डॉ. विनोय सिंह ।
कोविड 19 पूरी मानवता के सामने एक भयंकर त्रासदी बनकर उपस्थित है। हम कुछ मामलों को छोड़ दें तो ज्यादातर मामलों में गंभीर बीमारी का कारण वायरस नहीं, बल्कि घबराहट है। हो सकता है यह सुनने में आपको थोड़ा अजीब लग रहा हो।
आज हमें एक बड़ी चुनौती का सामना करना है। आर पार की इस लड़ाई के बीच बीमारी को लेकर चल रही विभिन्न चर्चाओं का विवेचन करना फिलहाल उपयोगी नहीं होगा। अभी तो यह जानना जरूरी है कि कोविड से बचने और ठीक होने के उपाय क्या हैं।
सात दिन में मर जाते हैं सभी कोरोना वायरस
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि कोविड बीमारी के लक्षण शुरू होने के दिन से सात दिन के अंदर सभी कोरोना वायरस मर जाते हैं। केवल उनके मृत टुकड़े हमारे शरीर में इधर उधर पड़े रहते हैं। जबकि गंभीर बीमारी और मृत्यु दूसरे सप्ताह या उसके बाद- हमारी अपनी ही भ्रमित रोग प्रतिरोधक तंत्र के द्वारा फेफड़ों और खून की नालियों को नुकसान पहुंचाने से- होती है। ऐसा समझें कि सांप निकल जाए और हम लकीर पीटने के क्रम में अपना हाथ-पैर या माथा फोड़ लें… या- हाथी पागल होकर अपने ही मालिक को घायल कर दे या मार दे।
मन और शरीर का सम्बंध और घबराहट का हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर प्रभाव
हम सब जानते हैं कि मन और शरीर का, एक दूसरे के साथ, बहुत ही नजदीक का संबंध है और एक के गड़बड़ाने से दूसरा भी गड़बड़ा जाता है। मन में अत्यधिक चिंता और घबराहट होने से शरीर में कई परिवर्तन होते हैं। लेकिन उनमें से ये तीन बातें कोविड बीमारी में जीवन और मौत के बीच का अंतर तय करतीं हैं।
1. रोग प्रतिरोधक तंत्र की क्षमता में भारी कमी- इसका प्रभाव पहले सप्ताह के दौरान वायरस के संहार की अवधि के बढ़ने के रूप में सामने आता है।
2. रोग प्रतिरोधक व्यवस्था का भारी मति-भ्रम (पगला जाना) जिसके चलते दूसरे सप्ताह में मृत वायरसों को जिंदा समझ कर उन पर भारी बमबारी, जिसके चलते अपने ही फेफड़ों की कोशिकाओं एवं रक्त नलिकाओं को भारी नुकसान, बीमारी का बढ़ना और कुछ मामलों में मृत्यु होना।
3. अत्यधिक चिंता और घबराहट से शरीर के एक एक कोशिका में आक्सीजन की मांग का बढ़ना, जो कि कुछ मामलों में 20% तक चली जाती है।
घबराहट कम करने के उपाय
इन बातों से स्पष्ट है कि अपनी अत्यधिक चिंता और घबड़ाहट पर अगर हम नियंत्रण पा सकें तो यह हमारे जीवन को बचाने का साधन बन सकती है।
शरीर के मामलों की तो कई पैथियाँ हैं और उनमें मतभेद भी हैं, लेकिन सौभाग्य से मन को शांत करने की एकमात्र तकनीक योग है। इसे पूरा विश्व मानता है। आइए, हम उन 5 उपायों को देखें जिनसे हमारी चिंता और घबराहट कम होगी।
एक : ईश्वर परिधान- अपने इष्ट की मूर्ति/चित्र को अपने सामने रखना, नियमित प्रार्थना करना और उन पर पूर्ण विश्वास करके, अपनी चिंता, संदेह, बीमारी को उन्हें सौंप देना।
दो: भक्तिपूर्ण चलचित्र देखना और संगीत सुनना।
तीन : परिवार के सभी लोगों के साथ भजन करना।
चार : दिन में खाली पेट की अवस्था में 3-4 बार 10-10 मिनट भ्रामरी प्राणायाम एवं मकार पर जोर देते हुए ॐकार करना।
पांच : अपनी सांसों का उपयोग करके अंतर्मुखी होना एवं ध्यान लगाना।
(लेखक स्वामी विवेकानन्द योग अनुसंधान संस्थान (एसवीवाईएएसआई) विश्वविद्यालय के योग आधारित समेकित चिकित्सा विभाग में प्रोफेसर रहे। इसके पूर्व उन्होंने पटना मेडिकल कॉलेज के जनरल सर्जरी विभाग में एक फैकल्टी के रूप में 15 वर्ष योगदान दिया)