स्मृतिशेष : डॉ. के.के. अग्रवाल।
आपका अखबार ब्यूरो।
(इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष और प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ के.के. अग्रवाल का 17 मई को रात 11:30 बजे कोरोना संक्रमण की वजह से दिल्ली के एम्स में निधन हो गया। कोरोना काल में इलाज और परामर्श के जरिए उन्होंने हजारों लोगों की मदद की। गरीब और कमजोर तबके के मरीजों का मुफ्त इलाज किया। अपनी नेकदिली के लिए पूरे देश में मशहूर डॉ. अग्रवाल को श्रद्धांजलि स्वरूप प्रस्तुत हैं… वैश्विक महामारी के खिलाफ लोगों को जागरूक करने और हौसला बढ़ाने वाले उनके कुछ परामर्श)
मैंने कई ऐसे परिवारों से बात की जिनमें आठ-आठ नौ-नौ लोगों को बुखार आ रहा था। उनमें कोरोना का पहला लक्षण था- डायरिया। सबसे पहले किसी को डायरिया हुआ। आज डायरिया होने का मतलब है कि वह सबको इंफेक्शन देगा। अगर डायरिया बुखार से पहले आ रहा है तो आदमी बताता है कि पहले इसको डायरिया हुआ। दो दिन बाद किसी और को खांसी हो गई। तीन दिन बाद तीसरे को बुखार आ गया। सब को एक समान लक्षण नहीं आएंगे। लेकिन है सबको कोविड ही।
जब स्वाद और गंध का पता ना चले
चालीस फीसदी लोगों को लॉस ऑफ टेस्ट और लॉस ऑफ स्मेल है। स्वाद का पता नहीं चलता और गंध का पता नहीं चलता। मेरे पास जब लोग आते हैं कि मेरा टेस्ट चला गया या मेरा स्मेल चला गया तो मैं कहता हूं कांग्रेचुलेशन (शुभकामनाएं)… क्योंकि यह माइल्ड कोविड है। आपको कुछ नहीं होने वाला। दवा लो तो ठीक – ना लो तो ठीक। यह अपने आप ठीक होने वाला है। कोई आदमी जिसका टेस्ट और स्मेल चला गया, वह अभी तक सीरियस नहीं हुआ है। यानी यह बहुत हल्के असर वाला कोविड है। मैं तो कहूंगा कि भगवान से प्रार्थना करो कि हे भगवान अगर कोविड देना ही है तो मेरा स्मेल ले लो, मेरा टेस्ट ले लो, क्योंकि जिंदगी भर में मीठा और नमक खा खाकर तंग आ गया हूं। …टेस्ट में आपको मीठे का स्वाद चला जाएगा, नमक का स्वाद चला जाएगा, लेकिन खट्टे का स्वाद बना रहेगा। वह नहीं जाएगा। अगर खट्टे का टेस्ट नहीं गया है तो आप खट्टा खाना खाओ, दिक्कत क्या है? …जिनको डायरिया हो रहा है या जीआई सिम्टम्स हो रहे हैं- एनोरेक्सिया हो रहा है, नोसिया हो रहा है, वोमिटिंग हो रही है- उसे भी हम गम्भीर कोविड नहीं मानते।
आंख मिचौली खेलने दो बुखार को
जिन लोगों को बुखार आ रहा है, उसमें भी ज्यादातर को हल्का बुखार है। यानी 100° या 100° से कम। कई लोग आकर बताते हैं कि हमारा बुखार 99° रहता है, या 100° के ऊपर नहीं जाता। यह एक टिपिकल कोविड है। बुखार 14 दिन तक आएगा… जाएगा…। लोग परेशान इसलिए हो रहे हैं कि बुखार आया था- चला गया- फिर आ गया। इसमें परेशान होने की बात नहीं है। बुखार को आंख मिचौली खेलने दो। किसी का बुखार 2 दिन में चला जाएगा, किसी का 4 दिन में… और किसी को 14 दिन तक रहेगा। सौ में से एक या दो मरीजों का ही बुखार 103° से ऊपर जाता है तो अगर आपको 99°, 100° या 102° तक बुखार आता है तो उसे सम्मान के साथ स्वीकार करें। कोई घबराने की बात नहीं है।
एक बात और। जब तक बुखार है वह आपका गला खराब नहीं करेगा, आवाज खराब नहीं करेगा। कुछ लोग कहते हैं कि बुखार में मेरी आवाज बैठ गई तो समझो वह कोविड नहीं है। कोविड जोड़ों में दर्द नहीं करता। जिसके जोड़ों में दर्द हो रहा है समझो उसे कोविड नहीं है। कोविड आपमें थकान कमजोरी पैदा करता है। आप कहेंगे मुझे थकान लग रही है, तो आपको कोविड है।
गलती कहां
मान लीजिए कि परिवार में एक व्यक्ति कह रहा है कि मुझे सिर दर्द हो रहा है, दूसरा कहता है मुझे बुखार है, तीसरा कहता है मुझे लूज मोशन हो रहे हैं- यह लक्षण बताते हैं कि तीनों को कोविड है। लोगों से गलती कहां पर हो रही है? लोग समझते हैं कि कोविड के लिए तो खांसी होना जरूरी है? सांस में थोड़ी परेशानी होना जरूरी है? मैं कहता हूं यह कतई जरूरी नहीं है। मेरे पास अभी जो 1000 पेशेंट आ रहे हैं उनमें से सिर्फ दो को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी है। बाकी सारे के सारे इसी जन्म में है उनमें से किसी ने नया जन्म नहीं लिया है अभी तक।
बीपी-शुगर कंट्रोल रखें
मान लीजिए, किसी को गम्भीर दिल का दौरा पड़ा या किसी को गम्भीर न्यूमोनिया हुआ और वह चला गया… तो इसका मतलब यह नहीं कि आप भी जाने वाले हैं। इस गंभीर स्थिति में भी बचने वालों की संख्या मरने वालों से बहुत ज्यादा होगी। अगर लोगों ने अपनी डायबिटीज कंट्रोल कर रखी है, ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखा है, तो मरने वालों की संख्या निश्चित तौर पर कम होगी।
जब तक बुखार है ऑक्सीजन कम नहीं होगी
बहुत बड़ी गुड न्यूज़ यह है कि जितने भी लोग मर रहे हैं वे ऑक्सीजन की कमी से मर रहे हैं। हर घर में ऑक्सीमीटर होना चाहिए जिससे ऑक्सीजन चेक की जा सके। आप याद रखिए कि जब तक आप को बुखार है तब तक ऑक्सीजन कम नहीं होगी। जितने भी लोगों को बुखार है उनको जब तक बुखार रहता है ऑक्सीजन कम नहीं होती। ऑक्सीजन कम तब होती है जब बुखार उतर जाता है।
अगर आपने ऑक्सीजन की कमी को पकड़ लिया तो आप मरेंगे नहीं। ज्यादातर लोग ऑक्सीजन की कमी की अनदेखी कर जाते हैं इसलिए मुश्किल में फंस रहे हैं।
हैप्पी हाइपोक्सिया और ऑक्सीजन
ऑक्सीजन की अनदेखी करने का कारण यह है कि उनमें हैप्पी हाइपोक्सिया है। इसमें आदमी खुश रहता है। आप उससे पूछेंगे- कोई तकलीफ है… तो वह कहेगा- मुझे कोई तकलीफ नहीं है। लेकिन अगर ऑक्सीजन नापेंगे तो मालूम पड़ेगा कि वह 50 है। वह मरने वाला है।
अगर आप ऑक्सीजन को ध्यान में रखेंगे तो कोई नहीं मरेगा। आजकल हम डॉक्टर लोग क्या काम कर रहे हैं? बस एक ही काम कर रहे हैं मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) में। जिन लोगों की कोविड से मृत्यु हो गई है उसका विश्लेषण कर रहे हैं- इसकी मृत्यु क्यों हुई। वहां से पकड़ में आ रहा है कि कहां गलती हुई? सरकार पोस्टमार्टम तो कर नहीं रही… तो हम ही पोस्टमार्टम कर रहे हैं… मृत रोगियों के परिवारों को सांत्वना देकर। परिवार को थोड़ी देर सांत्वना देते हैं फिर पूछते हैं कि- अच्छा बताओ क्या हुआ था? परिवार वाले सोचते हैं कि इतने बड़े डॉक्टर ने फोन किया है तो फिर उस व्यक्ति का पूरा हाल बताते हैं। वहां पता चलता है कि ये सारे लोग हाइपोक्सिया को मिस कर रहे हैं।