भारत में जी-20 शिखर सम्मेलन का आयोजन 7 से 10 सितंबर के बीच किया जाएगा। इसमें भाग लेने के लिए अमेरिकी वित्त मंत्री जेनेट येलेन दिल्ली आने वाली हैं। इस दौरान वह कई अहम मुद्दों को सामने रखेंगी। भारत की यात्रा के दौरान येलेन वैश्विक अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और बहुपक्षीय विकास बैंक (एमडीबी) के विकास, ऋण पुनर्गठन और आईएमएफ के गरीबी निवारण और विकास को आगे बढ़ाकर निम्न और मध्यम आय वाले देशों का समर्थन करने पर ध्यान केंद्रित करेंगी।

यूक्रेन को समर्थन देना रखेंगी जारी

व्हाइट हाउस ने प्रेस विज्ञपति जारी कर बताया कि वो भारत की यात्रा के दौरान जलवायु परिवर्तन, वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा जैसे मुद्दों पर अपनी बात रखेंगी। वहीं, यूक्रेन के लिए सामूहिक आर्थिक समर्थन को बनाए रखने के लिए अमेरिका के साझेदारों को एकजुट करना जारी रखेंगी। इसमें रूसी तेल निर्यात पर जी-7 के नेतृत्व वाली प्राइस कैप का समर्थन करना और यूक्रेनी अनाज निर्यात पर प्रतिबंध के मद्देनजर वैश्विक खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने के प्रयास शामिल हैं।

पीजीआई के लिए 200 अरब डॉलर जुटाना

उन्होंने कहा कि अमेरिका अपने नए ‘फ्रेंडशोरिंग’ दृष्टिकोण के तहत वैश्विक आपूर्ति शृंखला से जोड़ने के लिए विकासशील देशों के साथ साझेदारी पर काम कर रहा है। येलेन ने कहा कि वैश्विक बुनियादी ढांचा और निवेश साझेदारी (पीजीआई) के जरिए अमेरिका डिजिटल प्रौद्योगिकियों में निवेश कर रहा है जो भारत में समावेशी और लचीली वृद्धि को गति प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि पीजीआईआई के तहत अमेरिका ने जलवायु-स्मार्ट कृषि उत्पादन को सक्षम करने के लिए कृषि तकनीक में निवेश की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि अमेरिका का लक्ष्य पीजीआई के लिए 2027 तक 200 अरब डॉलर जुटाना है और भविष्य में निवेश जारी रखने के लिए भारत के साथ साझेदारी करने की उम्मीद है।

गोलमेज बैठक के दौरान नीलेकणि ने कहा था कि इन्फोसिस ने पिछले कुछ साल में अमेरिका के छह अलग-अलग राज्यों में नए केंद्र खोले हैं और पिछले छह साल में वहां 25,000 कर्मचारियों को नियुक्त किया है। उन्होंने कहा कि हमने अमेरिका में स्थानीयकरण पर काफी ध्यान केंद्रित किया है। कुल वैश्विक कार्यबल 3,30,000 है। हमने इंडियानापोलिस में 160,000 वर्ग फुट का विश्व स्तरीय प्रशिक्षण केंद्र बनाया है। हमने इस साल 7,000 नए स्नातकों को नियुक्त किया। हमारा उद्देश्य सामुदायिक कॉलेजों सहित युवा, प्रतिभाशाली लोगों को चुनना और उनके प्रशिक्षण में निवेश करना है। उन्होंने कहा कि इन्फोसिस भारत की कर प्रणाली का संचालन करती है और समूची प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष कर प्रणाली का बैक-एंड हिस्सा कंपनी चलाती है। भारत में 79 मिलियन आयकर रिटर्न दाखिल होते हैं और रिफंड कुछ ही दिनों में पेपरलेस तरीके से होता है।

इससे पहले उन्होंने भारत को सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार करार दिया था। उन्होंने कहा था कि हम आपूर्ति शृंखलाओं के लचीलेपन को मजबूत करने के लिए ‘फ्रेंडशोरिंग’ (दोस्ताना संबंध) के नजरिए से आगे बढ़ेंगे।(एएमएपी)