मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क से बड़ी खुशखबरी आई है। यहां मादा चीता ने 4 शावकों को जन्म दिया है। अफ्रीका से आए चीता ने देश में अपनी संख्या बढ़ाने की शुरुआत कर दी है। यह खुशी ऐसे समय पर सामने आई है जब एक चीता की मौत के बाद प्रॉजेक्ट चीता को धक्का लगने की बात कही जा रही थी। दशकों पहले भारत से विलुप्त हो चुके चीतों की संख्या बढ़ने को बड़ी कामयाबी के तौर पर देखा जा रहा है।केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने यह खुशखबरी साझा की। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘अमृतकाल के दौरान हमारे वन्यजीव संरक्षण के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना!मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में 17 सितंबर 2022 को भारत लाए गए चीतों में से एक के चार शावकों का जन्म हुआ है।’ अगले ट्वीट में उन्होंने लिखा,’मैं प्रोजेक्ट चीता की पूरी टीम को भारत में चीतों को वापस लाने के उनके अथक प्रयासों और अतीत में की गई एक पारिस्थितिक गलती को सुधारने के उनके प्रयासों के लिए बधाई देता हूं।’

अब देश में कुल 23 चीते

चार शावकों के जन्म के बाद भारत में चीतों की संख्या बढ़कर 23 हो गई है। सबसे पहले पिछले साल 17 सितंबर को पीएम मोदी ने कूनों में नामीबिया से लाए गए 8 चीतों को छोड़ा था। इसके बाद हाल ही में 12 और चीते अफ्रीका से लाए गए हैं। इस तरह चीतों की कुल संख्या 20 हो गई थी। लेकिन साश की मौत के बाद इनकी आबादी 19 रह गई थी। चार शावकों के जन्म के बाद एक बाद संख्या बढ़कर 23 हो गई है।

दो दिन पहले साशा की हुई थी मौत

नामीबिया से आई फीमेल चीता साशा सोमवार 27 मार्च को कूनो नेशनल पार्क स्थित अपने बाड़े में मृत मिली थी। उसकी किडनी खराब थी और उसका इलाज चल रहा था। इस खबर ने देश में फिर से चीतों को बसाने की इच्छा रखने वाले वन्यजीव प्रेमियों को झटका दिया था, लेकिन एक साथ चार शावकों के जन्म के बाद अब चीतों के देश में फिर से बसने की उम्मीदें रंग लाती दिख रही हैं।

देश में 1952 में विलुप्त हुए थे चीते

भारत में आखिरी चीता वर्तमान छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में 1947 में मरा था और चीतों की प्रजाति को 1952 में विलुप्त घोषित कर दिया गया था। पूर्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के तहत 2009 में भारत में चीतों को फिर से पेश करने के उद्देश्य से ‘प्रोजेक्ट चीता’ की शुरुआत की थी। देश के कई राज्यों को पार्क में सर्वे के बाद मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क को चीतों को फिर से बसाने के लिए अनुकूल माना गया था और प्रोजेक्ट चीता के लिए चुना गया था। (एएमएपी)