नेपाल सरकार के प्रतिबन्ध के बावजूद राजधानी काठमांडू में मानव तस्करी के गोरखधंधा का खुलासा हुआ है। यह धंधा कुछ चीनी नागरिकों के जरिये चलाया जा रहा है। नेपाली युवाओं को रूस भेजने के नाम पर बाकायदा उनका फिजिकल टेस्ट लिया जा रहा है। राजधानी काठमांडू के सिनामंगल क्षेत्र में फिजिकल टेस्ट देने वाले युवाओं की भारी भीड़ देखी जा सकती है। पंक्तिबद्ध होकर करीब पांच हजार युवा अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। यहां ‘सिनोपेक इंजीनियरिंग ग्रुप रसिया’ लिखा हुआ बैनर टंगा है, लेकिन भीतर परीक्षा लेने वाले पांच चीनी नागरिक हैं। मुख्य द्वार के सुरक्षा गार्ड ने बताया कि रूस की किसी कंपनी के माध्यम से नेपाली युवाओं को सिक्युरिटी गार्ड के रूप में भर्ती किया जा रहा है।

हाथ में कुछ कागज, शैक्षिक योग्यता का प्रमाणपत्र हेल्थ सर्टिफिकेट लेकर पंक्तिबद्ध खड़े युवाओं की उम्र 18 से 30 वर्ष बीच दिख रही थी। इनमें अधिकतर युवा 25 से कम उम्र के थे। इस चीनी कंपनी के नेपाली प्रतिनिधि ने बताया कि तीन सौ कामगारों की आवश्यकता थी, जिसके लिए दस हजार लोगों ने फार्म भरा है। जब उनसे पूछा गया कि नेपाल से रूस में किसी भी काम के लिए जाने पर सरकार ने प्रतिबन्ध लगाया हुआ है तो इस पर जवाब मिला कि चीनी कंपनी ने नेपाल सरकार से अनुमति ले रखी है।

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रूस में नौकरी पाने के इच्छुक युवकों ने बताया कि रूस की इस कंपनी में 600 अमेरिकी डॉलर प्रति महीने सैलेरी बताई गई है। युवाओं ने यह भी खुलासा किया कि नौकरी लेने के लिए पहले कंपनी वालों को 5 लाख रुपये एडवांस में देना होगा। सेलेक्शन होने के तीन महीने बाद ही उन्हें रूस भेजा जाएगा। जांच के नाम पर युवाओं से बालू से भरी बोरियां उठाने को कहा जा रहा है। अब तक पांच सौ से अधिक युवाओं को शारीरिक परीक्षण में उत्तीर्ण करके फाइनल मेडिकल जांच के लिए भेजा रहा है।

इस मामले में गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के प्रवक्ताओं ने कहा कि किसी भी कंपनी को रूस में कामगारों को भेजने की अनुमति नहीं दी गई है। विदेश मंत्री के प्रवक्ता अमृत राई ने कहा कि यदि यह अवैध रूप से किया जा रहा है तो यह मानव तस्करी की श्रेणी में आएगा। उन्होंने कहा कि गृहमंत्रालय से समन्वय कर इस मामले की जांच की जाएगी। गृहमंत्रालय के एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने बताया कि नेपाल में चीनी नागरिकों के जरिये चलाए जा रहे अनेक ठगी के धंधों में से एक यह भी होगा। इसकी गहराई से जांच की जाएगी।(एएमएपी)