा लेते हैं। बच्चों के सांस लेने का तरीका वयस्क लोगों से बिल्कुल अलग होता है। यह सांस ही है जो शरीर और भावनाओं के मध्य सेतु का कार्य करती है। योग से अनगिनत लाभ हैं। पहला लाभ तो यही है कि हम स्वस्थ होते हैं। योग हमें तनाव और कुंठा से मुक्त जीवन की ओर बढ़ाता है।
संकट की घड़ी में सकारात्मकता जरूरी
ऐसा नहीं है कि योग करने के लिए कुछ विशेष सिद्धांतों को मानना है। आप किसी भी मत- संप्रदाय के अनुयायी हों, कोई फर्क नहीं पड़ता। यह योग आपके लिए वरदान साबित होगा। जब हम संकट की घड़ी से गुजरते हैं तो हमें सकारात्मकता की आवश्यकता होती है। उस सकारात्मकता से ही हमें बल मिलता है। योग-प्राणायाम-ध्यान करने से वह सकारात्मकता हमें प्राप्त होगी। आज जब पूरी दुनिया संकट से गुजर रही है तो योग पूरी मानव जाति के लिए भारत का वरदान साबित हुआ है। हमारे देश में बच्चों, नौजवानों और बुजुर्गों सब के लिए योग करना आवश्यक है। योग करने से हम ना केवल अपनी सकारात्मकता को बढ़ाते हैं बल्कि अपने चारों ओर एक सकारात्मक वातावरण का निर्माण करने में सफल हो होते हैं। आज यह बहुत आवश्यक है।
जीवन एक उत्सव बन जाए
जब लोग पीड़ा-दर्द और दुख से गुजर रहे होते हैं तो उनके भीतर आत्मविश्वास और हिम्मत जगाना आवश्यक है। योग से यह अवश्य संभव हुआ है। इसलिए जहां कहीं भी लोग नकारात्मक मानसिकता से गुजर रहे हों, उन सबको अवश्य ही योग करना चाहिए। और जो लोग सकारात्मक और उत्साही हैं उनको भी योग करना चाहिए ताकि वे उस उत्साह को बनाए रख सकें। इस साल हम योग दिवस अपने परिवार के साथ सोशल डिस्टेंसिंग आदि सभी नियमों का पालन करते हुए ऐसा मानते हैं कि वह जीवन का एक उत्सव बन जाए।
(लेखक आध्यात्मिक गुरु और आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक हैं)