कृषि उपनिदेशक ने बताया कि शासन से मिले टारगेट के सापेक्ष से शत प्रतिशत रबी की फसलों की बोआई हो चुकी है। उन्होंने बताया कि बुन्देलखंड के हमीरपुर और आसपास के इलाकों में इस साल किसानों ने अपनी तकदीर बदलने के लिए काला गेहूं की खेती शुरू की है। इसकी खेती से बुन्देलखंड के किसानों को मोटा मुनाफा जरूर मिलेगा। क्योंकि ये गेहूं सामान्य गेहूं से अधिक कीमत किसानों को मिलती है। प्रगतिशील किसान रघुवीर सिंह, राजेन्द्र सिंह व भाकियू नेता संतोष सिंह ने बताया कि काला गेहूं की खेती में सामान्य गेहूं की तुलना में ज्यादा उत्पादन होता है। एक बीघे में दस से बारह क्विटंल गेहूं की पैदावार हो जाती है। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ सालों से इस अनाज की डिमांड बाजार में बढ़ी है। ये सेहत के लिए फायदेमंद होती है।
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किसानों ने शुरू की काला गेहूं की खेती
हमीरपुर जिले के पंधरी सुमेरपुर, पारा मौदहा, करहिया, सरीला, इन्दपुरा व राठ क्षेत्र के चिल्ली गांव समेत अन्य कई ग्रामों में इस बार किसानों ने काला गेहूं की खेती की तरफ कदम बढ़ाए है। राठ क्षेत्र के खड़ाखड़ गांव में दमोदर दास गुप्ता ने पहली बार डेढ़ बीघे में काला गेहूं की खेती शुरू की है। चिल्ली गांव के प्रगतिशील किसान रघुवीर सिंह ने बताया कि काला गेहूं की खेती से बुन्देलखंड के किसानों की दशा और दिशा बदल सकती है। उन्होंने बताया कि सामान्य गेहूं की तुलना में इसका गेहूं की पैदावार ज्यादा होती है। अजीत साहू, बिहारीलाल, राधा कृष्ण अवस्थी, अरविन्द व छोटेलाल ने बताया कि सामान्य गेहूं के सापेक्ष इस अनाज की बाजार में अब डिमांड ज्यादा है और कीमत भी अच्छी मिलती है।
12 बीमारियां रहती हैं नियंत्रित
काला गेहूं की रोटी और दलिया खाने से शुगर समेत बारह बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। आयुर्वेद चिकित्सकों का कहना है कि कैंसर, शुगर, ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्राल और असाध्य समेत बारह तरह की बीमारियां इस अनाज के सेवन से नियंत्रित रहती है। बताया कि काला गेहूं की रोटी यदि नियमित रूप से खाने पर पेट सम्बन्धी बीमारी से भी निजात मिल जाती है।(एएमएपी)