एल्युमीनियम के बर्तन, खिलौने, पेंट, कोहल आईलाइनर लेड प्रदूषण के प्रमुख कारक।

भारत में एल्युमीनियम के बर्तन, खिलौने, पेंट, मसाले और कोहल आईलाइनर जैसे उत्पाद लेड प्रदूषण फैलाने के प्रमुख कारक बताये गये हैं और इस प्रदूषण से निटपने पर देश में प्रति वर्ष 10 लाख से अधिक लोगों की जान बचाई जा सकती है। प्योर अर्थ द्वारा भारत सहित 25 देशों में लेड प्रदूषण पर आधारित एक सर्वेक्षण सामने आया है। देश में तीन राज्यों महाराष्ट्र, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश के बाजारों से उठाये गये उत्पादों की जांच के आधार पर सर्वेक्षण में यह दावा किया गया है। वैश्विक स्तर पर 25 देशों में 5000 से अधिक उत्पादों के परीक्षण के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार किया गया है।

25 देशों के 70 बाजारों से उत्पाद एकत्र कर तैयार की गई है ये रिपोर्ट

शोधकर्ताओं ने आर्मेनिया, अजरबैजान, बंगलादेश, बोलीविया, कोलंबिया, मिस्र, जॉर्जिया, घाना, भारत के महाराष्ट्र, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश राज्य, इंडोनेशिया, कजाकिस्तान, केन्या, किर्गिस्तान, मैक्सिको, नेपाल, नाइजीरिया, पाकिस्तान, पेरू, फिलीपींस, ताजिकिस्तान, तंजानिया, ट्यूनीशिया, तुर्की, युगांडा और वियतनाम सहित 25 देशों के 70 बाजारों से उत्पाद एकत्र किए।

इस रिपोर्ट पर भारत के लेड मैन डॉ. थुप्पिल वेंकटेश ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “लेड के संपर्क में आने से न केवल आर्थिक क्षति होती है, बल्कि यह आईक्यू को भी कम करता है और गरीबों को और भी गहरी गरीबी में धकेल देता है। यह लैंसेट पेपर दुनिया भर के सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों और चिकित्सकों, विशेष रूप से कार्डियोलॉजी के चिकित्सकों के लिए एक चेतावनी है।

ये कहते हैं, डेटा सुझाव देता है कि हृदय रोग का प्रबंधन करते समय लेड एक्सपोज़र के स्तर पर विचार किया जाना चाहिए और रोगियों को सर्वोत्तम संभव देखभाल प्रदान करने के लिए यह चिकित्सीय उपाय आवश्यक हो सकते हैं। इसमें लेड उत्पादों के संपर्क को खत्म करना या काफी हद तक कम करना शामिल हो सकता है जो रक्त में लेड के उच्च स्तर को कम करने का उपाय बन सकते हैं।”

लेड विषाक्तता है हमारे जीवन के लिए बेहद खतरनाक

प्योर अर्थ इंडिया की कार्यवाहक कंट्री निदेशक लावण्या नांबियार ने रिपोर्ट पर कहा कि यदि लैंसेट पेपर में रिपोर्ट किए गए हाई ब्लड लेड लेवल, संबंधित आईक्यू हानि, और समग्र मृत्यु दर सच है, तो लेड एक्सपोज़र के इन उच्च स्तर को केवल बैटरी रीसाइक्लिंग के औद्योगिक स्रोतों के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है, जैसा कि पहले माना गया था। प्योर अर्थ के 25-देशों के सर्वेक्षण में पाया गया कि रोजमर्रा की घरेलू वस्तुएं, उपभोक्ता उत्पाद और दूषित भोजन सभी उच्च स्तर की लेड विषाक्तता में योगदान करते हैं।

ये अपने निष्‍कर्ष में बताती हैं कि लेड प्रदूषण को हल करने और जीवन बचाने के लिए हमें अपने कुकवेयर, खिलौने, पेंट, खाद्य पदार्थ, मसालों और अन्य उत्पादों में लेड कंटामिनेशन की निगरानी करने और उसे रोकने की जरूरत है जो संक्रमण का कारण बन सकते हैं। शुक्र है, व्यावहारिक समाधान उपलब्ध हैं जिनमें ब्लड लेड परीक्षण के माध्यम से लेड की व्यापकता की निगरानी करना, जोखिम स्रोतों का विश्लेषण करना और लेड एक्सपोज़र को कम करने के लिए पहचाने गए प्रमुख स्रोतों को संबोधित करना और महत्वपूर्ण नीतियों को लागू करने के लिए हितधारकों की क्षमता विकसित करना शामिल है।

प्योर अर्थ के एडवोकेसी एंड कम्युनिकेशंस के निदेशक संदीप दहिया ने कहा कि लेड के संपर्क, इसके प्रभाव और प्रदूषण के ज्ञात समाधानों की यह विस्तारित समझ कार्रवाई का एक स्पष्ट आह्वान है। हमारा विश्लेषण बताता है कि सभी प्रकार के लेड मिटिगेशन इंटरवेंशन/समाधान अत्यधिक प्रभावी एवं लाभकारी हैं और इनका रिटर्न बहुत अच्छा है। स्पाइस/मसाला मिटिगेशन पर खर्च किए गए प्रत्येक डॉलर के लिए, लाभ 20,000 डॉलर से अधिक रिटर्न है, जो निवेश पर एक उल्लेखनीय रिटर्न है।

इसी तरह, लेड पेंट विनियमन से 1200 डॉलर का रिटर्न दिखा है। दुनिया भर में दाता समुदाय और सरकारों को लेड विषाक्तता की जाँच करने और ऐसे समाधानों में निवेश करने की आवश्यकता है जो इसके प्रभाव के पैमाने के साथ अधिक संरेखित हों। इसके अलावा, शिक्षा, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, हृदय रोग और स्ट्रोक में निवेश करने वाली सरकारों और विकास एजेंसियों को इस बात पर विचार करने की आवश्यकता है कि ये निवेश लेड के संपर्क से होने वाले नुकसान को कैसे कम प्रभावी हो रहे हैं।(एएमएपी)