टीवी पर अक्सर एक से एक बेहतर ब्रश और मंजन के विज्ञापन आते हैं जो दावा करते हैं कि वे आपके और ख़ासकर आपके बच्चों के दातों में कैविटी या कोई अन्य बीमारी नहीं होने देंगे। लेकिन ये तो उन बच्चों के लिए कारगार साबित हो सकते हैं जिनके स्थायी दांत निकल चुके हैं और वे रोज़ाना ब्रश करते हों।

स्थायी दांतों से पहले शिशुओं के दूध के दांत निकलते हैं जिनकी देखभाल भी उतनी ही ज़रूरी है जितनी की स्थायी दांतों की। 6 माह की उम्र तक पहुंचते ही ज़्यादातर शिशुओं को बोतल से दूध पिलाना शुरू कर दिया जाता है। कामकाजी महिलाओं के लिए यह एक मजबूरी होती है, तो कुछ महिलाएं सहूलियत के लिए ऐसा करती हैं।

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कारण जो भी हो, मुख्य बात यह है कि आपके लिए अपने बच्चों के दूध के दांतों का भी पूरा ध्यान रखना ज़रूरी है।

बॉटल कैरीज़ या बेबी बॉटल टूथ डिके एक ऐसी समस्या है जो बोतल से दूध पीने वाले बच्चों में हो सकती है। इसे अर्ली चाइल्डहुड कैरीज़ भी कहते हैं। बच्चों के दूध के दांत बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।

मज़बूत दांतों का असर उनकी खाने की आदत पर पड़ता है। यदि ख़राब दांतों की वजह से उन्हें शुरू से ही हर खाद्य पदार्थ खाने में मुश्किल होगी तो बड़े होने पर वे हर चीज़ नहीं खाएंगे जो आपके लिए परेशानी का सबब बन सकता है।

दूध के अच्छे और स्वस्थ दांत स्थायी दांतों की मजबूती की नींव रखते हैं।

बेबी बॉटल कैरीज़ आम तौर पर बच्चों के ऊपर के सामने के दांतों में होता है। लेकिन दूसरे दांतों पर भी इसका बुरा असर पड़ सकता है।

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दांत ख़राब होने के कई कारण होते हैं, जिनमें से एक है दूध में चीनी का नियमित उपयोग। शुरुआत कैविटी से होती है जो बाद में टूथ डिके में तब्दील हो जाती है। कई बार लोग अपने बच्चों को खाना खिलाते वक़्त उसी चम्मच का उपयोग करते हैं जिससे वे ख़ुद खाना खा रहे होते हैं। लेकिन यह एक अच्छी आदत नहीं है। इससे कैविटी के बैक्टीरिया के थूक के ज़रिये बच्चे तक फैलने की संभावना रहती है।

फ्लोराइड की कमी भी बच्चों में टूथ डिके का कारण बनती है। लेकिन अच्छी ख़बर यह है कि इस समस्या का हल है। जिसके लिए ज़रूरी है कि आप कुछ बातों का ध्यान रखें-

  1. बच्चे को अपने जूठे चम्मच से न खिलाएं।
  2. हर बार खाने के बाद बच्चों के मसूड़ों को पानी से साफ करें।
  3. जब बच्चे के दूध के दांत आ जाएं तो बच्चों के ब्रश से उसे हल्के हाथों से साफ करें, तीन वर्ष की उम्र तक चावल के दाने के बराबर टूथपेस्ट का उपयोग करें, जिसमें फ्लोराइड हो।
  4. तीन से छः वर्ष की आयु तक मटर के दाने के बराबर पेस्ट का उपयोग करें। फ्लोराइड की अधिक मात्रा बच्चे को नुकसान भी पहुंचा सकती है। साथ ही बच्चे मंजन को बड़ों की तरह थूक नहीं पाते और गटक जाते हैं जो पेट में जाता है।
  5. 7 वर्ष की आयु तक बच्चों के ब्रश करने के तरीके का ध्यान रखें, जब तक कि वे ठीक से मंजन को थूकना न सीख लें।
  6. फीडिंग बोतल का उपयोग सिर्फ दूध पिलाने के लिए करें, चीनी युक्त पानी, फलों के रस या अन्य मीठे पेय पदार्थों के लिए नहीं।
  7. कोशिश करें कि बच्चा सोने से पहले बोतल से दूध पी ले और फिर उसका मुंह साफ कर आप उसे सुलाएं।
  8. ज़्यादातर बच्चों को बोतल से दूध पीते हुए सोने की आदत होती है। यदि ऐसा है तो बच्चे के गहरी नींद में सो जाने के बाद गुनगुने पानी से उसके मसूड़े साफ कर दें।
  9. जितना जल्दी हो बच्चे को सिपर फिर गिलास और कप से पीने की आदत डलवाएं।

और हां बच्चे के दांत में पहली बार कैविटी या कोई परेशानी पता चलते ही डेंटिस्ट से संपर्क ज़रूर करें। और दांतों की अच्छी सेहत के लिए कैल्शियम और विटामिन डी पर पूरा ध्यान दें।

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