भारत का विमानन बाजार इन दिनों एक नए क्षितिज पर है। जी हां, भारत का नागरिक उड्डयन दुनियाभर में सबसे तेजी से बढ़ते विमानन बाजारों में से एक बन गया है और आने वाले वक्त में यह भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने में प्रमुख विकास का इंजन भी साबित होगा। इस क्रम में भारतीय विमानन बाजार ने लंबी दूरी तय की है, कई ऐतिहासिक स्तर हासिल किए हैं। लेकिन यह इतना आसान भी नहीं था। इसने दुनिया के सबसे आकर्षक विमानन बाजारों में से एक बनने के लिए कई चुनौतियों का सामना भी किया है।
भारतीय घरेलू विमानन बाजार ने बहुत तेजी के साथ वृद्धि की है और यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा घरेलू विमानन बाजार बन गया है। यही कारण है तेजी से विशाल आकार लेते भारतीय विमानन बाजार को देखकर विदेशी एयरलाइंस कंपनियां यहां निवेश के लिए खिंची चली आ रही है। और यह सब संभव हुआ है पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा किए गए प्रयासों से । जहां 2014 तक देश में मात्र 74 हवाई अड्डे थे, वहीं आज 2023 में 150 से अधिक एयरपोर्ट हैं। जी हां, भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा घरेलू विमानन बाजार अपने तेजी से बढ़ रहे एयरपोर्ट और विमानों की संख्या से विशाल आकार ले रहा है। देश में पिछले 9 वर्षों में हवाई अड्डों की संख्या में 100 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
तीसरा सबसे बड़ा घरेलू यातायात संभालता है भारत
भारत आज संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद तीसरा सबसे बड़ा घरेलू यातायात संभालता है। केवल इतना ही नहीं, यात्रियों की संख्या में लगातार हो रही वृद्धि के साथ, भारतीय एयरलाइंस नए क्षेत्रों में विस्तार की योजना बना रही हैं। ऐसे में, हवाई परिवहन देश के परिवहन बुनियादी ढांचे का एक प्रमुख तत्व बनता जा रहा है और देश के आर्थिक विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। घरेलू हवाई यात्री के मामले में, भारत तीसरा सबसे बड़ा विमानन बाजार बन गया है जो वित्त वर्ष 2020 में 274.05 मिलियन था। यह वित्त वर्ष 16-वित्त वर्ष 2020 के दौरान 12.91 प्रतिशत की कंपाउंड वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ा। भारत में नागरिक उड्डयन के 75 वर्षों में 75 हवाई अड्डे खोले गए जबकि उड़ान के तहत तीन साल की अवधि में ही 76 अनसर्व्ड / 20 अंडरसर्व्ड एयरपोर्ट, 31 हेलीपोर्ट और 10 वाटर एरोड्रोम की कनेक्टिविटी के लिए काम शुरू की गई।
सरकार ने ऐसी प्रणाली शुरू की जो हवाई यात्रियों को काफी बेहतर एक्सपीरियंस प्रदान कर रही है। यह ‘डिजी यात्रा’ नामक एक बायोमेट्रिक बोर्डिंग सिस्टम है जिसमें‘चेहरे की पहचान तकनीक’ का उपयोग किया जाता है, ताकि हवाई अड्डों पर यात्रियों को निर्बाध और परेशानी मुक्त अनुभव हो सके। चूंकि इसके तहत अनेक टच पॉइंट्स पर टिकट एवं आईडी का सत्यापन कराने की आवश्यकता समाप्त हो जाती है, इसलिए ऐसे में यात्रियों को कहीं ज्यादा सुखद अनुभव होता है। यही नहीं, इसके तहत एक डिजिटल फ्रेमवर्क का उपयोग भी किया जाता है जिससे मौजूदा बुनियादी ढांचागत सुविधाओं के जरिए ही कहीं ज्यादा यात्रियों का आवागमन सुनिश्चित हो जाता है। इसने भी हवाई यात्रियों की संख्या बढ़ाने में काफी मदद की है।
भारत का विमानन बाजार बहुत विशाल है और इसमें बहुत सारे अवसर हैं। ऐसे में सरकार भी तमाम कंपनियों को इसमें अपनी किस्मत आजमाने का मौका दे रही है। कई कंपनियों तो इस दिशा में काम करना शुरू भी कर दिया है। टाटा समूह की कंपनी एयर इंडिया ने एयरबस और बोइंग कंपनियों को कुल 840 विमान खरीद का ऑर्डर दिया था । ऐसे ही कई अन्य विमानन कंपनियां भी हवाई यात्रियों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए अपने आपको अपडेट करने में लगी हुई हैं।(एएमएपी)