के. विक्रम राव।

यूं तो ”लव जिहाद” वाले कानून की मुहिम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथजी में कट्टरता का परिमाण देखा गया था। मगर अश्विन कृष्ण पक्ष, षष्ठी पर, (निषिद्ध अवधि : 20 सितंबर से 6 अक्टूबर तक) अपनी काबीना के विस्तार का जनहितकारी कार्य संपादित कर, मुख्यमंत्री ने पारम्परिक अंधविश्वास को स्वयं दूसरी दफा नेस्तनाबूत कर डाला।


नोएडा जाने से बचते रहे सेक्युलर मुख्यमंत्री

Yogi Aditynath breaks 'jinx', visits Noida with PM Modi to inaugurate new line

पितृपक्ष संबंधी ऐसी भ्रामक आशंकाओं को मुख्यमंत्री ने निर्मूल कर दिया। उन्होंने दर्शाया कि यह अंधविश्वास केवल अज्ञानता, भय, निर्बलता और विषाद का स्रोत है। योगीजी ने यह भी साफ कर दिया कि ऐसी सोच विकृत होती है। उपासना का उपहास उड़ाती है। इसी भांति एक अन्य आशंका पनपती रही थी कि जो भी मुख्यमंत्री नोएडा यात्रा पर गया, वह पद से भी गया। मगर यह भगवाधारी मुख्यमंत्री गत वर्षों में कई बार नोएडा गया। उनसे नियति ने ही हार मान ली।

दकियानूसीपन पर जोरदार हल्ला

Akhilesh Yadav, Mayawati to hold 11 joint rallies from April 7 - The Economic Times

यूपी में गत सात दशकों में दो दर्जन मुख्यमंत्री रहे। उनमें घोर सेक्युलर, वामपंथी, जनवादी, प्रगतिशील, अनीश्वरवादी, खासकर समाजवादी भी रहे, पर किसी ने भी पितृपक्ष सम्बंधी ऐसे भोंडे दकियानूसीपन पर जोरदार हल्ला नहीं बोला। शुभकार्य वर्जित रहे। शायद कोई साहस भी नहीं जुटा पाया। सब लकीर के फकीर रहे। धारा के साथ बहते रहे। मूर्तिभंजक आर्य समाजी चरण सिंह भी सीएम रहे। नास्तिक मायावती रही, जिनके दलित गुरु काशीराम ने रामजन्मभूमि पर संडास निर्माण का सुझाव रखा था। लोहियावादी पितापुत्र भी रहे। मगर उन सबने पितृपक्ष में तर्पण मात्र ही किया, कोई शुभ राजकार्य नहीं। किसी मुख्यमंत्री ने भी (योगीजी की भांति) धर्मान्धता को ठोकर नहीं लगायी। आंख और अंग फड़के तो ये राजनेता अनिष्टकारी मानकर भयाकुल रहते हैं। बिल्ली रास्ता काटे तो मार्ग बदल दें। कहीं एक आंखवाला मिला तो इन्हें डर लगता है कि ”प्राण जायें कहु संशय नाही।” अगर वस्तुत: ये सब सेक्युलर होते तो अपने राज में ऐसे ढोंगों-रिवाजों को ध्वस्त कर देते। फलस्वरुप लोकआस्था काफी बढ़ जाती। मगर ये सब शुभाशुभ की उलझन में फंसे रहे। योगीजी इन सबसे एकदम भिन्न निकले। पितृपक्ष की चिन्ता नहीं की। सात मंत्री नामित कर दिये।

बात लव जिहाद पर कानून की

India Supreme Court restores 'love jihad' marriage - BBC News

अब आएं तनिक ”लव जिहाद” पर जिसे विपक्ष ने वोट से जोड़ा है। मानव हृतंत्री को निनादित करने वाली इस कमनीय भावना को तमावृत्त प्रतीति में बदलने की साजिश इन प्रतिपक्ष राजनेताओं को नहीं करनी चाहिये थी। हालांकि ”लव जिहाद” पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास योगीजी के पूर्व में भी हुआ था। मगर राष्ट्रीय स्तर पर ”लव जिहाद” रोकने वाले कदम उठाने की हिम्मत केन्द्र की राजग सरकार भी नहीं कर सकी, जैसा यूपी ने किया है। केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री, तेलांगाना के भाजपा सांसद जी. किशन रेड्डी ने लोकसभा को 2 फरवरी 2021 को आश्वस्त किया कि भारत में मतान्तरण रोकने का कानून नहीं बनाया जायेगा। कुछ नेहरु-टाइप उदारतावाला वादा था। पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रधान सचिव भैयाजी जोशी ने दैनिक ”इंडियन एक्सप्रेस” (3 फरवरी 2021) को बताया था कि: ” प्रेम विवाह और ”लव जिहाद” में अंतर समझना होगा। झूठ बोलकर धर्मान्तरण कराना कानूनन अपराध करार दिया जाये। राष्ट्रीय कानून निर्मित हो।” भैयाजी से करीब छप्पन वर्ष पूर्व (अक्टूबर 1965, टाइम्स आफ इंडिया) में मेरी एक रपट छपी थी। डा. राममनोहर लोहिया ने शिवाजी पार्क (दादर, मुंबई) की जनसभा में मांग की थी कि ”अपरिवर्तनीय धर्म और मतांतरणवाली आस्थाओं के संबंधी आचरण की मर्यादा हेतु संसद कानून बनाये।”

अब इतिहास में झांके। आखिर प्रेम और मतांतरण का प्रपंच बाधित करने की शुरुआत कब की गयी थी? दिल्ली सल्तनत के कारण हिन्दू बहुल राष्ट्र हिन्दुस्तान पर एकदा ऐसी आस्था वाली आपदा आयी थी। मगर यह सत्य है कि बहुसंख्यक जनता के प्रति न्याय दर्शाने के लिये तीसरे बादशाह मोहम्मद जलालुद्दीन अकबर ने 1584 में सहानुभूति पूर्वक आदेश दिया था कि ”हिन्दू महिला किसी मुसलमान के प्रेम में पड़कर अपना धर्म परिवर्तित करती है तो उस महिला को बलपूर्वक उसे (मुस्लिम) पुरुष से अलग कर उसके कुटुम्ब को वापस लौटाया जाये। प्रजा से कामवासना के आधार पर छेड़खानी कदापि न किया जाये।” ( लेखक : प्रोफेसर मियां फैजान मुस्तफा, कुलाधिपति, हैदराबाद-स्थित नेशनल अकादमी आफ लीगल स्टडीज एण्ड रिसर्च विश्वविद्यालय: नेलसार का लेख, कालम 7 एवं 8, पृष्ट-7, इंडियन एक्सप्रेस, शनिवार, 25 सितंबर 2021)।

लव जिहाद को फैलाना आतंकवाद

Audrey Truschke: What the myth of 'love jihad' tells us about the Hindu Right
इसी तरह का बयान पुर्तगाल और बेल्जियम के आव्रजन मंत्रालय ने दिया था कि: ”लव जिहाद” को फैलाना आतंकवाद ही है जिसमें इस्लामी पाकिस्तान की अहम भूमिका है।” इसी सिलसिले में केरल कैथोलिक बिशप काउंसिल का वक्तव्य था कि अक्टूबर 2009  में ईसाई युवतियों को फसा कर, कलमा पढ़वा कर मुसलमान बनाया गया। केरल के ही मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के वयोवृद्ध मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानन्द ने 2 जुलाई 2010 तथा कांग्रेसी मुख्यमंत्री ओमन चाण्डी ने जून 2014 में मीडिया को बताया था कि मलयाली युवतियों से निकाह द्वारा इस्लाम कबूल कराया जा रहा है। इन्हें अरब देशों में आतंक कार्य हेतु भेजा रहा हैं। भारत पर इससे खतरा इसीलिये भी ज्यादा बढ़ा है क्योंकि इस्लाम एक राजनीतिक मजहब है।

अत: विभिन्न उच्च तथा उच्चतम न्यायालयों को अब अनिवार्यत: मंडराते खतरे का संज्ञान लेना होगा ताकि भारत की सार्वभौमिकता और सुरक्षा बनी रहे। इस परिवेश में योगीजी द्वारा पितृपक्ष में राजसत्ता का दायित्व पालन करना गौरतलब है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)