दिवाली के दिन उत्तरकाशी की सिलक्यारा निर्माणाधीन सुरंग में हुए हादसे में फंसे  41 श्रमिकों को अभी तक बाहर नहीं निकाला जा सका है। रेस्क्यू का आज नौवां दिन है। श्रमिकों को सुरंग से बाहर निकालने के लिए अब अंतरराष्ट्रीय स्तर के टनल एक्सपर्ट प्रोफेसर सर अर्नोल्ड डिक्स की मदद ली जा रही है। जिला अधिकारी अभिषेक रुहेला ने बताया कि टनल विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स के साथ विचार विमर्श कर रेस्क्यू अभियान की रणनीति पर चर्चा हुई।

शानदार विशेषज्ञ है सर अर्नोल्ड डिक्स

अंतरराष्ट्रीय टनल एक्सपर्ट सर अर्नोल्ड डिक्स ऑस्ट्रेलिया के रहने वाले हैं। अर्नोल्ड डिक्स एक वैज्ञानिक हैं। उन्हें अंडरग्राउंड इन्फ्रास्ट्रक्चर, बिल्डिंग्स और ट्रांसपोर्ट रिस्क के शानदार और स्वतंत्र विशेषज्ञ के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा वे कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से भी सम्मानित हो चुके हैं। अंतरराष्ट्रीय टनल एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स दुनिया भर में कई परियोजनाओं के लिए विवाद निवारण बोर्ड और टेंडर इवैल्युएशन पैनल पर नियुक्तियां करते हैं। कानून और इंजीनियरिंग दोनों में ही विशेषज्ञता होने के कारण उन्होंने कई विवादित और कठिन मसलों में भी अपनी सूझबूझ से समझौता कराया है। उन्हें अंडरग्राउंड इन्फ्रास्ट्रक्चर, बिल्डिंग्स और ट्रांसपोर्ट रिस्क के शानदार और स्वतंत्र विशेषज्ञ के रूप में जाना जाता। अब उम्मीद की जानी चाहिए कि नौ दिनों से उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों की बाहर निकालने की राह हो गई है।

गौरतलब है कि सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को सुरक्षित निकालने के लिये चलाये जा रहे रेस्क्यू अभियान में सहयोग करने के भारत सरकार के आग्रह पर अंतरराष्ट्रीय स्तर के टनल विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स सोमवार को सिलक्यारा पहुंच गए हैं। अर्नोल्ड डिक्स इंटरनेशनल टनलिंग एंड अंडरग्राउंड स्पेस एशोसिएशन (आईटीए) के अध्यक्ष है।

उत्तराखंड सरकार के केंद्रीय संगठनों से रेस्क्यू अभियान में समन्वय के नोडल अधिकारी और सचिव डॉ. नीरज खैरवाल, एनएचएआईडीसीएल के एमडी महमूद अहमद, निदेशक अंशु मनीष खलखो, जिलाधिकारी अभिषेक रुहेला ने टनल विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स के साथ विचार विमर्श कर रेस्क्यू अभियान की रणनीति पर चर्चा की है।

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विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स ने किया निरीक्षण

अंतर्राष्ट्रीय टनलिंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स ने यहां निरीक्षण करने के बाद कहा कि हम श्रमिकों को बाहर निकालने ने की कोशिश में जुटे हैं। कहा कि मेरे साथ हिमालय भूविज्ञान के सर्वश्रेष्ठ विशेषज्ञ हैं। हमें तुलना करने की आवश्यकता है। हमने यहां सुरंग के ऊपर जो देखा है और जो हम जानते हैं कि सुरंग के अंदर क्या हो रहा है। हम उन 41 लोगों को बचा रहे हैं और ऐसा करते समय हम किसी को भी चोट नहीं पहुंचने देंगे। यह किसी भी जटिल काम की तरह है। जहां हमें चारों ओर ऊपर से नीचे तक देखना होता है। यहां की टीम बचाव पर इतना ध्यान केंद्रित कर रही है और इतना ध्यान केंद्रित कर रही है कि किसी और को चोट न पहुंचे। फिलहाल, यह सकारात्मक दिख रहा है। हम सभी एक टीम हैं। टनल के ऊपर 320 मीटर दूरी पर टीम ने ड्रिल के लिए स्थान चुना है। यहां से 89 मीटर गहराई तक ड्रिल होगी।(एएमएपी)