पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन का असर विपक्षी गठबंधन पर हो रहा है। पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने जल्द से जल्द सीट बंटवारे के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है। विपक्षी गठबंधन ‘आईएनडीआई’ की 06 दिसंबर की बैठक से पहले पार्टी ने यह पहल शुरू कर दी है।

तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने मंगलवार को बताया कि शीतकालीन सत्र से पहले हुई विपक्ष की रणनीतिक बैठक में ही तृणमूल कांग्रेस ने यह मुद्दा उठाया था। संसद में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के कक्ष में आयोजित बैठक में तृणमूल का प्रतिनिधित्व लोकसभा और राज्यसभा नेताओं-सुदीप बनर्जी और डेरेक ओ’ब्रायन ने किया था।

पता चला है कि बैठक में तृणमूल नेताओं ने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव के लिए सीटों का बंटवारा जल्द किया जाना चाहिए ताकि उम्मीदवारों को चुनावी तैयारियों के लिए पर्याप्त समय मिल सके। यह मांग ऐसे वक्त उठाई गई है, जब एक दिन पहले भाजपा को तीन हिंदी भाषी राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनावी जीत मिली। जबकि कांग्रेस ने तेलंगाना में जीत हासिल की।

कोलकाता में तृणमूल प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि राज्य के उत्तरी क्षेत्र में अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों के कारण (इंडियन नेशनल डवलपमेंट इन्क्लूसिव एलायंस) ‘आईएनडीआईए’ की बैठक में वह शामिल नहीं हो पाएंगी। बनर्जी ने कहा कि वह बैठक की तारीख से वाकिफ नहीं थीं और संकेत दिया कि अगर उन्हें पहले से सूचित किया गया होता तो उन्होंने अपना यात्रा कार्यक्रम पुनर्निर्धारित किया होता।

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बनर्जी ने यह भी कहा कि भाजपा ने अपने विरोधियों के बीच वोट बंटने के कारण राजस्थान में कांग्रेस से अधिक सीटें जीतीं। उन्होंने कहा कि एक रणनीति को अंतिम रूप देना होगा। मुझे लगता है कि अगर सीट बंटवारे को अंतिम रूप दे दिया गया तो भाजपा सत्ता में नहीं आएगी।

कांग्रेस के एक नेता ने बताया है कि बंगाल में तृणमूल कांग्रेस विपक्षी गठबंधन को केवल दो सीट देने के लिए पेशकश कर रही है, जिसकी वजह से बात नहीं बन पा रही। दो सीटों में से एक सीट तृणमूल कांग्रेस ने माकपा को देने की सलाह दी है। हालांकि कांग्रेस बंगाल में अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है।(एएमएपी)